hamburger

क्रिप्स मिशन 1942, Cripps Mission Hindi Mein – प्रावधान, मूल्यांकन

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 13th, 2023

22 मार्च 1942 को ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) को भारत भेजा गया था। जिसका प्रमुख उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के लिए भारतियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था। क्रिप्स मिशन के अध्यक्ष सर स्टैफोर्ड क्रिप्स थे जो ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के मंत्रिमंडल में साम्यवादी दाल के एक वरिष्ट राजनेता एवं मंत्री थे।

इस लेख में हम आपको क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।

क्रिप्स मिशन, Cripps Mission Hindi Mein

क्रिप्स मिशन ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल द्वारा ब्रिटिश संसद के सदस्य सर स्टेफ़र्ड क्रिप्स के नेतृत्व में 22 मार्च 1942 को भारत भेजा गया था, इसके अध्यक्ष स्टैफोर्ड क्रिप्स होने के कारण इस मिशन को ‘क्रिप्स मिशन’ के नाम से जाना जाता है। क्रिप्स मिशन का उद्देश्य भारत में व्याप्त राजनीतिक गतिरोध को दूर करना था। इस मिशन का वास्तविक उद्देश्य द्वित्तीय विश्व युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करना था। सर स्टेफ़र्ड क्रिप्स, ब्रिटिश युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य थे तथा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सक्रियता से समर्थन किया था। कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को क्रिप्स मिशन के संदर्भ में परीक्षण एवं विचार विमर्श हेतु अधिकृत किया था।

अन्य महत्वपूर्ण लेख हिंदी में

लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट 2022

 भारत का पहला स्लेंडर लोरिस अभ्यारण्य

 महाकाल लोक कॉरिडोर

 असमानता सूचकांक 2022

 नोबेल पुरुस्कार 2022

 वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022

क्रिप्स मिशन: प्रमुख कारण, Cripps Mission Ke Pramukh Karan

  • द्वितीय विश्वयुद्ध में दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटेन को करारी हार का सामना करना पड़ा था , साथ ही भारत पर जापान के आक्रमण का भय बढ़ता जा रहा था। इन परिस्थितियों में ब्रिटेन को भारत से समर्थन की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी।
  • ब्रिटेन पर मित्र राष्ट्रों (अमेरिका, सोवियत संघ एवं चीन) की ओर से यह दबाव डाला जा रहा था कि युद्ध में वो भारत का समर्थन प्राप्त करे।
  • भारतीयों ने इस शर्त पर मित्र राष्ट्रों के समर्थन को स्वीकार किया कि यदि भारत को ठोस उत्तरदायी शासन तुरंत हस्तांतरित किया जाये और युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को पूर्ण आजादी का वचन दिया जाये।

क्रिप्स मिशन(Cripps Mission) : मुख्य प्रावधान

क्रिप्स मिशन के मुख्य प्रावधान निम्नानुसार थे-
1.डोमिनियन राज्य के दर्जे के साथ एक भारतीय संघ की स्थापना की जायेगी, यह संघ राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा तथा संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं में अपनी भूमिका को खुद ही निर्धारित करेगा।
2. युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नये संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन किया जायेगा। इसके कुछ सदस्य प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा निर्वाचित किये जायेंगे तथा कुछ (रियासतों का प्रतिनिधित्व करने के लिये) राजाओं द्वारा मनोनीत किये जायेंगे।
3. ब्रिटिश सरकार, संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा बनाये गये नये संविधान को अग्रलिखित शतों के अधीन स्वीकार करेगा-

क्रिप्स मिशन PDF

  • संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा, वे भारतीय संघ से पृथक् हो सकेंगे। पृथक् होने वाले प्रान्तों को अपना पृथक् संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा।
  • नवगठित सभा तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा हल करेंगे।
  • यह व्यवस्था लागू न होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा, देश की सुरक्षा का नियंत्रण एवं निर्देशन करेगा तथा गवर्नर-जनरल की समस्त शक्तियां पूर्ववत् बनी रहेंगी।

क्रिप्स मिशन: मूल्यांकन और असफलता

  • इस मिशन में एक ऐसी संविधान सभा के निर्माण की बात कही गई थी जो पूरी तरह से भारतीयों द्वारा निर्मित होनी थी। इससे पूर्व अगस्त प्रस्ताव में जिस संविधान सभा के निर्माण की बात कही गई थी वह पूरी तरह से भारतीयों से निर्मित नहीं थी।
  • क्रिप्स मिशन के माध्यम से संविधान सभा के गठन की एक ठोस योजना प्रस्तुत की गई थी।
  • संविधान सभा का हिस्सा नहीं बनने की इच्छा रखने वाले प्रांत या देशी रियासत के लिए अलग संविधान बनाने का जो प्रावधान किया गया था, वजो कि वास्तव में, भारत के विभाजन का एक प्रयास था।
  • इस मिशन के अंतर्गत भारत को अपनी इच्छा से राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने या नहीं बनने का विकल्प दिया गया था।
  • यह मिशन भारत के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं को पूर्ण नहीं कर सका था और अंततः यह मिशन विफल हो गया था।
  • इस मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी सहित भारत के समस्त राष्ट्रवादी नेताओं को इस बात का आभास हो गया था कि अंग्रेज अभी भी वास्तविक रूप में भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के पक्ष में नहीं है और वे सिर्फ लीपापोती करने की ही मंशा रखते हैं। इसी पृष्ठभूमि के आलोक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई और अंततः वर्ष 1942 में ही भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हो गया था।

क्रिप्स मिशन: कांग्रेस

क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव भारतीय राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में असफल रहे तथा साधारण तौर पर भारतीयों के किसी भी वर्ग की सहमति नहीं प्राप्त कर सके। विभिन्न दलों तथा समूहों ने अलग-अलग आधार पर इन प्रस्तावों का विरोध किया। कांग्रेस ने निम्न आधार पर प्रस्तावों का विरोध किया-

  • भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा दिये जाने की व्यवस्था।
  • देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन के स्थान पर मनोनयन की व्यवस्था।
  • प्रांतों को भारतीय संघ से पृथक् होने तथा पृथक् संविधान बनाने की व्यवस्था, जो कि राष्ट्रीय एकता के सिद्धांत के विरुद्ध था।
  • सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना का अभाव तथा प्रतिरक्षा के मुद्दे पर वास्तविक भागीदारी की व्यवस्था का न होना; गवर्नर-जनरल की सर्वोच्चता पूर्ववत थी; तथा गवर्नर-जनरल को केवल संवैधानिक प्रमुख बनाने की मांग को स्वीकार न किया जाना।
  • महात्मा गाँधी ने क्रिप्स प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुये कहा कि- यह आगे की तारीख का चेक था, जिसका बैंक नष्ट होने वाला था। 
  • जवाहरलाल नेहरू ने क्रिप्स प्रस्तावों के संबंध में कहा कि- क्रिप्स योजना को स्वीकार करना भारत को अनिश्चित खण्डों में विभाजित करने के लिये मार्ग प्रशस्त करना था।

क्रिप्स मिशन: मुस्लिम लीग

मुस्लिम लीग ने भी क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों को निम्न तर्कों के आधार पर अस्वीकार कर दिया :

  • एकल भारतीय संघ की व्यवस्था मुस्लिम लीग को स्वीकार नहीं थी।
  • संविधान सभा के गठन का जो आधार तय किया गया था, वह उसे स्वीकार्य नहीं था तथा प्रांतों के संघ से पृथक् होने तथा अपना पृथक् संविधान बनाने की जो विधि निर्धारित की गयी थी, उससे भी लीग असहमत थी।
  • प्रस्तावों में मुसलमानों के आत्म-निर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक् पाकिस्तान की मांग को नहीं स्वीकार किया गया था।

 

Other Related Links:

Current Affairs UP State Exam
Current Affairs Bihar State Exam

UPPSC

Our Apps Playstore
POPULAR EXAMS
SSC and Bank
Other Exams
GradeStack Learning Pvt. Ltd.Windsor IT Park, Tower - A, 2nd Floor, Sector 125, Noida, Uttar Pradesh 201303 help@byjusexamprep.com
Home Practice Test Series Premium