प्रिय पाठको,
जैसा कि आप जानते हैं परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिये कंप्यूटर एक महत्वपूर्ण भाग है। आज हम मेमोरी यूनिट पर अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा रहे है जो परीक्षा में सफल होने के लिये आपकी सहायता करेगी।
मेमोरी: कंप्यूटर मेमोरी कंप्यूटर में स्टोरेज के लिये वह स्थान है जहाँ डेटा प्रोसेस होता है और प्रोसेसिंग के लिये आवश्यक निदेंश जमा किये जाते हैं। मेमोरी को बड़ी संख्या में छोटे भागों में बांटा जाता है जिन्हें सेल कहा जाता है। प्रत्येक स्थान या सेल का एक विशिष्ट पता होता है जो शून्य से ऋणात्मक एक तक विभिन्न मेमोरी साइज में बदलता है।
मेमोरी मुख्यत: दो प्रकार की होती है:
- प्राथमिक मेमोरी/मुख्य मेमोरी: प्राथमिक मेमोरी केवल उन सूचनाओं व निर्देशों को संगृहित करती है जिनपर कंप्यूटर कार्य करता है। इसकी क्षमता सीमित होती है और एक बार विद्युत आपूर्ति बंद हो जाने पर डाटा समाप्त हो जाता है।
- द्वितीयक मेमोरी: इस प्रकार की मेमोरी को बाह्य अथवा स्थायी मेमोरी भी कहते हैं। यह मुख्य मेमोरी की तुलना में धीमी होती है। यह डेटा/निर्देश के स्थाई रुप से भंडारण के लिये प्रयोग की जाती है।
प्राथमिक मेमोरी के मुख्यत: दो भाग होते हैं -
- रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) – रैम आंकड़ों व सूचनाओं के भंडारण, प्रोग्राम और प्रोग्राम के परिणाम को संगृहित करने के लिये सीपीयू की आन्तरिक मेमोरी है। इसमें लिखा/पढ़ा गया डेटा मशीन के कार्य करने तक रहता है जैसे ही मशीन बंद हो जाती है, डेटा मिट जाता है।
- रैम अस्थायी होती है, इसमें संग्रहित डेटा कंप्यूटर के बंद होने पर या बिजली जाने पर चला जाता है। इसलिये बैकअप के लिये कंप्यूटर में अनइनट्रप्टिबल पावर सिस्टम (यूपीएस) का प्रयोग किया जाता है। रैम अपने आकार और डेटा भंडारण दोनों संदर्भ में छोटी होती है।
मुख्य रुप से रैम तीन प्रकार की होती हैं-
डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM)- यह प्राय: पर्सनल कंप्यूटर में प्रयोग की जाने वाली भौतिक मेमोरी है। डायनेमिक शब्द यह इंगित करता है कि मेमोरी लगातार रिफ्रेश होनी चाहिए अन्यथा यह अपना डाटा खो देगी। इस प्रकार की मेमोरी अधिक किफायती होती है।
स्टेटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (SRAM)- यह मेमोरी DRAM से तेज और कम अस्थायी होती है। लेकिन इसे अधिक बिजली की आवश्यकता होती है और यह अधिक महंगी भी होती है। स्टेटिक शब्द के अर्थ से पता चलता है कि इसे DRAM की तरह रिफ्रेश करने की आवश्यकता नहीं है।
सिंक्रोनियस डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (SDRAM) - एक प्रकार की DRAM जो तेज गति से कार्य कर सकती है।
रीड ओनली मेमोरी(ROM) - एक प्रकार की मेमोरी जिसमें लिखे डेटा को हम पढ़ तो सकते है लेकिन आसानी से बदल नहीं सकते। इस प्रकार की मेमोरी स्थायी होती है। इन मेमोरी में निर्माण के दौरान जानकारियाँ संग्रहित की जाती हैं। एक रैम में वे जानकारियाँ संग्रहित होती है जो कंप्यूटर को शुरु करने के लिये आवश्यक होती हैं। इस आपरेशन को बूटस्ट्रैप के रुप में जाना जाता है।
मुख्य रूप से रोम चार प्रकार की होती हैं:
- MROM (मास्क रोम) - बहुत पहले के रोम हार्डवेयर डिवाइस होते थे जिनमें पहले से प्रोग्राम किये गये डेटा और निर्देश होते थे। इस प्रकार के रोम मास्क रोम कहलाते थे जो कि बहुत महंगे नहीं होते थे।
- PROM (प्रोग्रामेबल रीड आन्ली मेमोरी) - पी रोम वह रोम है जो कि यूजर द्वारा केवल एक बार संशोधित की जा सकती है। यूजर एक खाली पीरोम खरीद कर पीरोम प्रोग्राम के प्रयोग से अपने अनुसार कंटेंट डाल सकता है।
- EPROM (इलेक्ट्रिक्ली एण्ड प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी) - ई पी रोम को 40 मिनट तक अल्ट्रा वायलेट प्रकाश में रखकर उसके डेटा को मिटाया जा सकता है। आमतौर पर ईपीरोम इस प्रक्रिया को आसानी से पूरा करती है।
- EEPROM (इलेक्ट्रिक्ली इरेजेबल एण्ड प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी)- EEPROM को विद्युत से प्रोग्राम करके तथा इसके डेटा को मिटाया जाता है। इसे लगभग 10,000 बार मिटा कर तथा पुन: प्रोग्राम किया जा सकता है। डेटा मिटाने तथा प्रोग्रामिंग करने में मात्र 4 से 10 मिली सेकेण्ड का समय लगता है।
कैश मेमोरी - यह एक बहुत ही उच्च गति वाली सेमीकण्डक्टर मेमोरी होती है जो सीपीयू की स्पीड को बढ़ा देती है। यह मुख्य मेमोरी और सीपीयू के बीच में बफर की तरह कार्य करती है।
द्वितीयक मेमोरी - इस प्रकार की मेमोरी को बाह्य मेमोरी भी कहते हैं। यह मुख्य मेमोरी और अस्थायी मेमोरी से धीमी होती है। इनका प्रयोग डेटा/जानकारी के स्थाई रुप से भण्डारण के लिये किया जाता है। द्वितीयक मेमोरी का डेटा पहले मुख्य मैमोरी में और तब सीपीयू में जाता है। उदाहरण: डिस्क, सीडी रोम, डीवीडी आदि।
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