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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
सामाजिक मुद्दे:
चकमा- और हाजोंग जनजातियों की जनगणना':
क्षेत्रवाद।
प्रारंभिक परीक्षा: चकमा और हाजोंग्स/हाजोंग।
मुख्य परीक्षा:चरम जातीय चेतना से संबंधित चिंताएं।
संदर्भ:
नवंबर 2021 में अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के चकमा- और हाजोंग जनजातियों की जनगणना" करने के लिए एक पत्र जारी किया गया था।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार चकमा-हाजोंग जनजातियों को अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने पर बहुत गंभीरता से विचार कर रही है।
पृष्ठभूमि:
चकमा और हाजोंग कामूल निवास :
चकमा और हाजोंग पहले के पूर्वी पाकिस्तान और अब के बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों के प्रवासी नागरिक हैं।
चकमा बौद्ध धर्म को मानते जबकि हाजोंग हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।
1960 के दशक में कर्णफुली नदी पर बने कप्टाई बांध के कारण उन्हें विस्थापित किया गया था जिसके बाद उन्होंने भारत में शरण मांगी थी।
इसी क्रम में इन प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा वर्ष 1964 से 1969 तक अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में राहत शिविरों में बसाया गया था।
इसके लिए एक पुनर्वास योजना तैयार की गई थी,जिसमे इन लोगों को उनके परिवारों के आकार के आधार पर भूमि और वित्तीय सहायता प्रदान की गई। मिजोरम और त्रिपुरा में भी चकमाओं की अच्छी खासी आबादी है।
कुछ हाजोंग मेघालय के गारो हिल्स और असम के आसपास के क्षेत्रों में भी निवास करते हैं।
चकमा और हाजोंग की वर्तमान स्थिति:
2011 की जनगणना के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में चकमा और हाजोंग की आबादी 47,471 थी ।
हालाँकि चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अनुसार इनकी संख्या वर्तमान में लगभग 65,000 है। इस समुदाय के अधिकांश लोग चांगलांग जिले में रहते हैं।
कुल अनुमानित 65,000 प्रवासियों में से 60,500 प्रवासी जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है, या वे इस तिथि से पहले पैदा हुए लोगों के वंशज हैं नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 3 के तहत यहाँ भारत के नागरिक हैं। शेष 4,500 प्रवासियों के आवेदनों पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है।
इन प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों का तर्क है कि इस समुदाय के लोग 1960 के दशक में भारतीय संघ में स्थायी रूप से बस गए थे।
चूंकि 95% प्रवासियों का जन्म नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी या अरुणाचल प्रदेश में हुआ था,ऐसीं स्थिति में 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत अनिवार्य इनर लाइन परमिट बाहरी लोगों के लिए हैं जो राज्य का दौरा करना चाहते हैं, अतः यह उन पर लागू नहीं होता है।
चकमा और हाजोंग्स की चिंताएं:
विशेष जनगणना के प्रस्ताव को चकमा संगठनों ने दो समुदायों के जातीय मूल के आधार पर नस्लीय/प्रजातीय रूपरेखा (racial profiling) भेदभाव बताया है।
उनका दावा है कि विशेष जनगणना का प्रस्ताव भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अनुच्छेद 1 का उल्लंघन है,जिसे भारत ने पहले से ही मंजूरी दे रखी है।
हाजोंग और चकमा को स्थानांतरित करने के बारे में अरुणाचल प्रदेश के अधिकारियों द्वारा बार-बार दिए गए बयान इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों के खिलाफ हैं।
ज्ञातव्य हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 1996 में चकमा-हाजोंग समुदाय के लोगों को बेदखल करने या बाहर निकालने के किसी भी कदम पर रोक लगा दी थी और केंद्र और राज्य सरकारों को उनकी नागरिकता से सम्बंधित प्रावधानों को संसाधित करने का निर्देश दिया था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भी इसी तरह की टिप्पणी की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2015 के अपने एक फैसले में कहा था कि अरुणाचल प्रदेश को अन्य राज्यों से प्रवासियों के बोझ को साझा करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
कथित तौर पर दोनों समुदायों के सदस्य घृणा अपराध, पुलिस अत्याचार,भेदभाव एवं अधिकारों और लाभार्थी कार्यक्रमों से वंचित हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता :
स्थानीय संगठनों का तर्क है कि केंद्र सरकार ने चकमा-हाजोंग को इन क्षेत्रों में बसाने से पहले स्थानीय समुदायों से सलाह-मशवरा नहीं किया था।
उनका तर्क है कि अरुणाचल प्रदेश को इन प्रवासी चकमाओं और हाजोंगों के आतिथेय का बोझ उठाना पड़ रहा है।
स्थानीय जनजातियों का दावा है कि इन प्रवासियों की आबादी खतरनाक रूप से बढ़ी है और कुछ समय में इनकी आबादी बढ़ी स्वदेशी समुदायों से अधिक हो सकती है।
उनका दावा है कि भूमि, संसाधनों और नौकरियों के मामले में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए इन समुदायों का बढ़ता वर्चस्व उनके अस्तित्व के लिए खतरा हो सकता है ।
अत्यधिक जातीय घृणा के खतरे:
यद्यपि जातीय चेतना एक सार्वभौमिक घटना है, इसे जनजातीय समाज की एक अनूठी विशेषता माना जाता है।
अभिव्यक्ति के अपने अधिक चरम रूपों में ऐसी जातीय चेतना 'अन्य' जातियों का बहिष्कार और घृणा है।
मेघालय की राजधानी शिलांग में गैर-आदिवासी लोगों पर हाल ही में हुए हमलों या गुवाहाटी में एक ईंधन स्टेशन के मालिक को बिहारी श्रमिकों को काम पर रखने पर असम के एक समूह की चेतावनी इसी का उदाहरण है।
जातीय हिंसा समाज को विभाजित कर सकती है ।
यह जातीय हिंसा और गृहयुद्ध के चरम रूप ले सकती है।
जातीय-राष्ट्रवादी लामबंदी अलगाववाद को जन्म दे सकती है।
सारांश (Nut Graf) :
उत्तर-पूर्वी राज्यों का स्वदेशी समुदायों और तथाकथित गैर-स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष का बड़ा इतिहास रहा है।
यह न केवल तथाकथित गैर-स्थानीय लोगों के जीवन के अधिकार और समानता के अधिकार के लिए खतरा है, बल्कि भारत की अखंडता और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती भी है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
प्रधानमंत्री मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे:
भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा: मध्य एशियाई देश; चाबहार पर त्रिपक्षीय कार्यदल।
मुख्य परीक्षा: भारत और मध्य एशियाई देशों की साझेदारी की संभावना; चुनौतियां।
संदर्भ:
भारतीय प्रधान मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के पांच राष्ट्रपतियों के साथ प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे।
शिखर सम्मेलन का प्रस्तावित एजेंडा:
सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि इस सम्मेलन के फोकस के प्रमुख क्षेत्र व्यापार एवं संपर्क, विकास साझेदारी का निर्माण तथा सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाना होगा।
व्यापार:
इस बैठक में प्रतिभागियों से भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा किये जाने की उम्मीद है।
वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार केवल 2 बिलियन डॉलर का है और इसका एक बड़ा हिस्सा भारत द्वारा कजाकिस्तान से ऊर्जा के आयात के रूप में किया जाता है। इस क्षेत्र में भारत का निर्यात नगण्य है।
संपर्क (Connectivity):
भारत अपने संपर्क को मजबूत करने के लिए ईरान और उज्बेकिस्तान के साथ चाबहार पर अपने त्रिपक्षीय कार्य समूह का विस्तार करने की उम्मीद लगा रहा है।
विकास साझेदारी:
भारत ने वर्ष 2020 में ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी, आईटी और कृषि क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिए $ 1 बिलियन की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) का विस्तार किया है और उपरोक्त क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता और विकासात्मक के साथ अपने अनुभव को देखते हुए भारत का इस मोर्चे पर विस्तार करना अपने एजेंडे में शामिल है।
लोगों से लोगों का संपर्क:
मध्य एशियाई देशों के छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत बेहतर प्रयास करेगा।
इससे मध्य एशियाई देशों के साथ लोगों से लोगों के बीच आवश्यक संपर्क करने में मदद मिलेगी और लंबे समय तक भारत के प्रति सद्भावना बनी रहेगी।
अन्य पहलू:
वैश्विक और क्षेत्रीय विकास को भी इस चर्चा का हिस्सा बनाने की संभावना है।
इस बैठक की चर्चा का मुख्य बिंदु COVID-19 महामारी का प्रभाव और महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं का पुनर्निर्माण होना चाहिए।
अफगानिस्तान की अस्थिर स्थिति पर भी चर्चा होने की संभावना है।
चुनौतियां:
यूक्रेन-रूस तनाव:
यूक्रेन-रूस सीमा पर रूस की सेना के एकत्रीकरण रूस और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव पश्चिम संबंधों के लिए एक चुनौती बन सकता है।
पांच मध्य एशियाई राष्ट्रों के पूर्व सोवियत राज्य का पूर्व हिस्सा होने के कारण उनके रूस के साथ घनिष्ठ रणनीतिक संबंध हैं।
कजाकिस्तान में हालिया विद्रोह के दौरान, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति को रूस से समर्थन मिला था।
यू.एस. के साथ तेजी से बढ़ते रणनीतिक संरेखण को देखते हुए, युद्ध छिड़ने की स्थिति में भारत कैच 22 ( catch 22) की स्थिति में फंस जाएगा।
अफगानिस्तान मुद्दा:
हालांकि अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत-मध्य एशिया के देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के साथ-साथ भारत-मध्य एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी चर्चा की गई है, लेकिन सभी मध्य एशियाई देश तालिबान से निपटने के लिए भारत जैसा नहीं रखते हैं।
ताजिकिस्तान को छोड़कर,सभी ने काबुल के साथ अपनी उच्च स्तरीय राजनयिक यात्राएं की,जबकि दो राष्ट्रों उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने अफगानिस्तान में अपने मिशन को फिर से खोल दिया है।
चीन कारक:
हाल ही में आयोजित एक आभासी शिखर सम्मेलन में, चीन ने मध्य एशियाई क्षेत्र को सहायता के लिए $500 मिलियन की पेशकश की है और 2030 तक दोनों पक्षों के बीच व्यापार को $70 बिलियन तक करने का वादा किया है।
वर्तमान में इन पांच देशों का चीन के साथ व्यापार वर्ष 2018 में $40 बिलियन को पार कर गया था, जो की वर्ष 2018 में इस क्षेत्र के साथ भारत के व्यापार का लगभग 20 गुना था ।
मध्य एशियाई क्षेत्र के लिए चीन के पास प्राकृतिक गैस पाइपलाइन, तेल पाइपलाइन, राजमार्ग और एक्सप्रेस वे जैसी रणनीतिक महत्व की कई बड़ी परियोजनाएं हैं।
संपर्क सम्बन्धी चुनौतियां:
मध्य एशिया के लिए कनेक्टिविटी भारत और इस क्षेत्र के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक बनी हुई है, क्योंकि भारत के पास इस क्षेत्र के लिए सीधे भूमि मार्ग नहीं है।
पाकिस्तान,भारत को भूमि मार्ग प्रदान करने का अनिच्छुक रहा है।
ईरान और अफगानिस्तान में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से मध्य एशिया से कनेक्टिविटी के वैकल्पिक मार्ग ने बहुत प्रगति नहीं की है,और हाल ही में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिग्रहण ने इस संभावना को और कम कर दिया है ।
सारांश (Nut Graf):
भारत और मध्य एशियाई राष्ट्रों के बीच मजबूत संबंध दोनों पक्षों के लिए सुरक्षा, ऊर्जा, आर्थिक अवसरों, भू-राजनीति लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
इसलिए सामंजस्य और सहयोग को मजबूत करने की हालिया पहल एक स्वागत योग्य कदम हैं।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सम्पादकीय:
अर्थव्यवस्था:
भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता का विकास:
विषय: भारत में खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योग।
मुख्य परीक्षा: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हेतु उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना।
प्रसंग:
भारत ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLIS)) तैयार की है जिसका उद्देश्य 10900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ वृद्धिशील बिक्री को प्रोत्साहित करना है।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावना:
भारत विश्व में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
भारत में संसाधन है , बड़े घरेलू बाजार और मूल्य वर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने की गुंजाइश है जिसके कारण उसे प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है।
महामारी के कारण, बड़ी संख्या में लोग घर से काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप मार्च-जून 2020 के बीच रेडी-टू-ईट बाज़ार के उत्पादों की मांग में 170% की वृद्धि हुई है।
PLI योजना के उद्देश्य
निर्धारित न्यूनतम बिक्री के साथ मज़बूत भारतीय ब्रांडों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत करना और विदेशों में ब्रांडिंग हेतु निवेश करने के इच्छुक लोगों को प्रोत्साहित करना ।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय ब्रांडों का वैश्विक प्रचार और उपस्थिति सुनिश्चित करना।
रोजगार के अवसरों में वृद्धि
कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और किसानों की आय में वृद्धि करना।
प्रमुख विशेषताऐं
पहला घटक चार प्रमुख खाद्य उत्पाद खंडों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करने से संबंधित है, अर्थात्,
रेडी टू कुक/रेडी टू ईट (RTC/RTE) खाद्य पदार्थ,
प्रसंस्कृत फल और सब्जियाँ,
समुद्री उत्पाद,
मौजेरेला चीज़
अंडे, कुक्कुट मांस, अंडा उत्पाद सहित एसएमई के जैविक उत्पाद भी पहले घटक के अंतर्गत आते हैं।
दूसरा घटक मजबूत भारतीय ब्रांडों को प्रोत्साहित करने के लिए विदेशों में ब्रांडिंग और विपणन के के प्रोहत्साहन से संबंधित है।
विदेशों में भारतीय ब्रांड के प्रचार के लिए, इस योजना में इन-स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस किराए पर लेने और विपणन के लिए अनुदान देने का प्रस्ताव है।
यह योजना 2021-22 से 2026-27 तक लागू की जाएगी।
योजना का महत्व
योजना पर कुल ₹10,900 करोड़ खर्च किए जायेंगे और पहले घटक के तहत 60 आवेदकों का चयन किया जायेगा ।
अगर इसे सही तरीके से क्रियान्वित किया गया तो इस क्षेत्र में अगले दो वर्षों में ₹6,500 करोड़ का निवेश होगा।
अमेरिका के एक अध्ययन के अनुसार सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में 1% की वृद्धि करने से दीर्घावधि में खाद्य निर्माण उत्पादन में 0.06% की वृद्धिहोगी ।
उपरोक्त अध्ययन भारत के संदर्भ में उपयुक्त है ।
यह योजना यूरोप, मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया, अफ्रीका, ओशिनिया और जापान के बाजारों में प्रवेश करने में सहायक सिद्ध होगी ।
MSMEउद्योगों की ऋण तक पहुंच की चुनौतियां
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए वित्त तक पहुंच एक समस्या है।
समस्या मुख्य रूप से MSMEs के लिए उचित क्रेडिट तंत्र की कमी के कारण है।
भावी कदम
स्मार्ट फाइनेंसिंग विकल्प जैसे माइक्रो-फूड प्रोसेसर्स के लिए पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग क्षमता का सृजन करना।
उदाहरण: यूके सरकार के स्वामित्व वाले ब्रिटिश बिजनेस बैंक ने 1,18,000 से अधिक छोटे व्यवसायों को $17.88 बिलियन का कर्ज दिया ।
व्यापार प्राप्य बट्टाकरण/छूट प्रणाली (Trade Receivables Discounting System: TReDS), यह नीलामी तंत्र द्वारा सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित बड़े कॉर्पोरेटों के समक्ष MSMEs के विक्रेताओं के बीजक/विनिमय बिलों के बट्टाकरण में सहायता प्रदान करता ।
इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए भारतीय कंपनियों को उत्पादन और उत्पादकता में अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता होगी।
निष्कर्ष
PLI योजना का उद्देश्य इसमें नए ब्रांडों को शामिल कर खाद्य उत्पादों और प्रसंस्करण दोनों में नवाचार के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
सारांश(Nut Graf):
इस सदी के मध्य तक 10 अरब आबादी का पेट भरने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए उत्पादन के ऐसे कुशल तरीकों की आवश्यकता है जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ हों। इसे ध्यान में रखते हुए में कृषि को खेत से थाली तक और कम पर्यावरणीय नुकसान के साथ पारंपरिक दृष्टिकोण को नया रूप देने की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सम्पादकीय:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विश्वास बनाए रखना:
विषय: भारत और उसके पडोसी देशों से संबंध
मुख्य परीक्षा: कैसे लोगों से लोगों के बीच संपर्क भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम कर सकते है।
प्रसंग:
दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को हवाई यात्रा करने की अनुमति देने के संबंध में पाकिस्तान हिंदू परिषद (Pakistan Hindu Council) के प्रस्ताव को पाकिस्तान ने भारत भेज दिया है।
परिषद का कहना है कि यात्रा की अनुमति देने से पहले दोनों देशों के तीर्थयात्रियों की जांच की जाती है जिसके कारण सुरक्षा को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तीर्थयात्रियों का आवागमन
पाकिस्तान के मुस्लिम और भारत के हिंदुओं और सिखों तीर्थयात्रियों का आवागमन का 1974 में हस्ताक्षरित एक प्रोटोकॉल द्वारा शासित होता हैं।
बलूचिस्तान में हिंगलाज माता मंदिर, खैबर पख्तूनख्वा में परमहंस मंदिर, राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह, दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया और ऐसे ही अन्य तीर्थस्थलों की यात्रा करने के लिए सैकड़ों भारतीय और पाकिस्तानी तीर्थयात्री वाघा/अटारी सीमा पार करते हैं।
चित्र स्रोत: The New Indian Express
आवागमन की वर्तमान चुनौतियां
भारत-पाकिस्तान के संबंध संभवत: अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।
पांच साल से अधिक समय से द्विपक्षीय या बहुपक्षीय स्तर पर कोई राजनीतिक वार्ता नहीं हुई है।
कई आतंकवादी हमलों के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ सामान्य वार्ता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बंद कर दिया
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद, पाकिस्तान ने सभी व्यापारिक संबंधों को तोड़ दिया।
दोनों पक्षों ने अपने राजनयिक मिशनों में कर्मचारियों की संख्या को कम कर दिया है।
COVID-19 महामारी के कारण दो साल तक सीमाएं बंद हो गई हैंकेवल कुछ ही मार्गों से आवागमन हो रहा है ।
दोनों देशों के बीच सद्भावना के संकेत
फरवरी 2021 में नियंत्रण रेखा (LoC) पर युद्धविराम की घोषणा।
नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने का फैसला।
T20 विश्व कप के साथ-साथ अन्य खेल आयोजनों के तहत क्रिकेट को सरकार की मंजूरी।
करतारपुर कॉरिडोरके बारे में अधिक पढ़ें
निष्कर्ष
जबकि परिषद के प्रस्ताव यात्रा प्रतिबंधों को कम करने और लोगों से लोगों के बीच संपर्क कोबढ़ानेमें मदद कर सकते हैं लेकिन भारत सरकार को प्रस्ताव पर विचार करने से पहले सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की जांच करनी चाहिए। दोनों देशों ने भविष्य की राजनीतिक चर्चाओं के लिए मंच तैयार किया है जो यह क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए शुभ संकेत है।
सारांश (Nut Graf):
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भरे माहौल में, लोगों से लोगों के बीच संपर्क की पहल एक हद तक सद्भाव पैदा करने में मदद कर सकती है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सम्पादकीय:
स्वास्थ्य:
सार्वजनिक स्वास्थ्य का तमिलनाडु मॉडल:
विषय: सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
मुख्य परीक्षा: सार्वजनिक स्वास्थ्य का तमिलनाडु मॉडल
प्रसंग
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के अखिल भारतीय कोटा (AIQ) में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की संवैधानिकता को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को देश में सामाजिक न्याय के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य का तमिलनाडु मॉडल
तमिलनाडु की सरकार को 'योग्यता' और इसके सामाजिक निहितार्थों की व्यापक और समावेशी समझ है।
सेवारत डॉक्टरों के लिए आरक्षण देने की सकारात्मक कार्रवाई चालीस वर्षों से अधिक समय से कसौटी पर खरी उतरी है।
सरकारी डॉक्टरों के लिए 50% स्नातकोत्तर और सुपर-स्पेशियलिटी मेडिकल सीटों को आरक्षित करने वाली योजना से सरकारी अस्पतालों में तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में काफी सुधार आया है ।
नीति निर्माताओं ने इन सरकारी डॉक्टरों के लिए एक अद्वितीय सेवानिवृत्ति बांड शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो लोग सेवाकालीन आरक्षण का लाभ उठाकर स्नातकोत्तर या सुपर-स्पेशियलिटी सीटें हासिल करते हैं, वे अपनी सेवानिवृत्ति तक सरकार की सेवा करेंगे।
तमिलनाडु मॉडल की प्रमुख उपलब्धियां:
इसके परिणामस्वरूप राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार हुआ।
प्रगतिशील सुधार ने लगभग हर जिला अस्पताल में स्त्री रोग, संज्ञाहरण, सामान्य चिकित्सा, बाल रोग, सामान्य शल्य चिकित्सा और हड्डी रोग जैसे कई विषयों में विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
न केवल महानगरों बल्कि टियर-2 शहरों में भी विशेषज्ञों की उपलब्धता में लगातार वृद्धि हुई है।
वर्तमान में, तमिलनाडु में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न विषयों के 900 सुपर-स्पेशलिस्ट हैं।
इस योजना ने युवा एमबीबीएस स्नातकों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया
परिणामस्वरूप, राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं है ।
लोगों को उनके घर द्वार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है ।
सेवानिवृत्ति बांड ने यह सुनिश्चित किया है कि अधिकांश विशेषज्ञ अपने पूरे करियर के दौरान सरकारी क्षेत्र में अपनी सेवा जारी रखें।
NEET की वर्तमान प्रवेश नीतियों की आलोचना
2017 के बाद से, राज्यों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों की सभी सीटों को सामान्य परामर्श के लिए केंद्रीय पूल में सरेंडर करें यानी एमबीबीएस सीटों का 15%, स्नातकोत्तर सीटों का 50% और सुपर-स्पेशियलिटी सीटों का 100% केंद्र को सौंप दिया जाए, जिसे अखिल भारतीय कोटा (AIQ) के रूप में जाना जाता है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने सुपर-स्पेशियलिटी डिग्री से छूट देते हुए सेवारत डॉक्टरों को केवल 50% स्नातकोत्तरकी सीटें देने की नीति तैयार की है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने वाले सरकारी डॉक्टरों की संख्या कम हो गई है जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली संकट में है।
हितधारकों के साथ परामर्श की कमी और सार्वजनिक डोमेन में एक अदूरदर्शी कदम के रूप में नीति की केंद्र सरकार की आलोचना की जाती है।
राज्यों को लगता है कि सेवारत डॉक्टरों को प्रोत्साहन न देने से स्वास्थ्य प्रणाली खतरे में पड़ जाएगी।
नीति युवा ग्रामीण डॉक्टरों को हतोत्साहित करती है, जिन्हें अपने शहरी समकक्षों से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल लगता है जिनकी कोचिंग संस्थानों तक पहुंच है।
अनिच्छुक डॉक्टरों को एमबीबीएस के बाद अनिवार्य ग्रामीण सेवा लेने के लिए मजबूर करने या आयुष डॉक्टरों को ग्रामीण चिकित्सकों के रूप में के लिए ब्रिज कोर्स के लिए नीति आलोचना की जाती है।
न्यायालय का दृष्टिकोण
सेवा डॉक्टरों और स्नातकोत्तर संघ के सदस्यों द्वारा सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में 50% आरक्षण को फिर से शुरू करने के लिए दायर एक मामले की सुनवाई करते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र को सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में सेवारत डॉक्टरों के लिए आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया।
हाल के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण को भी योग्यता के निर्धारक के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका मूल्यांकन किसी प्रतियोगी परीक्षा में नहीं किया जा सकता है।"
अदालत ने यह भी कहा कि "योग्यता को सामाजिक रूप से प्रासंगिक और एक ऐसे उपकरण के रूप में पुनर्कल्पित किया जाना चाहिए जो समानता को बढ़ावा दे "।
निष्कर्ष
तमिलनाडु के मॉडल की सफलता की जांच और हाल के अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए, केंद्र सरकार को सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में संबंधित राज्यों के लिए इन-सर्विस डॉक्टरों और आरक्षण को फिर से शुरू करने की सुविधा प्रदान करके योग्यता की अवधारणा को फिर से परिभाषित करना चाहिए।
सारांश(Nut Graf):
न्यायालय के अनुसार, उठाये गये कदमों और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण को भी योग्यता के निर्धारक के रूप में माना जाना चाहिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य में 'योग्यता' और इसके सामाजिक प्रभावों की व्यापक और समावेशी समझ की आवश्यकता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
आंध्र प्रदेश में स्पॉट-बिल पेलिकन की सामूहिक मृत्यु:
संदर्भ:
आंध्र प्रदेश में श्रीकाकुलम जिले के नौपाड़ा दलदल में तेलिनेलापुरम महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) में नेमाटोड संक्रमण स्पॉट-बिल पेलिकन की सामूहिक मृत्यु हुई है।
स्पॉट-बिल पेलिकन:
स्पॉट-बिल पेलिकन (पेलेकनस फिलिपेंसिस) या ग्रे पेलिकन, पेलिकन परिवार का सदस्य है।
यह बड़े अंतर्देशीय और तटीय जल, विशेष रूप से बड़ी झीलों में रहने वाला पक्षी है।
हालाँकि स्पॉट-बिल्ड पेलिकन एक अपेक्षाकृत छोटा पेलिकन पक्षी है बावजूद इसके यह एक बड़ा पक्षी है।
हजारों स्पॉट-बिल पेलिकन साइबेरियाई क्षेत्र से तेलिनेलपुरम IBA में प्रजनन के लिए पलायन करते हैं और उनमें से अधिकांश घर वापस जाने के बजाय यहां रहना पसंद करते हैं।
दक्षिण भारत में तेलिनेलपुरम IBA प्रजनन के लिए इस पक्षी का प्रमुख शीतकालीन प्रवास है।
स्पॉट-बिल्ड पेलिकन जल निकायों और दलदलों में बड़ी मछलियों का शिकार करने में सक्षम होते है।
2. तमिलनाडु ने केंद्र द्वारा अस्वीकार की गई झांकी प्रदर्शित की:
संदर्भ:
तमिलनाडु में गणतंत्र दिवस समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की झांकी का प्रदर्शन किया गया जिसमे मारुडु बंधू, वेलु नचियार, तिरुपुर कुमारन, और कई अन्य की झांकी निहित थी।
तमिलनाडु के कम ज्ञात स्वतंत्रता सेनानी:
18 वीं शताब्दी के अंत में तमिलनाडु के शिवगंगई के दिआर्चल राजा मरुधु पांडियार थे। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी,इन दो भाइयों- चिन्ना मारुडु और पेरिया मारुडु को अंग्रेजों द्वारा पराजित करने के बाद तिरुपत्तूर में फांसी पर लटका दिया गया था।
रानी वेलु नचियार शिवगंगा रियासत की रानी थीं। वह भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध छेड़ने वाली पहली भारतीय रानी थीं।
कुमारन या कुमारसामी मुदलियार जिन्हें तिरुपुर कुमारन के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।
ब्रिटिश पुलिस की लाठियों का शिकार होने के बाद भी तिरुपुर कुमारन ने झंडा थाम रखा था।
भले ही उन्होंने देश की स्वतंत्रता में बड़ी भूमिका नहीं निभाई हो, लेकिन उन्हें देश के लिए राष्ट्रीय गौरव, देशभक्ति के उत्साह और निस्वार्थ प्रतिबद्धता का श्रेय दिया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
रूस में तनाव से तेल 89 डॉलर चढ़ा:
हाल ही में तेल की कीमत बढ़कर 89 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जो सात साल के उच्चतम मूल्य के आसपास है।
कीमतों में वृद्धि के लिए कम आपूर्ति और मांग संतुलन को एक कारक के रूप में देखा जा रहा है।
यूक्रेन पर बढ़ते तनाव और हौथियों के संयुक्त अरब अमीरात के तेल के बुनियादी ढांचे के लिए खतरे ने संभावित आपूर्ति व्यवधानों और तेल की कीमतों में वृद्धि की चिंता बढ़ा दी है।
2.विकास प्रभावित हो रहा हैं:
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ष 2022 के लिए विश्व सकल घरेलू उत्पादन 4.4% रहने का अनुमान लगाया है।
आईएमएफ ने वैश्विक आर्थिक सुधार प्रक्रिया में COVID-19 के ओमिक्रॉन संस्करण द्वारा पैदा की गई बाधा परभी टिप्पणी की है।
3. नफरत और द्वेष के संवाद कक्ष: क्लब हाउस
सोशल ऑडियो ऐप क्लब हाउस पर सांप्रदायिक और स्त्री सम्बन्धी द्वेषपूर्ण बातचीत की बढ़ती रिपोर्टों ने कई सोशल मीडिया समूहों में प्रौद्योगिकी और चरम विचारधारा के प्रतिच्छेदन को उजागर किया है।
यह तथ्य तकनीक के माध्यम से आसानी से घृणा के प्रसार की ओर इशारा करता है।
इस तरह के घटनाक्रम से उत्पन्न खतरे के बावजूद, सोशल बिचौलियों को उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
भारत के IT अधिनियम के तहत,क्लबहाउस एक ऐसा 'मध्यस्थ' प्लेटफार्म है जो ऑनलाइन तृतीय-पक्ष सामग्री को प्रकाशित करता है।
ऐसे मध्यस्थ IT अधिनियम की धारा 79 द्वारा प्रदान किए गए 'सुरक्षित ठिकाने ' के कारण सुरक्षित रहते हैं,जो कहता है कि उन्हें जब तक किसी भी सामग्री के लिए जिम्मदेर नहीं ठहराया जा सकता जब तक वे इसकी पहल नहीं करते हैं, प्राप्तकर्ता का चयन नहीं करते हैं, या इसमें बदलाव नहीं करते हैं।
फेसबुक, ट्विटर और गूगल सभी इस नियम ला लाभ उठाते हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. मिलिना साल्विनी को निम्न में से किस भारतीय शास्त्रीय कला (नृत्य) में योगदान के लिए जाना जाता है?
सत्त्रिया नृत्य
कथकली नृत्य
ओडिसी नृत्य
कुचिपुड़ी नृत्य
उत्तर: B
व्याख्या:
इटली में जन्मी नर्तकी मिलिना साल्विनी भारतीय शास्त्रीय कला, विशेषकर कथकली की बहुत बड़ी नृत्यंगना थीं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सी/से भारतीय सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा एजेंसियां या कमांड हैं?
1.अंडमान और निकोबार कमांड
2.सामरिक बल कमान
3.रक्षा साइबर एजेंसी
4.रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी
विकल्प:
केवल 1
केवल 1 और 2
केवल 3 और 4
1, 2, 3 और 4
उत्तर: D
व्याख्या:
अंडमान और निकोबार कमान (ANC) भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थिएटर कमान है।
भारत की परमाणु कमान की अनदेखी करने वाली सामरिक बल कमान एक त्रि-सेवा कमान है।
डिफेंस साइबर एजेंसी एक त्रि-सेवा कमांड है।
रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी कर्मचारियों का चयन तीनों भारतीय सशस्त्र बलों से करती है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही हैं?
1.1960 के दशक में इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) परियोजना सोवियत संघ के सहयोग से शुरू की गई थी।
2.इसका उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षाओं में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए वाणिज्यिक बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
विकल्प:
केवल 1
केवल 2
दोनों 1 और 2
न तो 1 और न ही 2
उत्तर: B
व्याख्या:
SSLV का उद्देश्य छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में प्रक्षेपित करने की बाजार की जरूरतों को पूरा करना है,जो हाल के वर्षों में छोटे उपग्रहों के लिए विकासशील देशों, निजी निगमों और विश्वविद्यालयों के कारण बढ़ी है।
SSLV के डिजाइन और विकास से संबंधित इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) परियोजना इसरो का एक हालिया उपक्रम है।
SSLV की पहली उड़ान का शुभारंभ जुलाई 2019 में किया जाना था, लेकिन कोविड 19 संकट और अन्य मुद्दों के कारण इसमें देरी हुई है।
प्रश्न 4. अमेरिका के COMPETES अधिनियम 2022 के माध्यम से भारत को लाभ होने की संभावना है क्योंकि -
यह चीन को प्रति-संतुलित करने के लिए हिंद महासागर में भारत को एक सैन्य भूमिका प्रदान करेगा ।
इसके तहत अमरीका भारत को EV बैटरी के विकास की तकनीक देगा।
इसमें नए स्टार्टअप वीजा देकर दुनिया के प्रतिभाशाली व्यक्तियों के लिए नए रास्ते खोलने का प्रस्ताव है।
इसके तहत भारत जैसे देशों को अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए जलवायु वित्त सहायता दी जायगी।
उत्तर: C
व्याख्या:
हाल ही में यूनाइटेड स्टेट्स हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने एक महत्वाकांक्षी अमेरिका क्रिएटिंग अपॉर्चुनिटीज फॉर मैन्युफैक्चरिंग, प्री-एमिनेंस इन टेक्नोलॉजी और इकोनॉमिक स्ट्रेंथ एक्ट 2022 या अमेरिका COMPETES अधिनियम 2022 बनाया है,जिसमें नए स्टार्ट-अप वीजा के माध्यम से दुनिया भर के प्रतिभाशाली व्यक्तियों के लिए नए रास्ते खोलने का प्रस्ताव है।
इसका मतलब यह होगा कि अमेरिका में भारतीय प्रतिभाओं और कुशल कामगारों के लिए अधिक अवसर उपलब्ध होंगे।
प्रश्न 5. संविधान के 42वें संशोधन द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में जोड़ा गया था?
पुरुषों एवं महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन।
उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी ।
काम, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता का अधिकार।
श्रमिकों के लिए जीवनयापन हेतु मजदूरी और काम की मानवीय स्थितियों को सुरक्षित बनाना ।
उत्तर: B
व्याख्या:
संविधान के अनुच्छेद 39 (ए), समान न्याय को बढ़ावा देने के लिए गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देना, अनुच्छेद 48(ए) में राज्य से अपेक्षा की गयी है कि वह पर्यावरण के संरक्षण और सुधार तथा देश के वनों व वन्य जीवों के संरक्षण का प्रावधान करता है,और अनुच्छेद 43ए,उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राज्य कदम उठाएगा। सम्बंधित जानकारी 1976 के 42वें संविधान संशोधन के दौरान निदेशक तत्वों में जोड़ी गई।
अनुच्छेद 39-पुरुषों एवं महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन।
अनुच्छेद 41-काम, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता का अधिकार।
अनुच्छेद 43 -श्रमिकों के लिए जीवनयापन हेतु मजदूरी और काम की मानवीय स्थितियों को सुरक्षित बनाना ।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में भारत अभी प्रारंभिक अवस्था में है। भारत को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विश्व में अग्रणी बनाने के उपाय सुझाइए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 3/कृषि)
प्रश्न 2. दीर्घकाल में लोगों के बीच बेहतर संपर्क भारत-पाकिस्तान के सौहार्दपूर्ण संबंधों को फिर से स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता है। टिप्पणी कीजिए । (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
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