समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
स्वास्थ्य:
प्रतिसूक्ष्मजीवी प्रतिरोध की चुनौती:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे:
प्रारंभिक परीक्षा: AMR के संबंध में रोगजनकों से संबद्ध चिंताएं ।
मुख्य परीक्षा: GRAM रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष; AMR के कारण; इस चुनौती का मुकाबला करने और उससे संबद्ध चिंताएं एवं सिफारिशें।
संदर्भ:
हाल ही में द लैंसेट में ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (GRAM) रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
GRAM रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड बिग डेटा इंस्टीट्यूट और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स (IHME) ने सयुक्त रूप से जारी की है।
यह रिपोर्ट 204 देशों के रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के वैश्विक प्रभाव का एक व्यापक अनुमान है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में कम से कम 4.95 मिलियन मौतें बैक्टीरिया AMR से हुई हैं।
इसके अनुमान के अनुसार AMR विश्व स्तर पर होने वाली मौतों का सबसे प्रमुख कारण है, यह संख्या एड्स या मलेरिया से होने वाली मौतों से भी अधिक है।
AMR से जुड़ी मौतों के लिए छह प्रमुख जिम्मेदार रोगजनकों में एस्चेरिचिया कोलाई प्रमुख हैं इसके बाद स्टैफिलोकोकस ऑरियस, क्लेबसिएला न्यूमोनिया, स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, एसिनेटोबैक्टर बाउमैनी और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा का क्रम आता है ।
वर्ष 2019 में AMR से जुड़ी 3.57 मिलियन मौतों के लिए अकेले ये छह रोगजनक जिम्मेदार थे।
श्वसन पथ के निचले भाग में संक्रमण सबसे आम संक्रामक सिंड्रोम है,जो वर्ष 2019 में 1.5 मिलियन से अधिक AMR से संबंधित मौतों के लिए जिम्मेदार थे।
AMR के प्रभाव की एक उल्लेखनीय विशेषता उसकी क्षेत्रीय भिन्नता है।
AMR के कारण होंने वाली मृत्यु दर पश्चिमी उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक और आस्ट्रेलिया में सबसे कम दर्ज की गई थी।
AMR के कारण मृत्यु दर पश्चिमी उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक और आस्ट्रेलिया में सबसे कम थी।
दक्षिण एशिया में वर्ष 2019 में AMR के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 3,89,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध:
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) रोगाणुरोधी उपचार करने के लिए सूक्ष्मजीवों की क्षमता को संदर्भित करता है।
उपलब्ध एंटीमाइक्रोबायल्स अप्रभावी हो जाते हैं क्योंकि वायरस, कवक और बैक्टीरिया जैसे रोगजनक उनके लिए प्रतिरोधी बन जाते हैं।
रोगाणुरोधी में एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक शामिल होते हैं।
चिंताएं:
मौत का प्रमुख कारण:
आम जीवाणुओं में बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) ने उन्हें उपचार के प्रति अधिक प्रतिरोधी बना दिया है।
परिणामस्वरूप, सामान्य संक्रमण जैसे कि निचले श्वसन पथ,रक्तप्रवाह और पेट के संक्रमण के कारण हर साल सैकड़ों हजारों लोगों की मौत हुई है ।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा:
एएमआर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है।
चूंकि सूक्ष्मजीव अब दवाओं के प्रति संवेदनहीन हो गए हैं जिसके कारण संक्रमण का इलाज करना कठिन है और इससे बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।इसके कारण उपलब्ध उपचार भी अप्रभावी हो जाता हैं।
पहले निमोनिया जैसे संक्रमण जिनका आसानी से इलाज हो जाता था अब अस्पताल में हुए संक्रमण एवं खाद्य जनित बीमारियां भी AMR के कारण कुछ मामलों में लाइलाज हो गई हैं।
विशेष रूप से खतरनाक और सम्पूर्ण-प्रतिरोधी बैक्टीरिया (जिसे "सुपरबग" भी कहा जाता है) का तेजी से वैश्विक प्रसार हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने AMR को मानवता के सामने शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक माना है।
वृद्धि और विकास पर प्रभाव:
अर्थव्यवस्था पर AMR की लागत बहुत महँगी पड़ती है।
मृत्यु और विकलांगता के अलावा, पीड़ित लोगो को लंबी बीमारी के परिणामस्वरूप लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है, साथ ही उन्हें अधिक महंगी दवाओं की आवश्यकता होती है और इससे प्रभावित लोगों के सामने वित्तीय चुनौतियां खड़ी हो जाती होती हैं।
बच्चों की अतिसंवेदनशीलता:
हालांकि सभी को AMR से खतरा है, विशेष रूप से छोटे बच्चे इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
बच्चे AMR से लगातार प्रभावित हो रहे हैं।
वर्ष 2019 में, AMR के कारण होने वाली पांच वैश्विक मौतों में से एक मौत पांच साल से कम उम्र के बच्चे की होती हैं ।
स्वास्थ्य प्रथाओं पर प्रभाव:
रोगाणुरोधी प्रतिरोध का वैश्विक स्वास्थ्य प्रथाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
AMR मरीजों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए अस्पतालों की क्षमता कम पड़ रही है,यह सर्जरी, प्रसव और कैंसर के उपचार सहित आवश्यक चिकित्सा हेतु डॉक्टरों की क्षमता को कम कर रहा है।चूंकि इन प्रक्रियाओं के बाद संक्रमण एक बड़ा जोखिम बन जाता है।
संक्रमण के इलाज में प्रभावी रोगाणुरोधी के बिना आधुनिक चिकित्सा के दौरान जिसमें प्रमुख सर्जरी और कैंसर कीमोथेरेपी मुख्य हैं का जोखिम बढ़ जाता हैं।
सिफारिशें:
एएमआर एक जटिल समस्या है जिसके हल लिए एक संयुक्त बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
एंटीबायोटिक दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग:
रोगाणुरोधी दवाओं का विवेकपूर्ण एवं बौद्धिक तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए।
एंटीबायोटिक्स का उपयोग WHO की सिफारिशों के अनुसार केवल वहीं किया जाना चाहिए जहां आवश्यक हो।
एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण:
भोजन और पशु उत्पादन में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग इष्टतम तरीके से किया जाना चाहिए।
यह बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लिए कई क्षेत्रों और हितधारकों को एक साथ लाता है जो मानव, स्थलीय एवं जलीय जानवरों तथा पौधों के स्वास्थ्य, भोजन और भोजन उत्पादन, एवं कार्यक्रमों, नीतियों, कानून और अनुसंधान और कार्यान्वयन में एक साथ संवाद करने और काम करने के लिए पर्यावरण में लगे हुए हैं।
संक्रमण के प्रसार की निगरानी :
AMR के प्रादुर्भाव और इसके प्रसार की निगरानी के लिए एक संरचित निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
इससे प्रमुख रोगजनकों की पहचान करने और इस मुद्दे पर साक्ष्य-आधारित नीति बनाने में मदद मिलेगी।
WHO ने वर्ष 2015 में वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध और उपयोग निगरानी प्रणाली (GLASS) की शुरुआत की ताकि ज्ञान अंतराल को भरना जारी रखा जा सके और मुख्य रणनीतियों को सभी स्तरों पर सूचित किया जा सके।
GLASS की कल्पना मनुष्यों में AMR की निगरानी, रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग की निगरानी, खाद्य श्रृंखला और पर्यावरण में AMR डेटा को उत्तरोत्तर शामिल करने के लिए की गई है।
संक्रमण को नियंत्रित करना:
स्वच्छ पानी,स्वच्छता की कमी और अपर्याप्त संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण रोगाणुओं के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिनमें से कुछ प्रतिसूक्ष्मजीवी उपचार के लिए प्रतिरोधी हो सकते हैं।
विश्व एवं राष्ट्रीय और निजी अस्पतालों में संक्रमणों को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए टीकों, स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच की आवश्यकता है।
रोगाणुरोधी दवाओं को हर किसी के लिए सस्ता और सुलभ बनाया जाना चाहिए।
नए रोगाणुरोधी विकसित करना:
वर्ष 1980 से 2000 के बीच नैदानिक उपयोग के लिए 63 नई एंटीबायोटिक दवाओं को मंजूरी दी गई थी।
जबकि वर्ष 2000 से 2018 के बीच केवल 15 अतिरिक्त एंटीबायोटिक दवाओं को ही मंजूरी दी गई थी।
सात सबसे घातक दवा प्रतिरोधी जीवाणुओं में से केवल दो के लिए ही टीके उपलब्ध हैं (स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस)।
नए रोगाणुरोधी के विकास के संबंध में अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
इसके लिए धन के आवंटन को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण और आवश्यक मानव संसाधनों के विकास की आवश्यकता होगी।
साथ ही नए रोगाणुरोधी विकसित करने के प्रयासों को प्राथमिकता वाले रोगजनकों जैसे के. न्यूमोनिया और ई. कोलाई पर लक्षित होना चाहिए।
सामंजस्य एवं सहयोग:
इस मुद्दे की गंभीरता और संसाधनों की क्षमता को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ा है जो एक स्वागत योग्य प्रयास होगा।
विश्व वर्ष 2015 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान एएमआर पर ग्लोबल एक्शन प्लान 1 (जीएपी) 2015 के निर्धारित ढांचे के लिए प्रतिबद्ध देशों और बहुक्षेत्रीय राष्ट्रीय कार्य योजनाओं के विकास और कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सारांश (Nut Graf):
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) वैश्विक स्वास्थ्य और विकास दोनों के लिए खतरा है।इस संबंध में तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है,क्योंकि एएमआर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सम्पादकीय:
शिक्षा:
स्कूल बंद होने के विनाशकारी प्रभाव:
शिक्षा से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
मुख्य परीक्षा: भारत में बच्चों पर स्कूल बंद होने के परिणाम
प्रसंग: यह लेख बच्चों पर स्कूल बंद होने के प्रतिकूल परिणामों के विषय में है।
कोविड -19 महामारी ने स्कूलिंग को कैसे प्रभावित किया है:
यूनिसेफ का अनुमान है कि स्कूल बंद होने से भारत में लगभग 25 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं।
स्कूल बंद करने का प्राथमिक कारण “बच्चों” की “रक्षा करना” है।
कुछ चिकित्सा पेशेवरों ने तर्क दिया है कि बच्चों के लिए COVID-19 टीके आवश्यक हैं क्योंकि बच्चों से वयस्कों में संक्रमण हो सकता है ।
स्कूल बंद होने के परिणाम:
शिक्षण कौशल का अभाव: यह देखा गया है कि बच्चों की पढ़ने और लिखने की क्षमता प्रभावित हुयी है , जिसके कारण लगभग आधे बच्चे कुछ शब्दों से अधिक पढ़ने और उनमें से एक तिहाई से ज्यादा बच्चे कुछ भी पढने में असमर्थ थे।
मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे: मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अति चिंताजनक हैं। U.K. में बच्चों बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे बढे हैं। इसी तरह, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संकट को राष्ट्रीय आपातकाल का दर्जा दिया है।
कुपोषण का बढ़ता मुद्दा : स्कूलों के बंद होने के बाद, बच्चों के मध्याह्न भोजन से वंचित होने के कारण, कुपोषण एक गंभीर समस्या बन गई है।
बाल श्रम: बाल श्रम के विरुद्ध प्रगति स्कूल बंद होने के कारण उलट गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हमारे यहाँ बाल श्रम में अनुमानित 10.1 मिलियन बच्चे थे।
हिंसा और शोषण का बढ़ता जोखिम: स्कूल बंद होने पर कम आयु में होने वाले विवाह बढ़ जाते हैं, लड़कियों और युवा महिलाओं का यौन शोषण बढ़ जाता है तथा किशोरावस्था में गर्भधारण की संख्या अधिक हो जाती है एवं बाल श्रम भी बढ़ जाता है।
पहले से उपस्थित असमानताओं को गहराता डिजिटल डिवाइड: स्कूल बंद होने से कक्षाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है। गरीब परिवारों के लाखों बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गए क्योंकि उनके पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं है।
ऑनलाइन शिक्षा की अनुपयुक्तता: भौतिक कक्षाओं के बदले ऑनलाइन शिक्षा एक व्यर्थ विकल्प सिद्ध होगी क्योंकि बच्चे प्राथमिक और पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में, शिक्षकों औरसहपाठियों के माध्यम से ही कुशलता से सीख सकते हैं।
इस संदर्भ में की गई पहलें:
'हैप्पी 2022, हैप्पी फॉर किड्स टू' पहल: प्रोफेसरों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के एक समूह ने 'हैप्पी 2022, हैप्पी फॉर किड्स टू' एक पहल शुरू की है, जिसे विभिन्न महामारी विज्ञानियों, डॉक्टरों और शिक्षाविदों ने समर्थन दिया है।
स्कूलों को फिर से खोलने के लिए UNICEF फ्रेमवर्क: यह पहल UNESCO, UNHCR, WFP और विश्व बैंक के साथ संयुक्त रूप सेशुरू की गई है, जो राष्ट्रीय और स्थानीय अधिकारियों को प्रत्येक छात्र की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के लिए व्यावहारिक परामर्श की एक पहल है।
अनुशंसाएँ: -
निष्कर्ष: -
शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार है। लंबे समय तक स्कूल बंद रहना तथा गुणवत्ता और सुलभ ऑनलाइन शिक्षा का अभाव बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है।
सारांश (Nut Graf): -
स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। सबसे कमजोर बच्चे और जो दूरस्थ शिक्षा तक पहुंचने में असमर्थ हैं,उनके बाल विवाह या बाल श्रम करने का जोखिम बढ़ जाता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सम्पादकीय:
स्वास्थ्यः
ओमीक्रोन से निपटना और भविष्य में की जाने वाली तैयारी
सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: - भारत में COVID-19 की तीसरी लहर से निपटने के उपाय
प्रसंग: -
इस लेख में COVID-19 की तीसरी लहर से निपटने के लिए उठाए गए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गयी है।
ओमीक्रोन क्या है?
इसकी संरचना में कई ऐसे बदलाव हैं जो इसके कार्य को प्रभावित कर सकते हैं जिसके आधार पर WHO ने COVID-19 ओमीक्रोन वेरिएशन को चिंता का विषय बताया है।
ओमीक्रोन के बारे में अधिक जानकारी के लिए - Omicron - Variant of Concern (VOC) by WHO
भारत में COVID-19 की तीसरी लहर से निपटने के उपाय:
इस लहर के संक्रमण और अस्पताल में भर्ती को ध्यान में रखते हुए, पुराने संकेतक जैसे कि परीक्षण सकारात्मकता दर अक्षम हैं इसलिए निर्णय लेने के लिए अधिक प्रभावी मापदंडों का उपयोग किया जाना चाहिए।
विज्ञान और साक्ष्य-आधारित मामले की पहचान और उपचार योजनाओं को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए, जिनका सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा कड़ाई से पालन किया जाता है।
केवल बड़े सार्वजनिक समारोहों के अपवाद के साथ अनावश्यक COVID-19 प्रतिबंधों को कम करके आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने का प्रयास करना चाहिए।
'इन्फोडेमिक' की चुनौती का सामना करने के लिए भरोसेमंद स्रोतों से एक विश्वसनी यह सुनिश्चित करने के लिए कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां सामान्य स्थिति में लौट आएं, नई वैज्ञानिक और महामारी विज्ञान संबंधी समझ का उपयोग करना चाहिए।
नागरिकों को COVID उपयुक्त व्यवहार का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना और मुफ्त मास्क वितरण के लिए सार्वजनिक सब्सिडीदी जानी चाहिए।
हर सेटिंग में सामान्य चिकित्सकों, पारिवारिक चिकित्सकों और प्राथमिक देखभाल प्रदाताओं को प्रशिक्षित और सशक्त बनाना चाहिए।
निष्कर्ष: -
महामारी से सबसे बड़ी सीख यह है कि भारत को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, जो महामारी के बाद COVID-19 प्रतिक्रिया का आधार बन सकती है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिकांश संक्रमणों का पता चल रहा है और COVID-19 मामलों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में भागीदारी ली जा रही है, महामारी प्रतिक्रिया रणनीति को संशोधित किया जाना चाहिए ।
सारांश (Nut Graf):
नई वैज्ञानिक और महामारी विज्ञान की समझ का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां सामान्य स्थिति में लौट आएं। प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य के मूलभूत ढांचे में सुधार पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना होगा जो महामारी के बाद की अवधि में सामाजिक-आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
प्रीलिम्स तथ्य:
1.नेताजी को भारत के पहले PM के रूप में मान्यता मिले : TMC
संदर्भ:
TMC के एक वरिष्ठ सदस्य ने केंद्र सरकार से नेताजी सुभाष चंद्र बोस को देश के पहले प्रधान मंत्री के रूप में मान्यता देने की मांग की है क्योंकि उन्होंने अक्टूबर 1943 में गठित स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार का नेतृत्व किया था।
यह वक्तव्य सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर आया है।
आजाद हिंद सरकार (Azad Hind government):
सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद (स्वतंत्र भारत) की अस्थायी सरकार के गठन की घोषणा की, जिसमें उन्होंने खुद को सर्वोच्च सेनापति, प्रधान मंत्री और युद्ध मंत्री के रूप में शामिल किया था। इस प्रकार यह भारत की पहली स्वतंत्र अस्थाई सरकार बनी।
घोषणा के तुरंत बाद इस अस्थाई सरकार को जापान, क्रोएशिया, इंडोनेशिया, जर्मनी और इटली सहित कुछ अन्य देशों ने मानयता प्रदान की। इन देशों के साथ उनके राजनयिक संबंध भी थे।
आजाद हिंद की सरकार की अपनी मुद्रा, अदालत, नागरिक संहिता और राष्ट्रगान था।
इस अस्थाई सरकार ने भारतीयों को पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने के लिए लामबंद किया ।
महत्वपूर्ण तथ्य:
सीमा पार 100 से अधिक आतंकवादी भारत में घुसपैठ का इन्तजार कर रहे हैं: BSF
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने कहा है कि LOC के पार लॉन्च पैड पर करीब 135 आतंकवादी भारत में घुसपैठ की प्रतीक्षा में हैं।
वर्ष 2021 में LOC के पार से घुसपैठ के लगभग 58 प्रयास किए गए।जबकि एलओसी पर घुसपैठ में गिरावट आई है।
BSF ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि वर्ष 2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद से नियंत्रण रेखा पर स्थिति शांतिपूर्ण रही है।
2.भारत-इज़राइल ने संबंधों में मील का पत्थर तय किया :
भारत और इज़राइल ने तीन दशकों के राजनयिक संबंधों का जश्न मनाने की एक श्रृंखला शुरू की है, जो 1992 में शुरू हुई थी।
भारतीय प्रधान मंत्री ने पहले इन द्विपक्षीय संबंधों की क्षमता को रेखांकित करते हुए भारत और इज़राइल को प्राकृतिक साझेदार करार दिया है।
भारत-इज़राइल सम्बन्ध रक्षा प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला, जल प्रौद्योगिकी, कृषि, व्यापार और नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र से सम्बंधित हैं।
3. 'भारत वर्ष 2026 तक 300 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात कर सकता है':
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) द्वारा जारी एक दस्तावेज़ के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स पर बनी राष्ट्रीय नीति (एनपीई) 2019 के अनुसार वर्ष 2025 तक 400 अरब डॉलर के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले भारत 2026 तक 300 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात कर सकता है।
तय लक्ष्य से कम वृद्धि होने के बावजूद, महामारी के कारण पैदा हुई अधिकांश चुनौतियों के कारण, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र ने पूर्व महामारी चरण के वर्षों में प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है।
उद्योगों द्वारा सामना की जा रही प्रमुख चुनौतियों में गुणात्मक (गैर-टैरिफ, बुनियादी ढांचे से संबंधित) और मात्रात्मक (टैरिफ, मुक्त व्यापार समझौते आदि) पहलू शामिल हैं।
4. यूक्रेन संकट के बीच, नाटो ने पूर्वी यूरोप में विमान, जहाज भेजे:
नाटो सहयोगियों ने बलों को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है ।
यूक्रेन के आसपास रूस के सैन्य एकत्रीकरण के मद्देनजर यूरोप की पूर्वी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अधिक जहाजों और जेट को तैनात किया जा रहा हैं।
यदि रूस अधिक सेना भेजता है तो अमेरिका उस पर और प्रतिबंध लगा सकता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. स्टार प्रचारकों के संबंध में दिए गए निम्न कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी स्टार प्रचारक को परिभाषित या विनियमित करता हो कि किसे स्टार प्रचारक बनाया जा सकता है और किसे नहीं।
चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों द्वारा चुनाव प्रचार को विनियमित करने हेतु आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के तहत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
चुनाव आयोग द्वारा एक स्टार प्रचारक को उनके निर्वाचन क्षेत्रों को निर्दिष्ट करते हुए नामित किया जाता है।
एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में 40 स्टार प्रचारक और एक गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दल के 20 स्टार प्रचारक हो सकते हैं।
विकल्प:
केवल 1, 2 और 3
केवल 2 और 4
केवल 1, 2 और 4
केवल 1 और 4
उत्तर: C
व्याख्या:
ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह परिभाषित करता हो कि स्टार प्रचारक कौन होता है।
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमे राजनीतिक दल कुछ ऐसे बड़े नामों का प्रस्ताव रखते हैं, जिनके बारे में पार्टियों को लगता है कि चुनाव में दूसरों की तुलना में उनमे अधिक वोट हासिल करने की क्षमता है।
एक पार्टी के चुनाव में एक स्टार प्रचारक एक सेलिब्रिटी वोट एकत्र करने वाला वाला होता है।
यह स्टार प्रचारक व्यक्ति राजनेता या फिल्म स्टार भी हो सकता है।
स्टार प्रचारक किसे बनाया जा सकता है और किसे नहीं, इसे विनियमित करने वाला कोई कानून नहीं है।
उन्हें संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्रों और स्थिति की अवधि को निर्दिष्ट करते हुए नामित किया जाता है।
चुनाव आयोग द्वारा घोषित एक 'मान्यता प्राप्त' पार्टी - अधिकतम 40 स्टार प्रचारकों को और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल अधिकतम 20 स्टार प्रचारकों को नामांकित कर सकता है। हालाँकि महामारी के कारण मान्यता प्राप्त दलों के लिए इसे घटाकर 30 और गैर-मान्यता प्राप्त दलों के लिए 15 कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि चुनाव आयोग के पास यह तय करने की शक्ति नहीं है कि कौन स्टार प्रचारक हो सकता है।
प्रश्न 2. इंस्पायर पुरस्कार-मानक (INSPIRE-MANAK Awards ) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
इस योजना का क्रियान्वयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (National Innovation Foundation) के साथ मिलकर किया जा रहा है।
इसमें सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा 6 से 10 के छात्र शमिल हैं जो 10-15 वर्ष के आयु वर्ग के हैं।
इसमें चयनित छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना के माध्यम से बैंक खातों में 10,000 रूपए की धनराशि दी जाती है।
दिए गए कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
केवल 2
केवल 3
केवल 1 और 3
इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: D
व्याख्या:
'इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च' (INSPIRE) योजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।
INSPIRE अवार्ड्स - MANAK (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज), DST द्वारा नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन - इंडिया (NIF), DST के एक स्वायत्त निकाय के साथ निष्पादित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कक्षा 6 से 10 में पढ़ने वाले छात्रों को प्रेरित करना है।
इस योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित दस लाख मूल विचारों / नवाचारों को लक्षित करना है।
इसमें चयनित छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना के माध्यम से बैंक खातों में 10,000 रूपए की धनराशि दी जाती है।
प्रश्न 3. समाचारों में देखे जाने वाले "मिन्स्क समझौते" के तहत हस्ताक्षर किन देशों के बीच किए गए:
रूस और संक्युत राज्य अमेरिका
रूस और बेलारूस
रूस और यूक्रेन
रूस और क्रीमिया
उत्तर: C
व्याख्या:
मिन्स्क समझौते पर हस्ताक्षर वर्ष 2015 में रूस और यूक्रेन के बीच किए गए थे।
यह समझौता मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम की प्रतिबद्धता है।
प्रश्न 4. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, वीरबाला कनकलता बरुआ ने निम्न में से किस आंदोलन में भाग लिया ?
सविनय अवज्ञा आंदोलन
नमक सत्याग्रह
असहयोग आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर: D
व्याख्या:
कनकलता बरुआ जिन्हें बीरबाला भी कहा जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थीं,जिन्हें 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश पुलिस ने गोली मार दी थी।
प्रश्न 5. वाणिज्य में प्राणि-जात और वनस्पति-जात व्यापार संबंधी विश्लेषण (ट्रैफिक) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (UPSC 2017)
1.ट्रैफिक संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तहत एक ब्यूरो है।
2.ट्रैफिक का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि जंगली पौधों और जानवरों का व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिए खतरा नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1, न ही 2
उत्तर: B
व्याख्या:
वन्यजीव व्यापार दुनिया की सबसे अधिक दबाव वाली संरक्षण चुनौतियों में से एक है, जिससे लाखों लोग और हजारों वन्यजीव प्रजातियां प्रभावित होती हैं।
वाणिज्य में प्राणि-जात और वनस्पति-जात व्यापार संबंधी विश्लेषण (ट्रैफिक) ट्रैफिक एक प्रमुख गैर-सरकारी संगठन है जो जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास दोनों के संदर्भ में जंगली जानवरों और पौधों के व्यापार पर विश्व स्तर पर काम कर रहा है।
इसकी स्थापना वर्ष 1976 में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के रणनीतिक गठबंधन के रूप में हुई थी।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध बढ़ने के सबसे संभावित कारणों की सूची बनाएं। इस समस्या से निपटने के लिए क्या पहलें की गई है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से भारत में पहले से ही नाजुक दौर से गुजर रही शिक्षा प्रणाली को बहुत नुकसान पहुंचा है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 2/सामाजिक न्याय)
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