भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एवं उद्देश्य
दादाभाई नौरोजी, फ़िरोजशाह मेहता, काशीनाथा तैलंग, एन।जी। चन्द्रावरकर आदि भारतीय राष्ट्रीय कान्ग्रे के शुरूआती सदस्यों में से एक थे। वर्ष 1907 तक पार्टी में दो दल बन चुके थे जिनका नाम गर्म दल और नरम दल था। इनका उद्देश्य भारत की आजादी ही था लेकिन उसे पाने का तरीका काफी अलग था।
- कांग्रेस के पहले सत्र में सभी भारतीय प्रांतों के 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिनमे से 54 हिंदू थे, 2 मुस्लिम और बाकी जैन और पारसी सदस्य थे।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष व्योमेश चन्द्र बनर्जी थे।
- पार्टी के पहले सत्रमें दादाभाई नौरोजी, दिनशॉ वाचा, विलियम वेडरबर्न, फिरोजशाह मेहता, आदि उपस्थित थे ।
- अपने प्रारंभिक वर्षों में, INC एक उदारवादी संगठन था और अपने साधनों को संवैधानिक तरीकों और संवाद तक सीमित रखता था। इसकी मांग सिविल सेवा और सशस्त्र बलों में अधिक भारतीयों को शामिल करने तक सीमित थी। इसने कभी आजादी की बात नहीं की थी।
- कांग्रेस की पहली बैठक पूना (अब पुणे) में होनी थी। हालाँकि, हैजा के प्रकोप के कारण इस कार्यक्रम को बॉम्बे (अब मुंबई) में स्थानांतरित कर दिया गया था।
- 1907 में, कांग्रेस ने दो दलों का गठन किया: नरम दल और गरम दल।
- गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल के नाम से भी जाना जाता है) ने किया था।
- नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोज शाह मेहता और दादाभाई नौरोजी ने किया।
- नरम दल ब्रिटिश राज के भीतर स्वशासन चाहता था, जबकि गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग करता था।
Summary:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
28 दिसम्बर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना बॉम्बे में हुई। INC की स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान एलन ऑक्टोवियन ह्युम नामक एक अवकाश प्राप्त ब्रिटिश हुयी थी| इसका काल दो भागों में बंटा है। पहला भाग एक स्वंत्रता के लिए लड़ने वाली पार्टी के रूप में वहीँ दूसरा भाग भारतीय राजनीतिक पार्टी के रूप में। वर्ष 1919 में महात्मा गाँधी कांग्रेस के महासचिव बने और उसके बाद पार्टी में नए राष्ट्रीय नेताओं की पीढ़ी आई, जैसे नेहरु, राजेन्द्र प्रसाद आदि।
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