भारत के दूसरे राष्ट्रपति कौन थे?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: November 9th, 2023
डॉ. एस. राधा कृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। डॉ. एस. राधा कृष्णन यानी की डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक भारतीय दार्शनिक और राजनेता थे और 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे। बाद में, वे 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी बने। डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को आंध्र प्रदेश के तिरुत्तानी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्हें एक अविश्वसनीय छात्र माना जाता था और वो एक अनुकरणीय शिक्षक भी थे|
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भारत के दूसरे राष्ट्रपति
राधाकृष्णन, 20वीं शताब्दी के तुलनात्मक धर्म और दर्शन के सबसे प्रतिष्ठित विद्वानों में से एक, 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता के स्पाल्डिंग चेयर और विश्वविद्यालय में मानसिक और नैतिक विज्ञान के किंग जॉर्ज वी चेयर पर रहे। 1921 से 1932 तक कलकत्ता की।
डॉ. एस. राधाकृष्णन या डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक भारतीय राजनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, विद्वान और राजनेता थे। वे उपराष्ट्रपति होने के साथ-साथ भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी थे। उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की ऑनरेरी सदस्यता। 1962 से उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरे भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- डॉ राधाकृष्णन अपने शिक्षण करियर के दौरान अपने छात्रों के बीच एक लोकप्रिय शिक्षक थे।
- उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया।
- 1962 में जब डॉ राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति का पद संभाला, तो उनके छात्रों ने 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगी।
- इसके बजाय डॉ राधाकृष्णन ने समाज में शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया।
- उन्होंने कहा, “मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए गौरव की बात होगी।” तभी से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Summary:
भारत के दूसरे राष्ट्रपति कौन थे?
भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे। डॉ राधाकृष्णन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया थे। वे बहुत अच्छे राजनेता,सौर, दार्शनिक भी थे | प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है|
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