बाल गंगाधर तिलक के "मराठा" समाचार पत्र पर जानकारी
तिलक स्वराज ('स्व-शासन') के प्रबल समर्थक और भारतीय चेतना में एक क्रांतिकारी थे। "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा!" उन्होंने प्रसिद्ध रूप से मराठी में कहा। उन्होंने बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय, अरबिंदो घोष, वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई और मुहम्मद अली जिन्ना सहित कई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।
लोकमान्य को हिन्दू राष्ट्र का पिता भी माना जाता था। उनका बहुत प्रसिद्ध उद्धरण "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा!" ये पंक्तियाँ आज भी भारतीयों को याद हैं! 1881 में, बाल गंगाधर तिलक ने दो समाचार पत्र मराठा (अंग्रेजी में) और केसरी (मराठी भाषा) को प्रकाशित किया था। मराठा अखबार के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य यहां देखें:
- इन दोनों अखबारों ने भारतीयों को गौरवशाली अतीत से अवगत करने और जनता को आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित किया था।
- मराठा अखबार ने राष्ट्रीय आंदोलन में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी।
- मराठा समाचार पत्र को शुरू करने में तिलक के साथ समाज सुधारक चिपलुनकर और अगरकर ने भी अपना योगदान दिया था।
- जब 1897 और 1908 में तिलक को जेल हुई थी तो उनके एक करीबी सहयोगी नरसिम्हा चिंतामन केलकर ने मराठा अख़बार के संपादक के रूप में काम किया था।
Summary:
बाल गंगाधर तिलक ने किस भाषा में "मराठा" समाचार पत्र शुरू किया था?
बाल गंगाधर तिलक ने मराठा समाचार पत्र अंग्रेजी भाषा में शुरू किया था। आज भी एक मराठी समाचार पत्र द डेली केसरी गंगाधर तिलक के प्रपौत्र दीपक तिलक द्वारा संपादित किया जाता है। ये एक ऑनलाइन मराठी समाचार पत्र है। उन्हें लोकमान्य की उपाधि से विभूषित किया गया था। वह चरमपंथी समूह 'लाल-बाल-पाल' का हिस्सा था।
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