अनुच्छेद 360 (Article 360 in Hindi) वित्तीय आपातकाल

By Brajendra|Updated : August 24th, 2022

भारत में आपातकाल की स्थिति शासन की अवधि को संदर्भित करती है जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 के तहत भाग 18 में निहित है। भारत में आर्थिक संकट के समय या ऐसी स्थिति में जो वित्तीय अस्थिरता का कारण बन सकती है, राष्ट्रपति को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा करने का अधिकार है।

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अनुच्छेद 360: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल का प्रावधान है। यदि राष्ट्रपति संतुष्ट है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण भारत की वित्तीय स्थिरता, भारत की साख या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की वित्तीय स्थिरता को खतरा है, तो वह केंद्र की सलाह पर अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है।

वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा को उसके दो माह के अंदर ही संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। वित्तीय आपातकाल की घोषणा को मंजूरी देने वाले प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन द्वारा केवल एक साधारण बहुमत द्वारा पारित किया जा सकता है।
एक बार संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद, वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक जारी रहता है, जब तक कि इसे राष्ट्रपति द्वारा हटाया नहीं जाता है।
इसके दो प्रावधान है;
1. इसके संचालन के लिए कोई अधिकतम अवधि निर्धारित नहीं है।
2. इसकी निरंतरता के लिए बार-बार संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा को राष्ट्रपति द्वारा बाद में किसी भी समय रद्द किया जा सकता है, इस तरह की उद्घोषणा को संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।

  • वित्तीय आपातकाल के प्रभाव
    वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र के कार्यकारी अधिकार का विस्तार हो जाता है और वह किसी भी राज्य को अपने हिसाब से वित्तीय आदेश दे सकता है।
  • राज्य की विधायिका द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति के विचार के लिए आये सभी धन विधेयकों या अन्य वित्तीय बिलों को रिज़र्व रखा जा सकता है।
  • राष्ट्रपति, संघ की सेवा करने वाले सभी व्यक्तियों या किसी भी वर्ग के लोग और उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन एवं भत्तों में कमी करने का निर्देश जारी कर सकता है।

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