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अनुच्छेद 35 (Article 35 in Hindi) – भाग 3 के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। अनुच्छेद 35 में स्पष्ट किया गया है कि यह अनुच्छेद केवल संसद को कुछ विशेष मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिये कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह अधिकार राज्य विधानमंडल को प्राप्त नहीं है।
Table of content
अनुच्छेद 35: भाग 3 के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान (Legislation to give effect to the provisions of Part III)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35 के अनुसार –
(क) संसद को शक्ति होगी और किसी राज्य के विधान-मंडल को शक्ति नहीं होगी कि वह–
(i) जिन विषयों के लिए अनुच्छेद 16 के खंड (3), अनुच्छेद 32 के खंड (3), अनुच्छेद 33 और अनुच्छेद 34 के अधीन संसद विधि द्वारा उपबंध कर सकेगी उनमें से किसी के लिए, और
(ii) ऐसे कार्यों के लिए, जो इस भाग के अधीन अपराध घोषित किए गए हैं, दंड विहित करने के लिए,
विधि बनाए और संसद इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र ऐसे कार्यों के लिए, जो उपखंड (iii) में निर्दिष्ट हैं, दंड विहित करने के लिए विधि बनाएगी;
(ख) खंड (क) के उपखंड (i) में निर्दिष्ट विषयों में से किसी से संबंधित या उस खंड के उपखंड (ii) में निर्दिष्ट किसी कार्य के लिए दंड का उपबंध करने वाली कोई प्रवृत्त विधि, जो भारत के राज्यक्षेत्र में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रवृत्त थी, उसके निबंधनों के और अनुच्छेद 372 के अधीन उसमें किए गए किन्हीं अनुकूलनों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक उसका संसद द्वारा परिवर्तन या निरसन या संशोधन नहीं कर दिया जाता है। स्पष्टीकरण–इस अनुच्छेद में, ‘प्रवृत्त विधि’ पद का वही अर्थ है जो अनुच्छेद 372 है।
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