अनुच्छेद 19: वाक्-स्वतन्त्रता से सम्बंधित कुछ अधिकारों का संरक्षण
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1) भारत के नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है जो निम्न हैं:
19(1) (a) वाक्-स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता,
19(1) (b) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन करने की स्वतंत्रता
19(1) (c) संगम या संघ या सहकारी सोसाइटी बनाने की स्वतंत्रता
19(1) (d) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता
19(1) (e) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता
19(1) (g) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने की स्वतंत्रता
Note:
- 19(1) (f) में संपत्ति की स्वतंत्रता दी गई थी , किन्तु 44वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 में सम्पत्ति की स्वंतंत्रता को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 300 (A) में रख दिया गया है।
- प्रेस की स्वतंत्रता भी अनुच्छेद 19 में वर्णित है। इसकी आजदी हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गयी है, वहीं अनुच्छेद 19 (2) में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से किसी भी तरह देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को नुकसान नहीं होना चाहिए।
अनुच्छेद 19 का वर्णन
‘स्वतंत्रता ही जीवन है’, मनुष्य के लिए अपने व्यक्तित्व का विकास करने स्वतंत्रता का अधिकार होना अति आवश्यक है।
इसीलिए वैयक्तिक स्वतन्त्रता के अधिकार का स्थान मूल अधिकारों में सर्वोच्च माना जाता है।
अनुच्छेद 19(1) भारत के नागरिकों को छह स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है, और अनुच्छेद 19(2) से 19(6) तक इन अधिकारों पर योग्य पाबंधी या सीमा का प्रावधान है
अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार केवल ‘नागरिकों को ही प्राप्त हैं।
अनुच्छेद 19 सिर्फ भारत के नागरिकों ही स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
इस अनुच्छेद में ‘नागरिक’ शब्द का प्रयोग करके यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इसमें प्रदानकी हुई स्वतन्त्रताएँ केवल भारत के नागरिकों को ही उपलब्ध हैं, किसी विदेशी को नहीं।
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