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अनुच्छेद 17 (Article 17 Abolition of Untouchability In Hindi) – अस्पृश्यता का अंत
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
अनुछेद 17 संविधान मे लिखित सभी अधिकारो मे सिर्फ एक मात्र निरपेक्ष अनुच्छेद है। यानि की अस्पृश्यता का पालन किसी भी स्वरूप मे करना गैर संवैधानिक है। यह अनुच्छेद केवल राज्य के विरुद्ध नही प्राइवेट व्यक्तियो के भी विरुद्ध है। संविधान मे अस्पृश्यता रोकने के लिए अनुच्छेद 17 के साथ अनुच्छेद 15(2) के प्रावधान भी है।
Table of content
अनुच्छेद 17: अश्पृश्यता का अंत (Abolition of Untouchability)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का सम्बन्ध अस्पृश्यता के अंत से है। अनुच्छेद 17 के तहत छुआछूत को समाप्त किया गया है।
अनुच्छेद 17 से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
- अस्पृश्यता अपराध अधिनियम (The Untouchability Offences Act 1955) के तहत अस्पृश्यता (छूआछूत) दंडनीय अपराध है।
- अस्पृश्यता अपराध अधिनियम (The Untouchability Offences Act 1955) के प्रमुख प्रावधान
1. यह एक दंडनीय अपराध है , जिसमे किसी भी तरीके से माफी नही दी जा सकती है।
2. अपराध साबित होने पर 6 मास का कारावास या 500 रू. जुर्माना या दोनों, हो सकते है।
3. संसद या राज्यविधान के चुनाव मे खड़े हुये किसी उम्मीदवार पर आरोप साबित होता है तो उसको अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 बनाया गया था। यह अधिनियम 1 जून, 1955 से प्रभावी हुआ था, लेकिन अप्रैल 1965 में गठित इलायापेरूमल समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 1976 में इसमें व्यापक संशोधन किये गए तथा इसका नाम बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (Protection of Civil Rights Act, 1955) कर दिया गया था।
अस्पृश्यता माने जाने वाले कार्यो के उदाहरण
(1) किसी व्यक्ति को किसी सामाजिक संस्था में जैसे अस्पताल, दवाओ के स्टोर, शिक्षण संस्था में प्रवेश न देना,
(2) किसी व्यक्ति को सार्वजनिक उपासना के किसी स्थल (मंदिर,मस्जिद आदि) में उपासना या प्रार्थना करने निवारित करना,
(3) किसी दुकान, रेस्टोरांत, होटल या सार्वजनिक मनोरंजन के किसी स्थान पर जाने पर पाबंधी लगाना या किसी जलाशय, नल या जल के अन्य स्रोत, मार्ग, श्मशान या अन्य स्थान के संबंध में जहां सार्वजनिक रूप में सेवाएं प्रदान की जाती हैं वहा जाने की पाबंधी लगाना।
(4) अनुसूचित जाति (SC,ST,OBC) के किसी सदस्य का अस्पृश्यता के आधार पर अपमान करना
(5) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अस्पृश्यता का उपदेश देना
(6) इतिहास, दर्शन या धर्म को आधार मानकर या किसी जाती प्रथा को मानकर अस्पृश्यता को सही बताना। (धर्म ग्रंथ मे जातिवाद लिखा है तो मे उसका पालन कर रहा हु एसा नही चलेगा इसको भी अपराध माना जाएगा)
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद |
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