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अनुच्छेद 123 (Article 123 in Hindi) – संसद‌ के विश्रांतिकाल में अध्‍यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 25th, 2023

भारत के संविधान के अनुच्छेद 123 के अनुसार संसद के सत्र में न होने पर भारत का राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। अध्यादेश उतना ही प्रभावशाली होगा जितना संसद में पारित कानून और राष्ट्रपति अध्यादेश वापस भी ले सकता है।

अनुच्छेद 123 : राष्ट्रपति का अध्यादेश

अनुच्छेद 123 का सम्बन्ध संसद‌ के विश्रांतिकाल में राष्ट्रपति द्वारा अध्‍यादेश जारी करने की शक्ति से है।

अनुच्छेद 123: विवरण

1. जब संसद‌ के दोनों सदन सत्र में न हो , यदि किसी समय राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है तो राष्ट्रपति ऐसे अध्‍यादेश को जारी करने की शक्ति रखता है जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हों।
2. इस अनुच्छेद के अधीन जारी अध्‍यादेश का वही बल और प्रभाव होगा जो संसद‌ के अधिनियम का होता है, किन्तु प्रत्येक ऐसा अध्‍यादेश —
(क) संसद‌ के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद‌ के पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले दोनों सदन उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देते हैं तो, इनमें से दूसरे संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा; और
(ख) राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा।

3. यदि और जहाँ तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्‍यादेश कोई ऐसा उपबंध करता है जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद‌ इस संविधान के अधीन सक्षम नहीं है तो और वहाँ तक वह अध्‍यादेश शून्य होगा।

Note:

जहाँ संसद‌ के सदन, भिन्न-भिन्न तारीखों को पुनः समवेत होने के लिए, आहूत किए जाते हैं वहाँ इस खंड के प्रयोजनों के लिए, छह सप्ताह की अवधि की गणना उन तारीखों में से पश्चात्‌वर्ती तारीख से की जाएगी।

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