अलाई दरवाजा को किसने बनवाया था?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: November 9th, 2023
अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ईस्वी में अलाई दरवाजा को बनवाया था। अल्लाई दरवाजा 1311 ईस्वी में बनवाया गया था और यह कुतुब मीनार(दिल्ली) परिसर के अंदर स्थित है, जिसमें सफेद संगमरमर की सजावट और लाल पत्थर से इस्लामी कला का प्रदर्शन किया गया है। यह दरवाजा प्रारंभिक तुर्की कला की भी एक झलक पेश करता है। कुतुब मीनार परिसर को सुंदर रूप देने के लिए इसे कुव्वत-उत-इस्लाम-मस्जिद के दक्षिणी ओर बनवाया गया था। अलाई दरवाजा इस मस्जिद से नुकीले गोलाकार और फैले हुए किनारों के माध्यम से जुड़ा हुआ है जिसे लोटस बड्स के नाम से जाना जाता है।
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अलाई दरवाजा
अलाई दरवाजा कुतुब परिसर, महरौली, दिल्ली, भारत में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का दक्षिणी प्रवेश द्वार है। 1311 में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित और लाल बलुआ पत्थर से बना, यह एक चौकोर गुंबद वाला गेटहाउस है जिसमें धनुषाकार प्रवेश द्वार और एक कक्ष है। निर्माण और अलंकरण के इस्लामी तरीकों का उपयोग करके बनाया जाने वाला पहला भारतीय स्मारक के रूप में भारत-इस्लामी वास्तुकला में इसका विशेष महत्व है और यह एक विश्व धरोहर स्थल है।
- अलाई दरवाजा में 34.5 फीट (10.5 मीटर) की आंतरिक ऊंचाई और 56.5 फीट (17.2 मीटर) की बाहरी ऊंचाई वाला एक हॉल है।
- यह 60 फीट (18 मीटर) लंबा है, जिसकी दीवारें 11 फीट (3.4 मीटर) मोटी हैं।
- अलाई-दरवाजा के प्रवेश द्वार को शानदार ढंग से डिजाइन किया गया है और इस द्वार के चारों मेहराब (arches) अर्ध-गोलाकार (semi-circular) में हैं।
- यह द्वार बहुत मजबूती से बनाया गया था और काफी आकर्षित और प्रभावशाली है।
- पूरा द्वार लाल बलुआ पत्थर से बना है, और बाहरी दीवारें सफेद पत्थर से जड़ी हुई हैं। दरवाजे की दीवारें अरबी सुलेख से सजी हैं।
- घोड़े की नाल के मेहराब भारत में इस्तेमाल होने वाले अपनी तरह के पहले थे। मुखौटा में पूर्व-तुर्की मूर्तियां और पैटर्न शामिल हैं।
- खिड़कियों में संगमरमर की जालियाँ हैं। तीन प्रवेश द्वारों में आपस में गुंथे हुए फूलों के प्रतानों की एक समरूपता-दोहराव वाली सतह की सजावट है।
Summary:
अलाई दरवाजा को किसने बनवाया था?
अलाई दरवाजा को अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था। ये दरवाजा दिल्ली के क़ुतुब मीनार परिसर के अंदर स्थित है। अलाई दरवाज़े की ऊंचाई 17 मीटर, लंबाई 17 मीटर , चौड़ाई करीब 10 मीटर और मोटाई 3 मीटर है। ये दरवाज़ा इस्लामी और तुर्की कला को दिखता है।
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