A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
पाकिस्तान में साजिद मीर की सजा का महत्व:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां और मंच - उनकी संरचना व जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: FATF- संगठन और शक्तियां।
मुख्य परीक्षा: पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की प्रभावकारिता।
संदर्भ:
- वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड साजिद मीर को पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में दोषी ठहराया है।
- साजिद मीर को दोषी ठहराना पाकिस्तान द्वारा मीर के खिलाफ की गई सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई है, क्योंकि मुंबई आतंकी हमलों में शामिल होने के सबूतों के बावजूद पाक उसके खिलाफ मुकदमा चलाने में आनाकानी करता रहा है।
- जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के संस्थापक मसूद अजहर के मामले में भी पाकिस्तान ने ऐसा ही रवैया अपनाया है।
पाकिस्तान की कार्रवाई के पीछे के कारक:
- पाकिस्तान का हालिया कदम,खुद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण और धन शोधन विरोधी निकाय की ग्रे सूची से बाहर निकालने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
- पाकिस्तान जून 2018 से FATF की "ग्रे" सूची (लिस्ट) में है।
- पाकिस्तान द्वारा उठाये गए इस कदम का उद्देश्य FATF और उससे संबद्ध निकायों को यह विश्वास दिलाना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित चिंताओं को दूर करने के प्रति गंभीर है।
- ग्रे सूची (लिस्ट) में रहने पर पाकिस्तान के लिए गंभीर वित्तीय और आर्थिक निहितार्थ हैं,अर्थात उसे बहुत से आर्थिक प्रतिबंधों के कारण होने वाले नुक्सान को झेलना पड़ता हैं।
पाकिस्तान के दोहरे मापदंड:
- पाकिस्तान ने नवंबर 2020 में लश्कर प्रमुख हाफिज सईद को आतंकी वित्त पोषण के आरोप में जेल की सजा सुनाई थी, जबकि लश्कर के सैन्य प्रमुख जकी-उर-रहमान लखवी पर 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए कभी भी मुकदमा नहीं चलाया गया था।
- यह इस बात का द्योतक है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकी संगठनों का बचाव करता रहा है और ये कदम भी उसने वैश्विक दवाब के कारण ही उठाए हैं।
- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) या जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकवादी समूहों की तरह लश्कर ने पाकिस्तान के अंदर कोई आतंकी हमला नहीं किया है।
- भारत में आतंकवाद के कृत्यों को अंजाम देने के लिए गैर-राज्य अभिनेताओं का उपयोग करने की अपनी रणनीति के हिस्से के रूप में भारत के खिलाफ पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) निदेशालय द्वारा लश्कर का पोषण और उपयोग किया गया है।
सारांश:
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C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
E. संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
राज्य द्वारा मुफ्त उपहार और राजकोषीय अपव्यय:
विषय: सरकारी बजट।
प्रारंभिक परीक्षा- अतिरिक्त बजटीय उधार।
मुख्य परीक्षा: फ्रीबी राजनीतिक संस्कृति और इसे कम करने की सिफारिशें।
पृष्टभूमि:
- बहुत से राजनीतिक दल मुफ्त उपहार (फ्रीबी) जैसी राजनीतिक संस्कृति का सहारा लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
- इस मुद्दे को वरिष्ठ नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में उठाया है।
चिंता:
- फ्रीबी संस्कृति से गंभीर वित्तीय अस्थिरता पैदा होती है। यह राज्य को ऋण जाल में फसा सकती है।
- इस बात पर भी संदेह है कि क्या इस तरह के लोकलुभावन व्यय सार्वजनिक धन के सर्वोत्तम उपयोग हैं। चूंकि इस तरह का खर्च अक्सर भौतिक पूंजी, जो संभावित रूप से विकास में सुधार और रोजगार पैदा कर सकता है, को दरकिनार कर किए जातें है।
- कुछ तर्कों के बावजूद कि राज्यों की वित्तीय स्थिति अच्छी है और राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) लक्ष्यों के अनुरूप हैं, यह पहलू भ्रामक है क्योंकि अधिकांश ऋण का कारण धन का मुफ्त आवंटन है (अतिरिक्त- बजटीय उधार)। इस पहलू को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने भी संदर्भित किया है।
सुझाव:
- फ्रीबी संस्कृति को कम करने के लिए संस्थागत जांच और संतुलन की आवश्यकता है। इस संबंध में विपक्ष जो सीमित भूमिका निभा सकता है, उसे देखते हुए CAG जैसे संवैधानिक निकायों को अपने ऑडिट के माध्यम से एक बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार दिया जाना चाहिए। इस संबंध में लेखक निम्नलिखित सुझाव देता है।
- केंद्र के साथ-साथ राज्यों के FRBM अधिनियमों में संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि उनकी देनदारियों का अधिक पारदर्शी प्रकटीकरण सुनिश्चित किया जा सके। मौजूदा FRBM प्रावधानों के तहत प्रकटीकरण प्रावधान को व्यापक बनाया जाना चाहिए और इसमे उन सभी देनदारियों को शामिल किया जाना चाहिए जिनका प्रभाव बजट पर पड़ता है या उनके कारण बजट के गिरने की संभावना है।
- केंद्र सरकार को राज्यों पर उनकी उधारी व्यवस्था पर शर्तें लगाने पर विचार करना चाहिए। यह अच्छी तरह से परिभाषित और वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित होना चाहिए, ऐसा न हो कि इससे केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाए।
- भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राज्यों को उधार लेते समय केंद्र की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
- राज्यों को वित्तीय रूप से स्थायी व्यय के लिए राष्ट्रपति के माध्यम से केंद्र सरकार किसी भी राज्य में वित्तीय आपातकाल लगाने पर विचार कर सकती है यदि उस राज्य की वित्तीय स्थिरता को खतरा है।
- सार्वजनिक धन को मुफ्त में खर्च करने के बजाय, सरकारों को आदर्श रूप से इस तरह के पैसे को भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए। इस तरह का खर्च भविष्य में उच्च विकास और उच्च राजस्व का सृजन करेगा तथा यह खर्च लोकलुभावन उपहारों के विपरीत पूजीं निर्माण करेगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
मोदी के दो शिखर सम्मेलन: UAE ने G7 को पछाड़ा:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले तथा भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत-यूएई द्विपक्षीय संबंधों का महत्व और इस संबंध को मजबूत करने के लिए सिफारिशें।
संदर्भ:
- हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री दो शिखर सम्मेलनों - जर्मनी में होने वाले 48वें G7 शिखर सम्मेलन में और अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के साथ होने वाले एक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं। हालांकि जी7 शिखर सम्मेलन को मीडिया में उजागर किया जा रहा है। इस लेख में तर्क दिया गया है कि भारत-यूएई संबंधों के महत्व को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात के साथ होने वाला द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
भारत-यूएई द्विपक्षीय संबंधों का महत्व:
- संयुक्त अरब अमीरात भारत का एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 68% से बढ़कर 72.9 बिलियन डॉलर हो गया है, जो एक नया रिकॉर्ड है। भारत संयुक्त अरब अमीरात का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा पर्यटकों एवं श्रमिकों का सबसे बड़ा स्रोत है। विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात का बाजार भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है।
- यूएई भारत में एक बड़ा निवेशक है। वास्तव में संयुक्त अरब अमीरात ने 2021 में संयुक्त रूप से जर्मनी और फ्रांस के निवेश से भी अधिक भारत में निवेश किया है। विशेष रूप से, संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के साथ एक द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- भारतीय प्रवासी का एक बड़ा संयुक्त अरब अमीरात में रहता है तथा इनका आवक विदेशी प्रेषण में सबसे बड़े हिस्सा हैं।
भारत और यूएई संबंधों के लिए आगे का रास्ता:
- अबू धाबी शिखर सम्मेलन का उपयोग भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंधों पुनर्विचार के लिए किया जाना चाहिए। इस संबंध में, लेखक निम्नलिखित सिफारिशें करता है।
- आपसी लाभ के अवसरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- भारत संयुक्त अरब अमीरात से निवेश के लिए एक आकर्षक बाजार प्रदान करता है। संयुक्त अरब अमीरात को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था, भारत में निवेश करना आर्थिक रूप से फायदेमंद है। यह दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा होगा।
- संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासियों के लिए उपलब्ध रोजगार के बड़े अवसरों को देखते हुए, भारत को रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए ऐसे प्रवासियों को पर्याप्त रूप से कौशल और प्रशिक्षण देने पर विचार करना चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत और संयुक्त अरब अमीरात को यमन, सीरिया, सोमालिया, इराक, लीबिया और अफगानिस्तान जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रीय देशों के पुनर्निर्माण के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। इससे दोनों देशों की क्षेत्रीय स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी और क्षेत्र में शांति और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
- द्विपक्षीय स्तर पर, दोनों देशों को आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों में अधिक सहयोग की तलाश करनी चाहिए।
सारांश:
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F. प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
1. 'भारत का गिग वर्कफोर्स वर्ष 2030 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचेगा':
- नीति आयोग द्वारा जारी एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2020-21 में भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 77 लाख होने का अनुमान है और वर्ष 2029-30 तक यह बढ़कर 2.35 करोड़ तक पहुँच जाने की उम्मीद है।
- श्रम के इस मंचीकरण से पैदा होने वाली प्रमुख चिंताओं में से एक यह है कि इस मंच से जुड़े श्रमिक औपचारिक और अनौपचारिक श्रम के पारंपरिक वर्गीकरण के दायरे से बहार हो जायँगे,जिससे वे कार्यस्थल सुरक्षा जैसे कई अधिकारों से वंचित रह जायँगे।
- इस दिशा में, नीति आयोग ने एक संतुलित ढांचे की सिफारिश की है जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए प्लेटफार्मों के लचीलेपन को संतुलित करता है।
- नीति आयोग ने सवैतनिक अवकाश, व्यावसायिक बीमारी और दुर्घटना बीमा, काम की अनियमितता के दौरान सहायता और पेंशन योजनाओं की सिफारिश की है।
- नीति आयोग ने 'स्टार्टअप इंडिया पहल’' की तर्ज पर 'प्लेटफॉर्म इंडिया पहल' शुरू करने की भी सिफारिश की है।
2. प्रधानमंत्री ने स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करने के लिए G7 देशों को आमंत्रित किया:
- जर्मनी में G7 शिखर सम्मेलन के एक विशेष सत्र जिसका नाम 'बेहतर भविष्य में निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य' विषय है, में भारतीय प्रधान मंत्री ने भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के एक प्रमुख प्रभाव क्षेत्र के रूप में उभरने का उल्लेख किया।
- भारतीय प्रधान मंत्री ने विकसित अर्थव्यवस्थाओं से इस क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और विनिर्माण में निवेश करने के लिए आगे आने का आह्वान किया।
3. भारत, मलेशिया ने रक्षा संबंधों पर चर्चा की:
- भारत और मलेशिया के रक्षा मंत्री के बीच बैठक में दोनों ने मौजूदा मलेशिया भारत रक्षा सहयोग बैठक (मिडकॉम) ढांचे के तहत रक्षा और आंतरिक सुरक्षा में दोनों देशों के बीच सामंजस्य और सहयोग की गुंजाइश पर चर्चा की।
- भारत मलेशिया को मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) संचालन के लिए अपनी क्षमता को उन्नत करने में मदद करने के अलावा मलेशिया को महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने में सक्षम होगा।
H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) के तहत प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हुए, यदि राज्य राजकोषीय अपव्ययिता जारी रखते हैं, तो वे वृहद-आर्थिक स्थिरता के विनाशकारी परिणामों के साथ अस्थिर उच्च ऋण की ओर बढ़ेंगे। फ्रीबी कल्चर पर नियंत्रण रखने के लिए उपयुक्त सुधारों का सुझाव दीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस पेपर 3/अर्थव्यवस्था)
प्रश्न 2. भारत में डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना का विचार देश के शिक्षा परिदृश्य को बदल देगा। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस पेपर 2/शिक्षा)
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