A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए बाइडेन की नई व्यापार पहल में शामिल होगा भारत:
विषय: भारत या उसके हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा: हिंद-प्रशांत की समृद्धि के लिए आर्थिक रूपरेखा’ (IPEF)- सदस्य देश और फोकस क्षेत्र।
मुख्य परीक्षा: IPEF का महत्त्व
प्रसंग:
- टोक्यो में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) के शुभारंभ में अमेरिकी राष्ट्रपति, जापानी प्रधानमंत्री और 10 अन्य देशों के नेताओं के साथ भारतीय प्रधानमंत्री ने आभासी माध्यम से भाग लिया।
विवरण:
सदस्यता:
- इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी समूह में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के 10 में से सात सदस्य शामिल हैं। इसमें म्यांमार, कंबोडिया और लाओस शामिल नहीं हैं।
- सभी चार क्वाड देश- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ न्यूजीलैंड भी इसका सदस्य है।
फोकस क्षेत्र:
- प्रस्तावित ढांचे के चार मुख्य स्तंभों में व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन, स्वच्छ ऊर्जा व डी-कार्बोनाइजेशन, और कर एवं भ्रष्टाचार विरोधी उपाय शामिल हैं।
- विशेष रूप से, IPEF की रूपरेखा पर अभी औपचारिक रूप से सहमति नहीं बन पाई है और इसके लिए बातचीत होना बाकी है।
नए ढांचे का महत्व:
- व्यापार पर जोर देने वाला नया ढांचा सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक हो सकता है। क्योंकि सदस्य राष्ट्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 40% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन पर जोर देने वाले उपायों से इस क्षेत्र में अधिक समावेशी और लोचशील आर्थिक ढांचा बनाने में मदद मिलेगी। अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखला मुद्रास्फीति के संकट के समाधान में भी सहायक होगी।
- स्वच्छ ऊर्जा और डी-कार्बोनाइजेशन के उपाय, वैश्विक जलवायु कार्रवाई के प्रयासों में सहायक होगा।
भारत का रुख:
- भारत ने नई आर्थिक पहल में न केवल शामिल होने का बल्कि प्रस्तावित वार्ता में सक्रिय रूप से भाग लेने का भी संकेत दिया है।
- अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बार-बार यह स्पष्टीकरण दिया गया है कि IPEF एक मुक्त व्यापार समझौता नहीं है और न ही देशों से टैरिफ कम करने या बाजार पहुंच बढ़ाने का इसमें कोई प्रावधान है। इसका महत्व 15 देशों की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी से बाहर निकलने के भारत के फैसले की पृष्ठभूमि में बढ़ गया है।
- IPEF के फोकस क्षेत्रों में से एक डिजिटल अर्थव्यवस्था, सीमा पार डेटा प्रवाह और डेटा स्थानीयकरण के लिए मानकों को निर्धारित करना और उनका पालन करना है। हालाँकि, इस मुद्दे पर भारत के अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ मतभेद रहे हैं।
सारांश:
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C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विश्व में 11.2 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं : ILO
विषय: समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारम्भिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मॉनिटर
मुख्य परीक्षा: बेहतर रोजगार और आर्थिक एवं सामाजिक विकास के बीच संबंध
प्रसंग:
- हाल ही में "वर्ल्ड ऑफ़ वर्क" पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मॉनिटर का नौवां संस्करण जारी किया गया।
विवरण:
इस रिपोर्ट में रोजगार या नौकरी के अवसरों के संबंध में विभिन्न चुनौतियों या चिंताओं का उल्लेख किया गया है।
- 2022 की पहली तिमाही में वैश्विक स्तर पर काम करने के घंटों में कमी आई है। वास्तव में, इसमें महामारी से पहले के स्तर तक कमी आई है। इसे बेरोजगारी का संकेत माना जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान करीब 11.2 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की सम्भावना हैं।
- महामारी के बाद आर्थिक सुधार में अमीर और गरीब अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता अंतराल चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बेहतर रोजगार के अवसरों की कमी इनके सामाजिक-आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
- भारत सहित निम्न-मध्यम आय वाले देशों में रोजगार परिदृश्य में लैंगिक अंतराल भी चिंता का एक प्रमुख विषय है। महामारी के कारण नौकरी गंवाने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या की तुलना में अधिक है। इसलिए, महामारी ने रोजगार में पहले से ही पर्याप्त लैंगिक असंतुलन को बढ़ा दिया है।
- चीन में लॉकडाउन और यूक्रेन व रूस के बीच संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न होगा तथा खाद्य और ईंधन की कीमतों में वैश्विक वृद्धि से वित्तीय अस्थिरता और संभावित ऋण संकट बढ़ेगा,जो वर्तमान स्थिति को और बढ़ा सकती है।
सिफारिशें:
- रोजगार और जीवन स्तर के बीच प्रत्यक्ष संबंध को देखते हुए, देशों को इस विकट स्थिति से निपटने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- बेहतर नौकरियों के सृजन और उचित वेतन सुनिश्चित करना ,न्यूनतम मजदूरी व निर्वाह मजदूरी को लागू करना और श्रमिकों की क्रय क्षमता में सुधार किया जाना चाहिए।
- सभी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया जाना चाहिए।
सारांश:
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D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
E. संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राजव्यवस्था
वैक्सीन अधिदेश क्यों आवश्यक है?
भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और मूल संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद एवं प्रावधान
मुख्य परीक्षा: वैक्सीन अधिदेश के पक्ष और विपक्ष में तर्क
पृष्ठभूमि:
- उच्चतम न्यायालय ने हाल के एक फैसले में सरकार की मौजूदा टीकाकरण नीति को बरकरार रखा है। हालांकि फैसले में गैर-टीकाकरण वाले व्यक्तियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को असंगत करार दिया गया क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति की शारीरिक अखंडता और व्यक्तिगत स्वायत्तता का अतिक्रमण है।
- कुछ राज्यों के वैक्सीन अधिदेश के तहत सार्वजनिक स्थानों, सेवाओं तक पहुँचने या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने हेतु पूर्व शर्त के रूप में व्यक्तियों के आंशिक या पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता है।
- उच्चतम न्यायालय ने सरकार द्वारा शुरू किए गए वैक्सीन जनादेश की संवीक्षा के लिए आनुपातिकता परीक्षण का इस्तेमाल किया।
आनुपातिकता परीक्षण:
- आनुपातिकता परीक्षण समीक्षा का एक मानक है जिसका उपयोग राज्य की तरफ से होने वाले किसी व्यक्ति की शारीरिक अखंडता और गोपनीयता के निराधार उल्लंघन पर रोक लगाने के लिए किया जाता है।
- राज्य की तरफ से हुई किसी भी कार्रवाई को अगर आनुपातिकता परीक्षण के मापदंड पर खरा उतरना है तो उसके लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
o राज्य की कार्रवाई को विधि द्वारा मंजूरी दी जानी चाहिए।
o राज्य की कार्रवाई का एक वैध उद्देश्य होना चाहिए।
o हस्तक्षेप की सीमा इस तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता के अनुपात में होनी चाहिए जिसका अर्थ है कि किसी अन्य कम प्रतिबंधात्मक उपाय की अनुपस्थिति जिसकी योजना बनाई जा सकती है।
वैक्सीन अधिदेश पर न्यायालय के अवलोकन के खिलाफ तर्क:
आनुपातिकता परीक्षण के अनुरूप वैक्सीन अधिदेश:
- राज्यों के पास 'सार्वजनिक स्वास्थ्य' से संबंधित मुद्दों पर कार्रवाई करने का अधिकार है क्योंकि यह संविधान की अनुसूची VII की राज्य सूची की प्रविष्टि 6 के तहत उल्लिखित विषय है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम 1897 से चिकित्सा आपात स्थितियों के दौरान राज्य की कार्रवाई के लिए आवश्यक विधायी सहयोग प्राप्त होता है।
- वैक्सीन अधिदेश गंभीर बीमारी को रोकने और कोविड-19 से होने वाली मौतों को कम करने में कारगर साबित हुआ है। साथ ही, यह भविष्य में वायरस के उत्परिवर्तन को रोकने में सहायक होगा। इसलिए वैक्सीन अधिदेश के पीछे एक वैध उद्देश्य मौजूद है।
- वैक्सीन अधिदेश को अनुपातहीन नहीं कहा जा सकता है। ऐसा लगता है कि कोई अन्य कम प्रतिबंधात्मक उपाय नहीं है जो महामारी के प्रसार को रोकने में मदद कर सके।
व्यक्तिगत अधिकारों पर सामुदायिक हित:
- राज्यों के वैक्सीन अधिदेश को अनुपातहीन मानने का न्यायालय का यह विचार सामुदायिक हित को कमजोर कर सकता है ।
- महामारी के समय में, एक समुदाय को उस बीमारी जिससे उसके सदस्यों की सुरक्षा को खतरा होता है, से अपनी रक्षा करने का अधिकार है। यह अधिकार व्यक्तिगत अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण है।
- यहां तक कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने आशा रंजन बनाम बिहार राज्य (2017) मामले में व्यक्तिगत हितों पर सामुदायिक हितों को प्राथमिकता दी थी।
- इसके अलावा यू.एस. जैसे अन्य देशों में सामुदायिक हितों की रक्षा के लिए वैक्सीन अधिदेश लागू करने के कई मामले हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के वैक्सीन अधिदेश के पक्ष में अपना मत दिया है।.
महामारी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकता है:
- जब तक संक्रमण दर कम है, तब तक वैक्सीन जनादेश को अनुपातहीन रखने के न्यायालय के फैसले से महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई और नए उत्परिवर्तन के विकास को सीमित करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- साथ ही, ऐसा दृष्टिकोण प्रतिक्रियावादी होगा और ऐसे परिदृश्यों में आवश्यकतानुसार क्रियात्मक नहीं होगा। इससे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी अधिक भार पड़ने का खतरा है।
स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा के प्रति राज्य का दायित्व:
- भारत आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा का हस्ताक्षरकर्ता है। इस संधि का अनुच्छेद 12 एक देश को अपने नागरिकों के "शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक" उपभोग को उत्तरोत्तर प्राप्त करने के लिए सभी संभव उपाय करने का अधिकार प्रदान करता है। टीकाकरण अनिवार्य करना इस दिशा में एक कदम है।
- स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है, इसलिए स्वास्थ्य का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को प्रदत्त मौलिक अधिकार है।
सारांश: वैक्सीन अधिदेश पर उच्चतम न्यायालय के दृष्टिकोण में कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई को पटरी से उतारने की आशंका निहित है, इसलिए इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
स्वास्थ्य:
परिवार नियोजन के लक्ष्यों को हासिल करना:
विषय: सामाजिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा- कुल जन्म दर;मिशन परिवार विकास
पृष्ठभूमि:
- नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, कुल प्रजनन दर 1990-92 में 3.4 से घटकर 2019-21 में 2.0 हो गई है।
- इसका श्रेय भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम को दिया जा सकता है जिससे गर्भ निरोधकों तक पहुंच में सुधार हुआ।
सरकार की पहल:
- मिशन परिवार विकास से उच्च गुणवत्ता वाले परिवार नियोजन विकल्पों तक पहुंच बढ़ी है। यह विशेष रूप से कमजोर समुदायों की महिलाओं में आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर (mCPR) को बढ़ाने में सफल रहा है।
- वर्तमान समय में गर्भ निरोधकों के कई विकल्प उपलब्ध है। पुरुष और महिला कंडोम एवं गर्भनिरोधक गोलियों (COCP) के अलावा अब गर्भनिरोधक इंजेक्शन भी उपलब्ध हैं।
सिफारिशें:
हालाँकि परिवार नियोजन में प्रभावशाली प्रगति हुई है लेकिन इस आलेख में निम्नलिखित सुझाव दिए गए है।
युवा आबादी को शामिल करना:
- NFHS-5 और 2022 की संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों में किशोरों में बच्चे पैदा करने में वृद्धि हुई है। इसके लिए युवा आबादी तक परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच में सुधार की आवश्यकता है। यह भारत के कुछ जिलों में युवाओं में कम mCPR को संबोधित करने में मदद करेगा।
स्वास्थ्य कर्मियों के बीच क्षमता निर्माण:
- परिवार नियोजन रसद प्रबंधन सूचना प्रणाली का उपयोग करने में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच क्षमता निर्माण उन्हें वंचित समुदायों में गर्भ निरोधकों की बेहतर उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने में सक्षम बनाएगा।
- परिवार नियोजन रसद प्रबंधन सूचना प्रणाली स्वास्थ्य सुविधाओं के सभी स्तरों पर परिवार नियोजन के लिए एक समर्पित सॉफ्टवेयर है।
हस्तक्षेप का कस्टमाइजेशन:
- परिवार नियोजन हस्तक्षेपों को स्वास्थ्य आवश्यकताओं और आबादी के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है जिनके लिए हस्तक्षेप लागू किया जाना है। यह इस तरह के हस्तक्षेपों की बेहतर प्रभावशीलता सुनिश्चित करेगा।
पुरुष जुड़ाव को बढ़ावा देना:
- परिवार नियोजन के विमर्श में पुरुषों को शामिल करना चाहिए क्योंकि यह न केवल लैंगिक रूप से तटस्थ होगा बल्कि अधिक प्रभावी भी होगा।
निजी क्षेत्र को शामिल करना:
- परिवार नियोजन के मामले में सेवा वितरण में सुधार हेतु निजी क्षेत्र की क्षमताओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। निजी क्षेत्र परिवार नियोजन में अभिनव समाधान प्रस्तुत कर सकता है, जिससे समुदाय की सेवाओं तक पहुंच में सुधार होगा।
सारांश:
- गर्भ निरोधकों तक पहुंच और आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर (mCPR) के उच्च स्तर को सुनिश्चित करना भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होगा।
F. प्रीलिम्स तथ्य:
1. केंद्र ने अंतरराज्यीय परिषद का पुनर्गठन किया
विषय:कार्यपालिका की संरचना, गठन और कार्यप्रणाली
प्रारंभिक परीक्षा: अंतरराज्यीय परिषद- संरचना, कार्यप्रणाली और संबंधित संवैधानिक प्रावधान।
प्रसंग:
- अंतर्राज्यीय परिषद का पुनर्गठन।
विवरण:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 में एक अंतरराज्यीय परिषद का प्रावधान है।
- अंतरराज्यीय परिषद देश में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए कार्य करती है।
- अंतर्राज्यीय परिषद् का पुनर्गठन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री अध्यक्ष और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व छह केंद्रीय मंत्री सदस्य हैं।
- दस केंद्रीय मंत्रियों को अंतरराज्यीय परिषद में स्थायी रूप से आमंत्रित किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री को अध्यक्ष बनाए जाने के साथ अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति का भी पुनर्गठन किया गया है। स्थायी समिति के पास परिषद के विचार के लिए निरंतर परामर्श और प्रक्रिया से संबंधित मामले होंगे। केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित सभी मामलों पर अंतरराज्यीय परिषद में विचार करने से पहले स्थायी समिति में चर्चा की जाएगी।
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
1. दीमा हसाओ में तबाही और उसके प्रभाव
- असम के दीमा हसाओ में लगातार हो रही भारी बारिश से इस जिले से गुजरने वाली एक महत्वपूर्ण रेलवे लाइन बुरी तरह प्रभावित हुई है।
- दीमा हसाओ ब्रह्मपुत्र और बराक नदी घाटियों के बीच बरेल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है।
- यह रेलवे लिंक व्यापार और यात्रा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
- दीमा हसाओ दक्षिणी असम की बराक घाटी, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों को मिलाकर गठित एक विशाल क्षेत्र है।
- यह रेलवे ट्रैक भारत की पूर्व की ओर देखो नीति के लिए भी महत्वपूर्ण है,क्योंकि इस ट्रैक के माध्यम से त्रिपुरा से बांग्लादेश की चटगांव बंदरगाह तक वस्तुओं की आवाजाही की योजना है।
2. WHO द्वारा आशा कार्यकर्ताओं की प्रशंसा
- WHO के ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड 2022 के छह प्राप्तकर्ताओं में आशा वर्कर्स (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) भी शामिल हैं।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, 2005 के तहत आशा वर्कर्स की भर्ती की गई थी, 10 लाख कार्यकर्ताओं वाला यह संगठन समुदाय और स्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करने के साथ भारत का अग्रणी स्वास्थ्य कार्यबल बन गया है।
3 . महामारी के दौरान प्रत्येक 30 घंटे में एक नया अरबपति
- एक नए ऑक्सफैम ब्रीफ के अनुसार जिसका शीर्षक "दर्द से लाभ" है में बताया गया है कि महामारी के बीच विश्व में अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि हुई है। दुनिया के अरबपतियों की कुल संपत्ति अब वैश्विक जीडीपी के 13.9% के बराबर है, जो 2000 में 4.4% थी।
- लैंगिक असमानताएं भी बढ़ी हैं क्योंकि महिलाओं को एक तरफ तो असमान रूप से रोजगार से बाहर कर दिया गया वही दूसरी तरफ उन्हें वेतन में भी लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ा।
- रिपोर्ट में आय असमानताओं और स्थायी संपत्ति करों को बढ़ने से रोकने के लिए कर उपायों की सिफारिश की गई है।
H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
1. "भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में नवीन व्यापार समझौत करने की दिशा में एक नया जोश दिखाया है।" चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III- अर्थशास्त्र)
2. भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता पुरुष मानसिकता के बदलने और उनके द्वारा अधिक जिम्मेदारी लेने पर निर्भर है। क्या आप सहमत हैं? विस्तारपूर्वक बताइए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I- भारतीय समाज)
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