A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पाकिस्तान का आर्थिक संकट और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की चुनौती
विषय: विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बारे में।
मुख्य परीक्षा: पाकिस्तान में आर्थिक संकट, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ उसकी वार्ता और भावी कदम।
संदर्भ:
- पाकिस्तान में आर्थिक संकट।
विवरण:
- पाकिस्तानी रुपया (PKR) का मूल्य 21 जून को डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 213 पर आ गया है, जो अप्रैल 2021 में 150 रुपया था।
- इसके अलावा, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी एक वर्ष से निरंतर कम हो रहा है।
- स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, जून 2022 में शुद्ध विदेशी भंडार गिरकर 8.9 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, जो जून 2021 में 17.2 बिलियन डॉलर था।
- पाकिस्तान में नई सरकार ने ईंधन की कीमत में वृद्धि की है और नवीनतम बजट में पेट्रोलियम विकास शुल्क (petroleum development levy) को फिर से लागू करने का प्रस्ताव रखा है।
- इसके परिणामस्वरूप तेल और बिजली की कीमतों में और वृद्धि होगी। इसके कारण देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
- रेटिंग एजेंसी मूडीज ने "बढ़े हुए बाहरी भेद्यता जोखिम" और "अतिरिक्त बाहरी वित्तपोषण को सुरक्षित करने की क्षमता" के आधार पर पाकिस्तान के परिदृश्य को नकारात्मक कर दिया।
- पाकिस्तानी सरकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच हुई वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और पाकिस्तान के बीच वार्ता:
- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इसे सहायता प्रदान करता है या नहीं। हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ पाकिस्तान के संबंध जटिल रहे हैं।
- हाल के वर्षों में, पाकिस्तान में आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना बढ़ी है जिसके चलते उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता लेने के बजाय चीन तथा सऊदी अरब जैसे देशों से संपर्क किया है, जिनके साथ उसके मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।
- पाकिस्तान की नई सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से धनराशि जारी करने, सहायता कार्यक्रम का विस्तार करने और भुगतान के लिए अधिक समय प्रदान करने की गुजारिश की है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मई 2022 में अपनी आखिरी बैठक के बाद अपने बयान में पाकिस्तान की मदद करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन उसने व्यापक आर्थिक सुधारों के संबंध में कुछ शर्तें रखी थीं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा रखी गई शर्तें:
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ते राजकोषीय तथा चालू खाता घाटे को कम करने और कमजोर वर्गों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपाय करने का आदेश दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समझौतों से कोई विचलन नहीं चाहता है, विशेषकर ईंधन और बिजली सब्सिडी के संबंध में।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यह भी चाहता है कि पाकिस्तान अपनी कर्ज की स्थिति के बारे में पारदर्शी हो, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के एक भाग के रूप में चीन का पाकिस्तान पर बकाया भी शामिल है।
पाकिस्तान के लिए भावी कदम:
- सब्सिडी देने का निर्णय राजनीतिक रूप से संवेदनशील होता है और पकिस्तान में चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार के लिए इस संबंध में निर्णय करना कठिन है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सरकार के कुछ और आश्वासनों के बाद सहायता देना स्वीकार कर सकता है। हालांकि, राहत सरकार की अपेक्षा से कम हो सकती है।
- पाकिस्तान में, बजट लोकलुभावन बना हुआ है; भ्रष्टाचार ने आर्थिक शासन को प्रभावित किया है, वित्तीय संस्थानों में स्वतंत्रता की कमी है, निर्यात में लगातार गिरावट आई है और ईंधन, तेल तथा बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी बहुत अधिक है।
- लेकिन पाकिस्तान की पिछली सरकारें वैश्विक संस्थानों और अन्य मित्र देशों से उधार लेना जारी रखते हुए बाहरी बेलआउट पैकेज प्राप्त करने का प्रयास करती रही हैं।
- पाकिस्तान में अर्थशास्त्री इस संदर्भ में व्यापक आर्थिक सुधारों का आवाह्न करते रहे हैं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी अरब और चीन जैसे देशों से कर्ज गुप्त लागत और शर्तों के अधीन लिया गया है और पाकिस्तान को शर्तों को तोड़ने पर पैसे वापस करने के लिए बाध्य किया गया है।
- विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति की तुलना श्रीलंका के आर्थिक संकट से की है।
- विशेषज्ञों ने चेतवानी दी है कि यदि पाकिस्तान ने रुपये के गिरते मूल्य, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और ईंधन की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो उसे भी श्रीलंका के जैसे ही परिणामों को भुगतना होगा।
सारांश:
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C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधन संग्रहण, वृद्धि एवं विकास से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC)।
मुख्य परीक्षा: ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के बारे में विवरण और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के गठन की आवश्यकता।
संदर्भ:
- केंद्र सरकार ने पांच शहरों में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के प्रायोगिक चरण के शुभारंभ की घोषणा की है।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC):
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो देश में स्थानीय डिजिटल कॉमर्स स्टोर्स को एक ओपन नेटवर्क के जरिये डिजिटल तौर पर दिखने और लेनदेन करने में समर्थ बनाता है।
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स न तो एक एग्रीगेटर एप्लिकेशन है और न ही एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है और सभी मौजूदा डिजिटल कॉमर्स एप्लिकेशन तथा प्लेटफॉर्म स्वेच्छा से ONDC नेटवर्क को अपनाने और उसका हिस्सा बनने का विकल्प चुन सकते हैं।
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स का उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है जो ग्राहकों को सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से उत्पाद खरीदने में सक्षम बनाता हो।
- ओपन नेटवर्क की अवधारणा खुदरा क्षेत्र से परे, किसी भी डिजिटल वाणिज्य डोमेन जैसे थोक, गतिशीलता, खाद्य वितरण, रसद, यात्रा, शहरी सेवाओं, आदि तक विस्तृत है।
- सरकार ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स मॉडल को अपनाकर इसे एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) की तरह ही सफल बनाने की कोशिश कर रही है।
- UPI के माध्यम से एक व्यक्ति पैसा भेज और प्राप्त कर सकता है, भले ही वह किसी भी भुगतान प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हो।
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स को एक ऐसी इकाई के रूप में प्रस्तावित किया गया था जो शेयरधारकों के दिन-प्रतिदिन के हस्तक्षेप और सलाह की आवश्यकता के बिना काम करेगी।
- प्रबंधन की स्वतंत्रता इकाई की वित्तीय स्वतंत्रता से संबद्ध है, और इसलिए, इकाई को स्वतंत्र रूप से वित्त पोषण प्राप्त होगा और यह एक आत्मनिर्भर वित्तीय मॉडल होगा।
चित्र स्रोत: Times of India
ONDC के गठन के कारण:
- कोविड-19 महामारी के दौरान उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा आयोजित एक आउटरीच कार्यक्रम के अनुसार, ऑनलाइन मांग और स्थानीय खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र की भाग लेने की क्षमता में बहुत अधिक अंतर था।
- इसके बाद, विभिन्न मंत्रालयों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया और भारत में डिजिटल कॉमर्स में क्रांति लाने के लिए ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स की परिकल्पना की गई।
- इसके बाद, ONDC को भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल ई-कॉमर्स क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण करने के उद्देश्य से पेश किया गया, जिस पर वर्तमान में दो अमेरिकी-आधारित फर्मों अर्थात अमेज़ॅन और वॉलमार्ट का प्रभुत्व है।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स की वर्तमान स्थिति:
- वर्तमान में, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स लगभग 150 खुदरा विक्रेताओं को पंजीकृत करने के लक्ष्य के साथ पांच शहरों दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में अपने प्रारंभिक चरण में है।
- सरकार ने एक अवधारणा के रूप में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स की क्षमता की पहचान करने और लोगों द्वारा इसे अपनाने में तेजी लाने के लिए आवश्यक उपाय करने हेतु सलाह देने के लिए एक सलाहकार परिषद का गठन किया है।
- सलाहकार परिषद में उद्योग विशेषज्ञ के साथ-साथ विभिन्न सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल हैं।
- अगले पांच वर्षों में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स नेटवर्क पर 90 करोड़ उपयोगकर्ताओं और 12 लाख विक्रेताओं को जोड़ने की योजना बनाई गई है जिससे 730 करोड़ अतिरिक्त खरीद और 3.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सकल बिक्री मूल्य (GMV) प्राप्त होगा।
- वर्ष 2020 में, भारत में डिजिटल कॉमर्स रिटेल मार्केट के लिए सकल बिक्री मूल्य (GMV) 2.85 लाख करोड़ रुपये था, जो भारत में कुल रिटेल GMV का केवल 4.3% है।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:
https://byjus.com/current-affairs/open-network-digital-commerce/
सारांश:
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D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
E. संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
यूक्रेन और उसकी महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया
विषय: महिलाओं की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: इस्तांबुल सम्मेलन।
मुख्य परीक्षा: यूक्रेन के लिए इस्तांबुल कन्वेंशन का महत्व।
पृष्टभूमि:
- यूक्रेन की संसद वेरखोव्ना राडा (Verkhovna Rada) ने एक विधेयक पारित किया है, जिसके तहत इस्तांबुल कन्वेंशन की पुष्टि की गई है।
इस्तांबुल कन्वेंशन:
- यूरोप की परिषद ने अप्रैल 2011 में इस्तांबुल कन्वेंशन की स्थापना की जिसे "महिलाओं और घरेलू हिंसा के खिलाफ हिंसा को रोकने वाला कन्वेंशन" भी कहा जाता है।
- अनुसमर्थन/पुष्टि संधि की शुरुआत मई 2011 में हुई तथा यह अगस्त 2014 में लागू हुई थी।
- इस्तांबुल कन्वेंशन पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन है जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा और दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- इस मानवाधिकार संधि की परिकल्पना में शामिल है:
- महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को रोकना और उन पर मुकदमा चलाना
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
- हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना।
- तुर्की इस्तांबुल सम्मेलन की पुष्टि करने वाला पहला देश था (हालाँकि, 2021 में, तुर्की कन्वेंशन से हट गया)
- मार्च 2019 तक, इस पर 45 देशों सहित यूरोपीय संघ हस्ताक्षर कर चुका हैं।
- कन्वेंशन का अनुच्छेद 3 "लिंग" को "सामाजिक रूप से निर्मित भूमिकाओं, व्यवहारों, गतिविधियों और विशेषताओं के रूप में परिभाषित करता है जो समाज महिलाओं और पुरुषों के लिए उपयुक्त मानता है"।
यूक्रेन के लिए इस्तांबुल कन्वेंशन की पुष्टि का महत्व:
- पहली बार यूक्रेन ने 2011 में इस सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए थे तथा सरकार कार्यकर्ताओं की बार-बार मांग के बावजूद इसकी पुष्टि करने में विफल रही थी।
- दस्तावेज़ में प्रयुक्त "लिंग" शब्द पर धार्मिक और रूढ़िवादी समूहों द्वारा आपति के कारण सरकार अनुसमर्थन पर मौन रही थी।
- कन्वेंशन के अनुसमर्थन को सभी प्रकार की हिंसा से महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
- यूक्रेन में 2003 से घरेलू हिंसा एक प्रशासनिक अपराध रहा है और 2019 में व्यवस्थित घरेलू हिंसा को अपराध घोषित कर दिया गया था, जिसका अर्थ था कि आपराधिक आरोप तभी लगाए जाएंगे जब दुर्व्यवहार करने वाला एक वर्ष में तीन अपराध करता है
- हालांकि ये कानून पीड़ितों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा तथा यूक्रेन में महिला अधिकार कार्यकर्ता कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं।
- कन्वेंशन का अनुसमर्थन अब 'यूक्रेन में कानून द्वारा दंडनीय महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार की सूची का विस्तार करेगा, जिसमें मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, पीछा करना, जबरन शादी, शारीरिक और यौन शोषण, जबरन गर्भपात, नसबंदी आदि शामिल है।
- यह अधिकारियों को कानून और संस्थागत प्रक्रियाओं में बदलाव लाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
- यूक्रेन में रूस के आक्रमण के बाद से ही यूक्रेन में महिलाओं को लिंग आधारित हिंसा का शिकार होना पड़ा है।
- रूसी सैनिकों पर बलात्कार और यौन हिंसा को युद्ध के हथियार और नागरिकों को नियंत्रित करने के साधन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।
- कन्वेंशन के अनुसमर्थन से यूक्रेनी अधिकारियों को इस तरह के अत्याचारों से निपटने में मदद मिलेगी और उन्हें बचे लोगों को आश्वस्त करने में मदद तथा उन्हें न्याय पाने का विश्वास प्राप्त होगा।
- अनुसमर्थन, यूक्रेन को महिलाओं के आश्रयों को वित्तपोषित करने, सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और पीड़ितों की सहायता के लिए उपलब्ध संसाधनों के विस्तार को अनिवार्य करता है।
- इसके अलावा, कन्वेंशन के अनुसमर्थन से यूक्रेन के यूरोपीय एकीकरण में मदद मिलेगी क्योंकि गारंटीकृत मानवाधिकार यूरोपीय संघ (EU) की सदस्यता के विस्तार हेतु सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
थर्मल पावर जनरेटरों की समस्या
विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: भारत में कोयला संकट और उसके कारणों की चर्चा करें।
पृष्टभूमि:
- निरंतर कोयले की कमी के कारण भारत की बिजली की मांग 211 मेगावाट की रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
विवरण:
- तापमान में वृद्धि और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के साथ ही बिजली की मांग 200 मेगावाट का आंकड़ा पार कर गई, लेकिन कोयले की कमी के कारण उसका स्टॉक केवल आठ दिनों तक ही है।
- बिजली मंत्रालय ने घरेलू आपूर्ति में कमी और बढ़ती मांग के बीच की खाई को पाटने के लिए जेंकोस (gencos) (बिजली पैदा करने वाली कंपनियों) को अपनी आवश्यकता के लिए केवल 10% आयातित कोयले का उपयोग करने का निर्देश दिया है।
भारत में बिजली संकट के कारण:
- कोयले का घरेलू उत्पादन FY18 और FY21 के बीच स्थिर रहा, लेकिन FY22 में पुनर्जीवित हुआ। हालांकि, आर्थिक सुधार और गर्म मौसम के कारण बिजली की मांग में वृद्धि हुई।
- FY20 तक, बिजली क्षेत्र की कोयले की आपूर्ति का लगभग 90% हिस्सा की पूर्ति घरेलू स्रोतों से होती थी, शेष आयात द्वारा की जाती थी। लेकिन FY22 तक, आयात पर निर्भरता घटकर 3.8% रह गई जिससे घरेलू आपूर्ति पर दबाव बढ़ गया।
- बिजली संयंत्रों द्वारा आयातित कोयले को वित्त वर्ष 22 में घटाकर 27 मीट्रिक टन कर दिया गया था, जो वित्त वर्ष 2017 में 66.06 मीट्रिक टन था।
- स्वदेशी कोयले पर चलने वाले बिजली संयंत्रों द्वारा सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए आयात किए जाने वाले कोयले को भी वित्त वर्ष 22 में घटाकर 8 MT कर दिया गया, जो कि वित्त वर्ष 17 में 19.7 MT था।
- आयात में गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले की कीमतों में वृद्धि के कारण भी है।
- आयातित कोयले की लागत घरेलू आपूर्ति की तुलना में लगभग 5-6 गुना अधिक है।
- घरेलू आपूर्ति में गिरावट और आयात की बढ़ती कीमतों ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
- आयातित कोयले के उपयोग से डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को बिजली की आपूर्ति की कीमतों में भी वृद्धि होगी और वर्तमान में डिस्कॉम का जेनकोस का 1.16 लाख करोड़ रुपये का बकाया है।
- डिस्कॉम द्वारा भुगतान में देरी के परिणामस्वरूप जेनकोस के लिए कार्यशील पूंजी की कमी होती है जो पर्याप्त मात्रा में कोयले की खरीद करने की उनकी क्षमता को और प्रभावित करती है।
- अधिकांश राज्य सरकारें समय-समय पर टैरिफ में संशोधन नहीं करती हैं और सरकार से मुआवजा प्राप्त करने में देरी से डिस्कॉम प्रभावित होती है।
सारांश:
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F. प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत, ऑस्ट्रेलिया के वैश्विक दृष्टिकोण के केंद्र में है: उप-प्रधानमंत्री मार्लेस
- ऑस्ट्रेलियाई उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने अपने भारत दौरे पर कहा कि भारत सदैव उसके "वैश्विक दृष्टिकोण" के केंद्र में रहता है।
- उन्होंने दोनों देशों के लोकतांत्रिक होने, कानून का शासन और वैश्विक नियम-आधारित व्यवस्था बनाने और उसका सम्मान करने के संदर्भ में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साझा मूल्यों के बारे में भी चर्चा की।
- उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण चीन सागर और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हाल के वर्षों में चीन की मुखरता ने ऑस्ट्रेलिया और भारत को वैश्विक नियम-आधारित व्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रेरित किया है।
2. भारत ने काबुल में फिर से दूतावास खोला और सहायता भी भेजी:
- अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति फिर से स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत ने काबुल में अधिकारियों का एक दल भेजा है और वहां अपना दूतावास फिर से खोल दिया है।
- सरकार द्वारा 10 महीने बाद दूतावास को फिर से खोलने का कदम तालिबान से बात न करने की सरकार की नीति के उलट है।
- दूतावास का खुलना तालिबान शासन के साथ मिलकर काम करने की दिशा में एक कदम है।
- भारत ने अफगानिस्तान को भूकंप राहत सहायता की अपनी पहली खेप भी भेजी है।
- सुरक्षा और इंजीनियरिंग कर्मियों से युक्त एक पुनर्गठित टीम को काबुल भेजा गया है, जिसका उद्देश्य कांसुलर और वीज़ा व्यवस्था स्थापित करना, मानवीय सहायता का वितरण, और भारतीय कंपनियों द्वारा अफगानिस्तान में शुरू की गई विभिन्न विकास परियोजनाओं के रखरखाव और पुनरारंभ की निगरानी करना है।
H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) प्लेटफॉर्म का उद्देश्य नए अवसर पैदा करना और डिजिटल एकाधिकार को समाप्त करना है। टिप्पणी कीजिए।
(10 अंक, 150 शब्द) (GS III - अर्थव्यवस्था)
2. पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट के संभावित कारणों की विवेचना कीजिए।
(10 अंक, 150 शब्द) (GS II - अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
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