दैनिक समाचार विश्लेषण- 23- मई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 23rd, 2022

समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।

Table of Content

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

LOCs जारी करने की प्रक्रिया को समझना:

विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं। 

प्रारंभिक परीक्षा: लुक आउट सर्कुलर (LOCs)। 

मुख्य परीक्षा: लुक आउट सर्कुलर जारी करने की शक्ति,प्रक्रिया और इससे सम्बंधित विभिन्न चिंताएं। 

प्रसंग:

  • हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक याचिकाकर्ता नूर पॉल के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर (LOCs) को खारिज कर दिया और प्रतिवादियों को निर्देश जारी किए हैं।

पृष्ठ्भूमि:

  • उच्च न्यायालय ने पाया की बैंक ऑफ इंडिया की नूर पॉल के खिलाफ LOC जारी करने की कार्रवाई "मनमानी, अवैध और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन" थी।
  • हाई कोर्ट ने लुक आउट सर्कुलर (LOC) को रद्द करते हुए गृह मंत्रालय (MHA) और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (BOI) को LOC की एक प्रति प्रभावित व्यक्ति को भेजने को कहा तथा LOC को यथाशीघ्र जारी करने के कारणों का उल्लेख करने और निर्णय के बाद एक अवसर प्रदान करने के लिए कहा।
  • कोर्ट ने MHA और BOI को इन निर्देशों को आधिकारिक दिशानिर्देशों में शामिल करने का निर्देश दिया है, जिनके द्वारा LOCs को प्रशासित किया जाता हैं।
  • हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है,और सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर के खास पैराग्राफ पर रोक लगा दी है। 

लुक आउट सर्कुलर (Look Out Circular (LOC)):

  • LOC एक नोटिस है जो किसी व्यक्ति विशेष को जारी किया जाता हैं, जिसमें पुलिस, अनुसन्धान एजेंसियां या बैंक उसे देश छोड़ने या देश में किसी भी तरह से प्रवेश करने से रोकना चाहते हैं।
  • ऐसे व्यक्तियों को देश छोड़ने या प्रवेश करने से रोकने का काम आप्रवासन (Immigration) को सौंपा गया है।
  • वर्तमान में पूरे देश में 86 अप्रवासन जांच चौकियां मौजूद हैं।
  • जिन व्यक्तियों के खिलाफ LOC जारी किया गया है वे सर्कुलर को चुनौती दे सकते हैं,और अदालत से राहत प्राप्त कर सकते हैं।

LOCs जारी करने की शक्ति: 

  • केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), आयकर, राज्य पुलिस जैसी जांच एजेंसियां ​​और व्यक्तियों के खिलाफ LOC जारी करने के लिए अधिकृत हैं।
  • केंद्र सरकार में LOC जारी करने वाला अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस अधीक्षक या उप सचिव से नीचे के रैंक का अधिकारी नहीं होना चाहिए।

LOC के बारे में विवरण:

  • गृह मंत्रालय द्वारा 2010 में जारी आधिकारिक ज्ञापन के अनुसार, प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) संख्या, कोर्ट केस नंबर जैसे विवरण नाम, पासपोर्ट नंबर और ऐसे अन्य विवरणों के साथ अनिवार्य रूप से प्रदान किए जाने चाहिए।
  • गृह मंत्रालय के तहत केवल आप्रवासन ब्यूरो इसकी निष्पादन एजेंसी है। 
  • BOI अधिकृत एजेंसियों द्वारा किए गए अनुरोधों के आधार पर LOC जारी करता है।
  • चूंकि BOI के अधिकारियों को आव्रजन पदों के प्रबंधन का काम सौंपा गया है,अतः वे व्यक्तियों को देश छोड़ने से रोककर LOC निष्पादित करने के लिए सर्वप्रथम उत्तरदायी हैं।
  • किसी LOC को केवल उस अधिकृत अधिकारी के अनुरोध पर संशोधित/हटाया/वापस लिया जा सकता है, जिसके द्वारा पहले सम्बंधित LOC को जारी किया गया था।
  • साथ ही LOC के अनुसरण में अप्रवासन प्राधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाइयों की कानूनी जिम्मेदारी उस एजेंसी की होती है जिसने LOC जारी करने का अनुरोध किया था।
  • सम्बंधित मानदंडों के आधार पर LOC अधिकतम 12 महीने (1 वर्ष) की अवधि के लिए वैध होती हैं, और यदि एजेंसी से इसे बढ़ाने के लिए कोई नया अनुरोध नहीं करती हैं तो यह स्वचालित रूप से पुनर्जीवित नहीं होती हैं।

क्या बैंक LOC जारी करने के लिए अधिकृत हैं?

  • विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कई ऋण चूककर्ताओं के देश छोड़ने के बाद,गृह मंत्रालय ने वर्ष 2018 में 2010 के दिशानिर्देशों में संशोधन किया जिसमे सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को उन व्यक्तियों के खिलाफ LOC जारी करने के लिए अधिकृत किया जो भारत के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
  • MHA ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि बैंकों को LOC जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है, क्योंकि हाल के वर्षों में ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं जिनमें सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के ऋण चूककर्ताओं या आर्थिक अपराधियों ने देश छोड़ दिया है।

अन्य प्रावधान जिनके तहत व्यक्तियों को रोका जा सकता है:

  • वर्ष 2010 के दिशानिर्देश पुलिस और खुफिया एजेंसियों को "संदिग्धों, आतंकवादियों, बड़े राष्ट्रीय हित में राष्ट्र विरोधी तत्वों" के खिलाफ पूरी जानकारी या मामले का विवरण प्रदान किए बिना,"असाधारण मामलों" में LOC जारी करने के लिए अधिकृत करते हैं।
  • ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई को 2015 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा उपरोक्त प्रावधान के आधार पर LOC जारी करने के बाद लंदन की यात्रा करने से रोक दिया गया था।
  • अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, कई राजनेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ LOC जारी किए गए ताकि उन्हें देश छोड़ने से रोका जा सके लेकिन ऐसे व्यक्तियों की संख्या और उनके द्वारा किए गए अपराधों की सूची अज्ञात है।

 LOCs से सम्बंधित की हालिया घटनाक्रम:

  • हाल ही में गृह मंत्रालय ने माना है कि हिरासत के समय " LOC में विषय को नहीं दर्शाया जा सकता" हैं और न ही इसके बारे में पूर्व सूचना दी जा सकती हैं,क्योंकि LOC दिशानिर्देश एक गुप्त दस्तावेज हैं और इसे 'आरोपी' या किसी अनधिकृत हितधारक के साथ साझा नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसा होने पर यह LOC के उद्देश्यों को विफल कर देता है।
  • गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि LOC जारी करने से पहले आरोपी या LOC के अधीन व्यक्तियों को सुनवाई का अवसर नहीं दिया जा सकता है।
  • जनवरी 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास चौधरी (दिल्ली के एक व्यवसायी) के खिलाफ आयकर विभाग के अनुरोध पर जारी किए गए एक LOC को रद्द कर दिया था।
  • अदालत ने माना कि "याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी कानून के तहत कोई कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी"।
  • दिल्ली की अदालत ने अप्रैल 2022 में आकार पटेल (एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के अध्यक्ष) के खिलाफ एक LOC को रद्द कर दिया और कहा कि यात्रा करने के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार पर कोई मनमाना प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।

सारांश:

  • चूंकि व्यक्तियों के खिलाफ LOC की मनमानी का मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीशुदा विदेश यात्रा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है,हालाँकि न्यायपालिका ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई है और मंत्रालय को जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

मेहुल चौकसी के खिलाफ केस:

विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू। 

प्रारंभिक परीक्षा: इंटरपोल एवं प्रत्यर्पण संधियों से सम्बंधित जानकारी।  

मुख्य परीक्षा: आर्थिक अपराधियों के खिलाफ सरकार द्वारा किए गए उपाय। 

प्रसंग:

  • डोमिनिकन सरकार ने मेहुल चोकसी के खिलाफ सभी आरोपों को हटाने का फैसला किया है। 

पृष्ठ्भूमि:

  • मेहुल चोकसी,पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 13,578 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा वांछित है। 
  • ज्ञातव्य हैं किउसके खिलाफ मामला दर्ज होने से कुछ दिन पहले ही वह जनवरी 2018 में एंटीगुआ और बारबुडा से भाग गया था। 
  • वह मई 2021 में एंटीगुआ और बारबुडा से भाग कर डोमिनिका चला गया था, जहां उसे अवैध प्रवेश के आरोप में हिरासत में लिया गया था। 
  • जुलाई 2021 में, डोमिनिका उच्च न्यायालय ने उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए जमानत देने के बाद वापस एंटीगुआ और बारबुडा की यात्रा करने की अनुमति दी। डोमिनिकन सरकार ने हाल ही में उसके खिलाफ सभी आपराधिक कार्यवाही को हटा दिया है। 

भारत में मेहुल चौकसी के खिलाफ आरोप: 

  • CBI ने पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत के आधार पर चोकसी, नीरव मोदी और अन्य के खिलाफ जनवरी 2018 में कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर लगभग 280 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी  के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 
  • डायमंड्स R US, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स नाम की तीन फर्मों की कथित भूमिका तब नजर में आई जब उन्होंने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के लिए खरीदार के क्रेडिट के लिए मुंबई में PNB की शाखा से संपर्क किया। 
  • CBI ने चोकसी की गीतांजलि समूह की तीन कंपनियों के खिलाफ बैंक को कथित रूप से ₹4,887 करोड़ का चुना लगाने (धन गबन करने) के लिए एक और मामला दर्ज किया। 
  • इसकी जांच के बाद, CBI ने आरोप पत्र दायर किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि इसमें शामिल राशि लगभग 7,080 करोड़ रुपये थी। 
  • CBI ने गीतांजलि जेम्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ आईएफसीआई लिमिटेड को 22.06 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एक और मामला दर्ज किया। 
  • ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ( Prevention of Money Laundering Act)के तहत मामले दर्ज किए हैं और भारत और विदेशों में सैकड़ों करोड़ की संपत्ति कुर्क की है। 
  • उसके खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम ( Fugitive Economic Offenders Act) के तहत कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। 

मेहुल चोकसी का एंटीगुआ और बारबुडा में स्थानांतरण:

  • बैंक द्वारा सीबीआई में शिकायत दर्ज करने से कुछ दिन पहले जनवरी 2018 में मेहुल चोकसी और उसके रिश्तेदार भारत से भाग गए थे।
  • CBI ने पाया कि उसने मई 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता के लिए आवेदन किया था और नवंबर 2017 में उसके आवेदन पर कार्रवाई की गई और जनवरी 2018 में उसने एंटीगुआ के प्रति निष्ठा की शपथ ली और तभी से वह इस देश में रह रहा है। 
  • यह भी कहा जाता है कि उन्होंने दिसंबर 2017 में हांगकांग का दौरा किया था और अपनी तथाकथित आपूर्तिकर्ता कंपनियों के डमी निदेशकों को थाईलैंड वीजा के लिए आवेदन करने के लिए कहा था। 
  • उसकी इन गतिविधियों को देखते हुए ED ने आरोप लगाया है कि वह आपराधिक कार्यवाही के बारे में बहुत पहले से जानता था। 
  • चोकसी को वापस लाने के लिए भारतीय एजेंसियों द्वारा CBI ने इंटरपोल से संपर्क किया और दिसंबर 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने में सफल रही। 

चोकसी को वापस लाने के लिए भारतीय एजेंसियों द्वारा किए गए उपाय: 

  • CBI ने इंटरपोल (Interpol )से संपर्क किया और दिसंबर 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस (Red Notice)जारी करने में सफल रही। 
  • हालांकि भारत की एंटीगुआ और बारबुडा के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन विदेश मंत्रालय के आदेश के अनुसार प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 के प्रावधान, (अध्याय III के अलावा) (Extradition Act, 1962)    एंटीगुआ और बारबुडा के प्रत्यर्पण अधिनियम के तहत भारत को एक नामित राष्ट्रमंडल देश के रूप में अधिसूचित करने की तारीख 17 सितंबर 2001 से एंटीगुआ और बारबुडा पर लागू होते हैं।   
  • चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए भारत एंटीगुआ और बारबुडा की अदालत में प्रयास कर रहा है।  
  • वह अपनी एंटीगुआन नागरिकता की वैधता के खिलाफ भी आरोपों का सामना करता है। 

सारांश:

  • चूंकि इन अपराधियों की वजह से बड़ी मात्रा में धन दांव पर लगा है और यदि ऐसे व्यक्ति बिना अभियोजन के दूसरे देश भाग जाते हैं तो ऐसी स्थिति में गंभीर परिणामों की संभावना को स्वीकार करते हुए, भारत को भगोड़े की हिरासत और भारत में उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर और राजनयिक चैनलों का उपयोग करना चाहिए।

 

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

AI चिप का उदय:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास,उनके अनुप्रयोग और प्रभाव। 

प्ररम्भिक परीक्षा: AI चिप और डीप लर्निंग से सम्बंधित जानकारी। 

मुख्य परीक्षा: AI चिप और पारंपरिक चिप के बीच अंतर एवं AI चिप से सम्ब्नधित अनुप्रयोग। 

प्रसंग:

  • इस लेख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चिप के क्षेत्र में हुए विकासक्रम के बारे में बात की गई है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI चिप:

  • AI चिप्स वे हैं जो विशिष्ट वास्तु-विद्या से बनाई जाती हैं, और जिसे तेजी से गहन शिक्षण-आधारित अनुप्रयोगों में सहायता करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI के साथ एकीकृत किया जाता हैं।  
  • डीप लर्निंग या एक्टिव न्यूरल नेटवर्क (ANN) या डीप न्यूरल नेटवर्क (DNN) मशीन लर्निंग की एक डिवीजन है और यह AI फ्रेमवर्क के तहत भी आता है।  
  • इसमें कंप्यूटर एल्गोरिदम की एक श्रृंखला को शामिल किया जाता है,जिसके परिणामस्वरूप इसमें गतिविधि और मस्तिष्क संरचना का निर्माण होता है।
  • इसमें मौजूदा डेटा के माध्यम से प्रशिक्षण द्वारा गहराई से सीखने की नई क्षमता है।  
  • डीप लर्निंग में प्रशिक्षण चरण के दौरान विकसित क्षमताओं को लागू करने और अज्ञात डेटा के बारे में भविष्यवाणियां करने की क्षमता होती है।
  • इस प्रकार डीप लर्निंग बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी से और सरल तरीके से एकत्र,विश्लेषण और व्याख्या करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
  • उन्नत पैकेजिंग, मेमोरी और स्टोरेज के साथ उन्नत हार्डवेयर डिज़ाइन वाले AI चिप्स AI को विभिन्न अनुप्रयोगों तक विस्तारित करने में मदद करते हैं जो डेटा को सूचना में और फिर ज्ञान में बदल देता है।
  • विभिन्न प्रकार के AI चिप्स में एप्लिकेशन-स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट (ASICs), फील्ड-प्रोग्रामेबल गेट एरेज़ (FPGAs) और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट्स (CPUs) शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

AI चिप बनाम पारंपरिक चिप:

  • पारंपरिक चिप्स हार्डवेयर घटकों के बीच लगातार कमांड और डेटा को स्थानांतरित कर विभिन्न कार्य सम्पादित करते हैं।
  • ये चिप्स AI अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त नहीं हैं क्योंकि वे उन्नत कम्प्यूटेशनल प्रक्रियाओं और AI के कार्यभार को संभाल नहीं सकते हैं जो बड़ी मात्रा में डेटा का लैन-दैन करते हैं।
  • हालांकि AI चिप प्रोसेसर कोर और अन्य AI-अनुकूलित कोर से सुसज्जित होते हैं जो कम्प्यूटेशनल कार्यों को सामंजस्यपूर्ण रूप से करने के लिए बनाए गए हैं।
  • AI कोर को कम समय में AI वर्कलोड की मांगों को पूरा करने के लिए वर्धित किया गया है साथ ही अन्य प्रोसेसर कोर के साथ इसे एकीकृत किया गया है जिसका उद्देश्य गैर-AI अनुप्रयोगों पर भी नियंत्रित करना है।
  • मूल रूप से AI चिप एक उन्नत चिप्स हैं जो स्मार्ट उपकरणों को कम बिजली की आवश्यकता के साथ वास्तविक समय में वस्तु का पता लगाने और विभाजन जैसे जटिल गहन शिक्षण कार्यों को करने में सक्षम बनाते हैं।

AI चिप के अनुप्रयोग:

  • AI चिप्स का उपयोग स्मार्ट मशीनों और डेटा सेंटर-क्लास कंप्यूटर और एज डिवाइस जैसे उपकरणों में किया जाता है। 
  • (एज डिवाइस(An edge )-एक एज डिवाइस हार्डवेयर का कोई भी टुकड़ा है जो दो नेटवर्क के बीच की सीमा पर डेटा प्रवाह को नियंत्रित करता है। एज डिवाइस विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं को पूरा करते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार के उपकरण हैं, लेकिन वे अनिवार्य रूप से नेटवर्क प्रविष्टि - या निकास - बिंदुओं के रूप में कार्य करते हैं। )
  • AI अनुप्रयोगों को अधिक कुशलता से निष्पादित करने के लिए इन-व्हीकल कंप्यूटरों की सहायता के लिए AI चिप्स का उपयोग किया जाता है।
  • AI चिप्स का उपयोग धारण करने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन और रोबोट में किया जाता है।
  • AI चिप्स का उपयोग नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) अनुप्रयोगों में भी किया जा रहा है, जिनकी मांग चैटबॉट्स तथा मैसेंजर, स्लैक और अन्य ऑनलाइन चैनलों के व्यापक उपयोग के कारण बढ़ गई है।
  • AI चिप्स को बैंकिंग, वित्त, व्यापार और बीमा क्षेत्रों में भी तैनात किया गया है क्योंकि वे ग्राहकों से पारस्परिक संपर्क में मदद करते हैं।

हाल के नव विकासक्रम:

  • प्रमुख फर्मों में से एक, एनवीडिया (Nvidia) ने हाल ही में अपनी H100 जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) का अनावरण किया, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली AI त्वरक कहा जाता है और निर्माताओं का दावा है कि यह पूरी दुनिया के इंटरनेट यातायात के बराबर यातायात को बनाए रख सकता है।
  • एनवीडिया (Nvidia) के पास ग्रेस सीपीयू और A100 जीपीयू जैसी AI चिप्स का एक विस्तृत पोर्टफोलियो है, जो कुछ सबसे बड़े AI मॉडल को संभालने में सक्षम हैं।
  • इंटेल कॉर्पोरेशन ने हाल ही में डीप लर्निंग की क्षमताओं के साथ नए AI चिप्स लॉन्च किए हैं।
  • इंटेल की हबाना लैब्स ने गौड़ी2 और ग्रीको नाम के अपने दूसरी पीढ़ी के डीप लर्निंग प्रोसेसर लॉन्च किए हैं। 
  • IBM भी AI चिप पर काम कर रहा है जो वित्तीय सेवाओं के कार्यों जैसे धोखाधड़ी का पता लगाने, ऋण प्रसंस्करण, ट्रेडों का समाशोधन और निपटान, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और जोखिम विश्लेषण कर सकता है।

भावी कदम:

  • सेरेब्रस सिस्टम्स, जो AI चिप के निर्माताओं में से एक है, ने अपने ब्रेन-स्केल AIसमाधान के साथ एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है, यह 2.6 ट्रिलियन ट्रांजिस्टर और 8,50,000 AI अनुकूलित कोर के साथ वेफर स्केल इंजन (WSE-2) द्वारा संचालित CS-2 से लैस है।
  • कंपनी ने कहा कि मानव मस्तिष्क में लगभग 100 ट्रिलियन सिनैप्स होते हैं,और एक एकल CS-2 त्वरक आकार में 120 ट्रिलियन से अधिक मापदंडों (synapse समकक्ष) के मॉडल का समर्थन कर सकता है।
  • न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग एक और उन्नत डिजाइन है जो जैविक मस्तिष्क की गतिविधि के आधार पर एक इंजीनियरिंग पद्धति को नियोजित करता है।
  • आने वाले वर्षों में मोटर वाहन उद्योग में न्यूरोमॉर्फिक चिप्स के व्यापक उपयोग किये जाने की उम्मीद है।
  • स्मार्ट घरों और शहरों की मांग में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप AI स्टार्ट-अप में निवेश में वृद्धि हुई है जिससे AI चिप बाजार का विस्तार हुआ है।
  • वैश्विक एआई चिप उद्योग का 2020 में 8.02 बिलियन डॉलर का योगदान था और 2030 तक 194.9 बिलियन डॉलर को पार करने का अनुमान है।

सारांश:

  • AI चिप ने रोबोटिक्स, नेटवर्क सुरक्षा, ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य सेवा और खुदरा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोगों के साथ चिपमेकिंग उद्योग में क्रांति ला दी है। AI चिप की पूरी क्षमता के दोहन के लिए इस उद्योग को और अधिक निवेश एवं सरकारी समर्थन की आवश्यकता है।

 

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

E. संपादकीय-द हिन्दू  

1. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

भारत को मायोपिया पर नजर रखने की जरूरत:

विषय: सामाजिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा-मायोपिया के बारे में।

मुख्य परीक्षा: मायोपिया से संबंधित समस्याए और उसे दूर करने के तरीके।

अवलोकन

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि 2010 तक करीब दो अरब लोग मायोपिया से पीड़ित थे।
  • WHO का अनुमान है कि 2030 तक मायोपिया 3.3 अरब लोगों को प्रभावित कर सकता है।
  • पूर्वी एशियाई और प्रशांत देशों में विगत दस वर्षों में मायोपिया से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक देखी गई है, लेकिन वर्तमान रिपोर्ट भारत में इस प्रवृत्ति को नहीं दर्शाती है।

मायोपिया क्या है?

  • मायोपिया या निकट दृष्टिदोष यह तब होता है जब किसी व्यक्ति को दूर की वस्तुएं सही ढंग से दिखाई नहीं देती है क्योंकि मानव लेंस में फोकल क्षमता लंबी नहीं होती है।
  • मायोपिया से पीड़ित लोगों को दूर की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है, लेकिन वे निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
  • मायोपिया आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है। 
  • कारण: 
      • आनुवंशिकी: पीड़ित माता-पिता से विरासत में मिलना 
  • पर्यावरणीय कारक 
    • नेत्रगोलक का बढ़ना: आम तौर पर युवा लोग मायोपिया से पीड़ित होते हैं जो नेत्रगोलक के बढ़ने या कॉर्निया के उभार के कारण होता है।

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मायोपिया की व्यापकता के संबंध में चिंताएं:

  • चश्मे की एक जोड़ी आमतौर पर इस दोष को ठीक करने के लिए निर्धारित की जाती है, लेकिन चश्मा लक्षण को उजागर करता है और उस कारण को नहीं जिसके परिणामस्वरूप बचपन में मायोपिया होता है।
  • प्रगतिशील मायोपिया 'उच्च' मायोपिया का कारण बन सकता है, जिससे रेटिना डिटेचमेंट, ग्लूकोमा या मैकुलर अपघटन का खतरा बढ़ जाता है जिससे नजर स्थायी रूप से कम हो सकती है।
  • विशेष रूप से शहरी वातावरण के बच्चे, किताबों, टेलीविजन, फोन या लैपटॉप पर अधिक समय बिता रहे हैं
  • COVID-19 महामारी के कारण बच्चों को घर के अंदर अधिक समय बिताना पड़ा जिस कारण वे धूप के संपर्क में अधिक समय तक नहीं रहे
    • ऐसा कहा जाता है कि सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से मायोपिया के प्रसार को रोका जा सकता है।
  • पूर्वी एशियाई देशों की रिपोर्ट बताती है कि पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में हाई स्कूल के 80% -90% बच्चे COVID महामारी से पहले भी मायोपिया से पीड़ित थे।
    • उनमें से लगभग 20% को उच्च मायोपिया था।
  • WHO ने वैश्विक मायोपिया महामारी की चेतावनी दी है, जैसा कि अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की लगभग 50% आबादी मायोपिक से पीड़ित होगी।

भारत में रुझान:

  • अध्ययनों ने पूर्वी एशिया की तुलना में स्कूली बच्चों में मायोपिया के प्रसार के निम्न स्तर को दर्ज किया है।
  • भारत में एक से पांच तक के स्कूली बच्चों में 30 में से एक मायोपिया से पीड़ित है।
  • एक अध्ययन के अनुसार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में लगभग 12 लाख स्कूली बच्चों में, मायोपिया का प्रसार 5% पाया गया, जिसमें पहले से ही चश्मा लगाने वाले भी शामिल थे।

मायोपिया की व्यापकता पर शहरीकरण का प्रभाव:

  • मायोपिया ग्रामीण बच्चों की तुलना में शहरी बच्चों में दो गुना अधिक है।
  • एक अध्ययन में ग्रामीण भारत में रहने वाले बच्चों की तुलना में यूनाइटेड किंगडम में दक्षिण एशियाई बच्चों में अधिक प्रसार पाया गया।
  • अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि शहरी भारतीय स्कूलों में मायोपिया का प्रचलन अपेक्षाकृत अधिक है और मायोपिया वाले शहरी बच्चों के चश्में की पॉवर बढ़ रही है।
    • यह साबित करता है कि शहरी स्कूल बच्चों में मायोपिया में वृद्धि कर रहे हैं।
  • शहरों और कस्बों की ओर जनसांख्यिकीय बदलाव के बावजूद, भारत की लगभग 65% आबादी अभी भी गांवों में रहती है, लेकिन जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता है, मायोपिया का बोझ भी बढ़ता जाता है।
  • इन कारकों को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक भारत में मायोपिया की व्यापकता लगभग 50% होगी।

सुझाव:

  • मायोपिया की रोकथाम इलाज द्वारा संभव है।
  • बच्चों को बाहरी गतिविधियों के लाभों के बारे में माता-पिता के बीच जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
  • स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि बच्चे पर्याप्त रूप से सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहे।
    • ऐसी शिक्षा नीति स्थापित करने की आवश्यकता है जो दूरस्थ कार्य के साथ निकट-कार्य को संतुलित करने में सहायता करे।
  • स्क्रीनिंग सुविधाओं को मजबूत किया जाना चाहिए और दोष वाले लोगोंको चश्मा दिया जाना चाहिए।
    • स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बेसिक, वार्षिक स्क्रीनिंग कीजानी चाहिए और मायोपिक से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए पेशेवरों के पास भेजा जाना चाहिए
  • इस सामाजिक कलंक को जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से धोया जाना चाहिए। 

सारांश: 

  • हालांकि अनुमान बताते हैं कि कई पूर्वी एशियाई और प्रशांत देशों की तुलना में भारत में मायोपिया प्रसार कम है लेकिन देश में मायोपिया की व्यापकता भावी वर्षों में बढ़ने की संभावना है, इसके लिए भारत सरकार और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को हस्तक्षेप करने तथा निगरानी रखने की आवश्यकता जो मायोपिया के प्रसार को रोकने में सहायक होगी।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

खराब रिकवरी, बढ़ती देरी IBC समाधान प्रक्रिया को प्रभावित करती है:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की रिकवरी प्रक्रिया में प्रगति और इससे जुड़ी विभिन्न चुनौतियाँ।

सन्दर्भ:

  • FY22 की चौथी तिमाही में, समाधान प्रक्रिया से प्राप्त होने वाली राशि पहली बार संपत्ति के परिसमापन मूल्य से कम पाई गई।

विवरण:

  • दावों की खराब वसूली और खराब परिसंपत्तियों के समाधान में देरी विभिन्न वसूली तंत्रों के लिए समस्याएं रही हैं।
  • डिफॉल्टर से अधिकतम संभव राशि की वसूली करना महत्वपूर्ण है, और बिना किसी देरी के इसे जल्दी से करना भी है ताकि राशि को नया उधार देने के लिए मुक्त किया जा सके।
  • 2016 में, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) को खराब ऋणों की समस्याओं को दूर करने और समाधान प्रक्रिया में लेनदार की मदद करने के लिए लागू किया गया था।
  • आईबीसी ने अन्य वसूली तंत्र जैसे सरफेसी, लोक अदालतों और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन IBC भी प्रणालीगत मुद्दों से ग्रस्त है।
    • उदाहरण: दिसंबर 2021 तक बंद किए गए 2,600 मामलों में से, 55% परिसमापन में समाप्त हो गए, जबकि केवल 16% ऋणदाता द्वारा अनुमोदित उचित समाधान योजनाओं के साथ पूरे हुए।
  • साथ ही, प्रक्रिया में देरी के कारण समाधान प्रक्रिया प्रभावित होती है।
    • 330 दिनों की निर्धारित समय सीमा के मुकाबले, एक समाधान प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 22 में औसतन लगभग 700 दिन लगे।
  • उधारदाताओं ने भारी कटौती करना जारी रखा (बकाया दावे के हिस्से के रूप में ऋणदाता द्वारा छोड़ा गया ऋण)।
    • 500 में से 100 कंपनियों में, जिन्हें उचित समाधान मुहैया कराया गया, जिनकी ऋण कटौती 90% से अधिक थी।
  • मुख्य चुनौती देरी है और यह न्यायाधिकरणों की अक्षमता के कारण है।
    • COVID-19 महामारी के दौरान NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के कामकाज ने IBC को प्रभावित किया है।

पुनर्प्राप्ति प्रगति पर डेटा:

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  • चार्ट 1 दर्शाता है कि अधिकांश मामलों में अधिकांश तिमाहियों में परिसमापन हुआ, जबकि स्वीकृत मामले 2018 से 15% और 25% के बीच थे।
  • चार्ट 2 बताता है कि वित्त वर्ष 22 में, उन कंपनियों से जुड़े मामलों को सुलझाने में 772 दिन लगे, जिन पर ₹1,000 करोड़ से अधिक का ऋण था और ऐसे मामलों को हल करने में लगने वाले दिनों की औसत संख्या पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ गई है।
  • चार्ट 3 बकाया दावों के हिस्से के रूप में समाधान प्रक्रिया के माध्यम से लेनदारों द्वारा प्राप्त वास्तविक मूल्य को दर्शाता है। दो मूल्यों के बीच का अंतर जितना अधिक होता है, दिवाला प्रक्रिया का प्रभाव उतना ही अधिक होता है लेकिन यहाँ अंतर कम होता जा रहा है।
  • चार्ट 4 दर्शाता है कि 85 में से लगभग 33 कंपनियों पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, उधारदाताओं को 90% से अधिक ऋण कटौती हुई थी। 

सारांश: 

  • भारत में ऋण वसूली में देरी और उसमे कटौती की समस्याएं मुख्य चुनौतियां बनी हुई हैं, जो दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) समाधान प्रक्रिया को और अधिक प्रभावित कर रही हैं।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

ईरान की क्षेत्रीय केंद्रीयता और अलगाव:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: ईरान-अमेरिका संबंधों का विकास तथा भारत के भू-राजनीति पर इसके प्रभाव। 

सन्दर्भ:

  • भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा लिखे गए इस लेख में ईरान की महत्वाकांक्षाओं और अमेरिका के साथ उसके संबंधों के बारे में चर्चा की गई है। 

पृष्टभूमि:

  • हाल के एक लेख में फॉरेन अफेयर्स द्वारा कहा गया है कि ईरान की अपनी कोई भी महत्वाकांक्षा नहीं है, लेकिन उसने मजबूत प्रगति की है और अपनी हालिया जीत से प्रोत्साहित है। 
  • लेख में आगे कहा गया है कि ईरान आत्मविश्वासी होने के साथ-साथ बेहद असुरक्षित भी है क्योंकि यह अपनी आंतरिक गड़बड़ी को छिपाने के लिए बाहरी ताकत को प्रदर्शित करता है। 
  • कहा जाता है कि ईरान की विदेश नीति संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल का सामना करने वाले दो स्तंभों द्वारा संचालित है। 
  • सम्पूर्ण पश्चिम एशिया में उग्रवादी समूहों को समर्थन देने में इसकी सफलता के बावजूद, ऐसे संकेत हैं कि अरब क्षेत्र के 66% युवा ईरान को एक विरोधी के रूप में देखते हैं।
  • लेख में यह भी कहा गया है कि "ईरान के बारे में वाशिंगटन की धारणा चार दशकों के मनमुटाव और रणनीतिक संकीर्णता से पीड़ित है"। 

ईरान में राजनीतिक स्थिरता:

  • ईरान क्षेत्रफल के मामले में दुनिया का 18 वां सबसे बड़ा देश है और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्की और इराक जैसे देशों के साथ भूमि सीमा साझा करता है और कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के साथ समुद्री सीमाएँ साझा करता है।  
  • ईरान ने अपने इतिहास में संघर्ष, शाही प्रभुत्व, विदेशी कब्जे और एक क्रांति का दौर देखा है जिसने उसकी नीतियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। 
  • ईरान की संस्कृति विश्व इतिहास में प्रभावशाली रही है और इसे 'मन के साम्राज्य' के रूप में चित्रित किया गया है। 
  • 1979 की क्रांति के बाद और यू.एस. सुरक्षा के अंत के बाद, ईरान को इराक एवं अफगानिस्तान के साथ अपनी व्यापक सीमाओं के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में चिंता थी।
    • अफगानिस्तान से शरणार्थियों की आमद को लेकर बहुत बड़ी चिंता है। 
  • ईरान का इराक के साथ एक दशक लंबा युद्ध रहा है। 
  • इसके अलावा, 1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान भी पाकिस्तान की सीमा पर चिंताएं थीं, जिसे भारत ने सुलझा लिया था। 
  • क्रांतिकारी युग और युद्ध के बाद के व्यवधानों के बावजूद, ईरान ने एक निश्चित स्तर की राजनीतिक स्थिरता का अनुभव किया है। यह कई प्रतिस्पर्धी शक्ति केंद्रों पर आधारित इसकी शक्ति संरचना के कारण था।
    • ये शक्ति केंद्र आधिकारिक तौर पर संविधान में निहित हैं और इसकी संरचना वास्तव में धार्मिक-राजनीतिक संघों पर आधारित है, जो लिपिक नेतृत्व के कारण है जो राज्य की सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाए रखता है। 
  • चूंकि इन केंद्रों के पास व्यक्तिगत नीतियों को सुगम बनाने या बाधित करने की अपनी शक्ति है, व्यक्तिगत निर्णयों पर एक स्टैंड पर पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण है। 
  • ईरान की विदेश नीति ने अपनी स्वतंत्रता, राष्ट्रीय संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की कोशिश की है और साथ ही क्षेत्रीय हितों को निरंतर समायोजित किया। यह इराक पर अमेरिकी हमले की अनिश्चित प्रतिक्रिया द्वारा स्पष्ट होता है। 
  • खुमैनी युग के अंत के बाद, हाशमी रफसंजानी ईरान की अवधि ने क्षेत्रीय मामलों में अपनी भूमिका को पुनःहासिल करने का प्रयास किया। इन प्रयासों को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खतामी ने बल दिया। 
  • क्षेत्रीय नीतियां शुरू की गईं जो मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों, फारस की खाड़ी, अरब पूर्व और यूरेशिया पर केंद्रित थीं। 

अमेरिका के साथ ईरान के संबंध:

  • अमेरिका और ईरान के नेतृत्व में पश्चिम के बीच मतभेद मुख्य रूप से ईरान की परमाणु ऊर्जा नीतियों पर हैं, जो पहले यू.एस. की सहायता से क्रांति से पहले प्रारंभ हुआ था। लेकिन बाद में ईरानी वैज्ञानिकों ने परमाणु ऊर्जा क्षमता को उस स्तर तक विकसित किया जिससे पश्चिम देशों को ईरान की मानसिकता का पता चला। 
  • अमेरिका के साथ ईरान के संबंधों में भारी बदलाव देखा गया। 
  • 2003 में, इराक युद्ध में अमेरिका की सफलता के बाद, ईरान ने स्विस मध्यस्थ को यू.एस. के साथ पूर्ण वार्ता की पेशकश की, जिसे अमेरिकी सरकार ने अनदेखा कर दिया। 
  • अक्टूबर 2003 में, ईरान और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच तेहरान घोषणा पर बातचीत हुई, जिसमें ईरान ने अतिरिक्त प्रोटोकॉल सहित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ सहयोग करना स्वीकार किया, और अस्थायी रूप से सभी यूरेनियम संवर्धन बंद करने का वादा किया। 
  • इसके बाद, IAEA ने सुविधा निरीक्षण किया और 2015 में ईरान और P5 + 1 और EU के बीच संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) पर बातचीत की गई।
    • अमेरिकी सरकार ने 2017 में दो बार समझौतों के साथ ईरान के अनुपालन को मंजूरी दी, लेकिन 2018 में, अमेरिका एक बेहतर सौदे का वादा करते हुए इससे पीछे हट गया जो नहीं हुआ। 
  • ईरान और यू.एस. दोनों में प्रशासन परिवर्तन के बाद, JCPOA की मूल शर्तों के आधार पर ईरानी आग्रह पर वियना वार्ता हुई है, लेकिन यूक्रेन युद्ध और रूस पर निम्नलिखित पश्चिमी प्रतिबंध वार्ता में बाधा बन गए हैं इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, जो इराक, सीरिया और हिज़्बुल्लाह के साथ प्रभावी रहा है, जिन्होंने ईरानी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, पर अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की ईरान द्वारा मांग की गई। 
  • दीर्घकालिक प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान पारंपरिक रूप से सशस्त्र, सटीक-निर्देशित मिसाइलों और प्रभावी वायु रक्षा प्रणालियों को विकसित करने में अपनी सफलता के साथ सैन्य प्रौद्योगिकियों के विकास को लगातार आगे बढ़ा रहा है। 
  • भारत, पाकिस्तान और इज़राइल जैसी अन्य परमाणु शक्तियों वाले क्षेत्र में एक परमाणु शक्ति के रूप में ईरान की प्रगति के साथ, विशेषज्ञ बताते हैं कि वार्ता में गतिरोध ईरान को अप्रसार संधि से हटने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। 
  • भविष्य में, यह कहा जाता है कि अमेरिका को पश्चिम एशिया में अपने रणनीतिक हितों, आवश्यकताओं और क्षमताओं के बीच एक कठिन चुनाव करना होगा, विशेष रूप से एक तरफ इज़राइल और अरब समूह और ईरान की क्षेत्रीय केंद्रीयता और इसके अन्य निहितार्थ।
    • अरब स्प्रिंग (Arab Spring) की विफलता और अब्राहम समझौते (Abraham Accord) की औपचारिकता इसके पहलुओं में से एक है 
  • गतिरोध को हल करने के लिए, क्षेत्रीय सहयोग के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता के साथ-साथ उसके पड़ोस में ईरान की केंद्रीयता को मान्यता देनी होगी। 

सारांश: 

  • ईरान और अमेरिका के बीच संबंधों में भारी बदलाव आया है और अब यह मुख्य रूप से ईरान की परमाणु ऊर्जा योजनाओं पर केंद्रित है। क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वार्ता में मौजूदा गतिरोध को जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।

 

F. प्रीलिम्स तथ्य:

 आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।  

 

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

1. PM टोक्यो में अमेरिकी व्यापार पहल के लॉन्च में भाग लेंगे:

  • भारत के प्रधान मंत्री टोक्यो में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के लॉन्चिंग कार्यक्रम में भाग लेंगे।
  • इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) को इस क्षेत्र में व्यापार साझेदारी की अमेरिकी पहल कहा जाता है।
  • हालांकि भारत ने अभी तक इस फ्रेमवर्क में शामिल होने का फैसला नहीं लिया है,लेकिन आयोजन में भारतीय प्रधान मंत्री की उपस्थिति इंडो-पैसिफिक में क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के बीच आर्थिक संबंध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
  • इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) को 15-राष्ट्रीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) और 17-राष्ट्र ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) जिसका सदस्य चीन भी है,की काट बताया जा रहा है।

 

2. भारतीय सहायता श्रीलंका बंदरगाह पहुंची:

  • वर्तमान में संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री जैसे चावल, जीवन रक्षक दवाएं और मिल्क पाउडर देश में पहुँच गई हैं और वहां की सरकार को सौंप दी गई।
  • इस खेप में 9,000 मीट्रिक टन (MT) चावल, 50 मीट्रिक टन दूध पाउडर और 25 मीट्रिक टन से अधिक दवाएं और 2 अरब रुपये की चिकित्सा आपूर्ति शामिल हैं।
  • तमिलनाडु सरकार द्वारा 40,000 मीट्रिक टन चावल, 500 मीट्रिक टन दूध पाउडर और दवाओं की $16 मिलियन की यह पहली खेप भी है।  

 

H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. LOCs (lookout circulars) जारी करना अत्यधिक विवेकाधीन शक्ति है, बावजूद इसके इस शक्ति का प्रयोग अभी भी संदिग्ध बना हुआ है। व्याख्या कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II - शासन)  

प्रश्न 2.  विभिन्न क्षेत्रों में AI चिप का उपयोग करने के अलग अलग तरीके क्या हैं? इस उद्योग में हाल के नवाचार क्या हैं? (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस III - विज्ञान और प्रौद्योगिकी) 

 

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