दैनिक समाचार विश्लेषण- 22- मई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 22nd, 2022

समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।

Table of Content

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

केंद्र ने ईंधन कर घटाया और रसोई गैस सिलेंडर पर ₹200 की सब्सिडी तय की 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा:पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कमी का प्रभाव और बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के लिए विभिन्न सरकारी उपाय।

प्रसंग

  • केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को कम करने की घोषणा की।

विवरण

  • वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी से निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की जिसमें पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क में कटौती, गरीबों के लिए एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपए की सब्सिडी और प्लास्टिक व स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क में सुधार शामिल है।
  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पेट्रोल पर ₹8 और डीजल पर ₹6 (प्रति लीटर) की कमी से खुदरा कीमतों में क्रमशः ₹9.5 और ₹7 प्रति लीटर की कमी होगी।
  • इससे पहले नवंबर 2021 में पेट्रोल और डीजल के लिए क्रमशः ₹5 और ₹10 प्रति लीटर की कर कटौती की घोषणा की गई थी, जिससे सरकार को अनुमानित राजस्व के रूप में प्रतिवर्ष लगभग ₹1 लाख करोड़ व्यय होने की उम्मीद है।

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चित्र स्त्रोत: The Hindu 

मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी से निपटने के लिए अन्य सरकारी पहलें

  • प्रति वर्ष 12 सिलेंडर के लिए ₹200 प्रति गैस सिलेंडर की सब्सिडी की घोषणा की गई है, जिससे पीएम उज्ज्वला योजना के लगभग नौ करोड़ लाभार्थियों को लाभ होगा।
    • इससे प्रति वर्ष लगभग ₹6,100 करोड़ का राजस्व व्यय होने की उम्मीद है।
  • सरकार ने प्लास्टिक उत्पादों के लिए कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कमी की भी घोषणा की, जहां आयात निर्भरता अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम उत्पाद की कीमतों में कमी आएगी जिससे MSME को सहायता मिलेगी।
  • सरकार ने कच्चे माल पर आयात शुल्क में कटौती की और कुछ इस्पात वस्तुओं पर निर्यात शुल्क भी लगाया जो स्टील की कीमतों में वृद्धि को दूर करने में सहायक होते हैं।
  • सीमेंट की आपूर्ति में सुधार और लॉजिस्टिक सुविधाओं को बढ़ावा देने के उपायों की भी घोषणा की गई, जो सीमेंट की बढ़ती कीमतों को रोकने में सहायक होंगे।

बढ़ती महंगाई पर सरकार का रुख

  • वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व एक कठिन परिस्थिति का सामना कर रहा है, क्योंकि यूक्रेन में चल रहे युद्ध से  आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और विभिन्न सामानों की कमी उत्पन्न हो गई है।
  • सरकार का मानना ​​है कि युद्ध मुद्रास्फीति में वृद्धि और आर्थिक संकट का कारण है तथा कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी कमी और व्यवधान देखे जा रहे हैं।
  • मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त स्टॉक हो और यह कीमतों को नियंत्रण में रखने के उपायों की तलाश कर रही है।
  • वित्त मंत्री का मानना ​​​​है कि घोषित विभिन्न कर कटौती के कारण होने वाली वित्तीय लागत अन्य करों के माध्यम से एकत्र किए गए बजटीय राजस्व से अधिक हो सकती है।
    • उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार का कर राजस्व, कर कटौती के बावजूद बजट अनुमानों के न्यूनतम 1.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की उम्मीद है।

सारांश:

  • उत्पाद शुल्क और अन्य उपायों में कमी की घोषणा एक स्वागत योग्य संकेत है और मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र के समतल होने की संभावना है। राज्यों को भी बढ़ती मुद्रास्फीति के विरुद्ध इस लड़ाई में केंद्र सरकार का अनुसरण करना चाहिए तथा मध्यम एवं निम्न-आय वर्ग के लिए सुरक्षा जाल का विस्तार करना चाहिए।

 

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

प्लास्टिक सर्जरी के दुष्परिणाम

विषय: सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे

मुख्य परीक्षा:सौंदर्य सर्जरी से जुड़े जोखिम और उद्योग के नियमन की आवश्यकता

प्रसंग

  • हाल ही में एक अभिनेत्री की वसा को कम करने की सर्जरी के दौरान हुई मृत्यु से सौंदर्य संबंधी सर्जिकल हस्तक्षेपों की सुरक्षा पर बहस सुर्खियों में आ गई है।

विवरण

  • इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में भारत में 5,24,064 सौंदर्य सर्जरी(सर्जिकल और गैर-सर्जिकल) हुईं।
  • हाल के वर्षों में बढ़े हुए विज्ञापनों के कारण इस उद्योग में मांग बढ़ी है जो तत्काल परिणाम और अन्य लाभों के वादे के माध्यम से बहुत से रोगियों को आकर्षित कर रहे हैं।

सौंदर्य या कॉस्मेटिक सर्जरी से जुड़े जोखिम

  • कॉस्मेटिक वसा को हटाने की सर्जरी के साथ सबसे प्रमुख जटिलता अंतःशल्यता (embolism ) की है जिससे रक्त थक्का हो जाता है, जो घातक हो सकता है।
  • यदि रक्तस्राव अत्यधिक हो और उसकी निगरानी न की जाए तो स्टेपल-लाइन रिसाव या रक्तस्राव, जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है।
  • सर्जरी या संक्रमण का तनाव
  • नींद की कमी और आरोग्य लाभ जिससे  दर्द और थकान होता है।
  • हेमेटोमा और तंत्रिकाओं को क्षति से संवेदी या प्रेरक पेशी की  हानि होती है
  • एनेस्थीसिया की जटिलता
  • अवसाद 

उद्योग को विनियमित करने की आवश्यकता

  • यह उद्योग फल-फूल रहा है तथा अपर्याप्त कानून, विनियमों और क्रियान्वयन के कारण दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में वृद्धि हो रही हैं।
  • झूठ और गलत विज्ञापन, बिना अस्पताल बैकअप वाली संस्थाएं, अपर्याप्त सुरक्षा मानक और अकुशल  कर्मचारी बाजार में फल-फूल रहे हैं और इसमें तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • जनता में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि उन्हें सूचित विकल्प चुनने में मदद मिल सके जिसके परिणामस्वरूप मानकीकृत उपचार विकल्प उपलब्ध होंगे।

सारांश: जैसा कि कॉस्मेटिक सर्जरी के शारीरिक, गंभीर मानसिक और आर्थिक परिणाम होते हैं, इसलिए सरकार को विशेषज्ञों के साथ काम करने और ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने की आवश्यकता है जो उच्च मांग का सामना कर रहे उद्योग को विनियमित करने में मदद करें।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

भारत की बीपी उपचार, नियंत्रण में सफलता

विषय: सामाजिक क्षेत्र/स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल के बारे में

मुख्य परीक्षा:भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल का महत्व और इसकी उपलब्धियां।

प्रसंग

इस आलेख में भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल और इसके सफल क्रियान्वयन पर चर्चा की गई है।

पृष्ठभूमि

  • हृदय रोग (CVD) भारत में वयस्क मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
  • साथ ही दिल के दौरे और स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण उच्च रक्तचाप की उपेक्षा है। उच्च रक्तचाप एक साइलेंट किलर है यानी अधिकांश समय रोगियों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
  • भारत में 20 करोड़ से अधिक लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, जिनमें से केवल 14.5% रोगियों का इलाज किया जा रहा है। उच्च रक्तचाप का निदान करना आसान है और इसका इलाज कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं से किया जा सकता है।

भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (IHCI)

  • भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल को 2018 में शुरू किया गया था।
  • यह एक बहु-भागीदार पहल है जिसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, डब्ल्यूएचओ-भारत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राज्य सरकारें शामिल हैं।
  • इस पहल का मुख्य उद्देश्य उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए रक्तचाप नियंत्रण में सुधार करना है।
  • इसका उद्देश्य हृदय रोग (CVD) से संबंधित विकलांगता और मृत्यु को भी कम करना है।

पहल की पांच मापनीय रणनीतियाँ

  • इसमें तीन दवाओं जिसका चयन विशेषज्ञों के परामर्श से किया गया था, के साथ एक सरल उपचार प्रोटोकॉल है ।
  • पर्याप्त उच्चरक्तचापरोधी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ बनाना।
  • रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाया गया था जिसमें कम से कम 30 दिनों के लिए रिफिल और फॉलो-अप को आसान बनाने के लिए रोगियों को निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजना शामिल है।
  • स्वास्थ्य कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण को अपनाया गया तथा बीपी माप, प्रलेखन और फॉलो-अप जैसे सभी कार्यों को उनके बीच साझा किया गया।
  • फॉलो-अप और बीपी नियंत्रण की निगरानी के लिए कागज-आधारित या डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके न्यूनतम फॉलो-अप विधियों को अपनाया गया था।

पहल की उपलब्धियां और सफलता

  • यह परियोजना 2018 में 26 जिलों में शुरू की गई थी और अब (2022) इसे 100 से अधिक जिलों में विस्तारित कर दिया गया है।
  • 20 लाख से अधिक व्यक्तियों का उपचार और नियमित रूप से उनकी निगरानी की जाती है।
  • इस पहल से पता चला है कि पूरे भारत में विभिन्न स्वास्थ्य प्रणालियों में बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के साथ उच्च रक्तचाप का इलाज और नियंत्रण किया जा सकता है।
    • IHCI से पहले, कई रोगियों को रक्तचाप के इलाज के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के सामुदायिक जिला अस्पतालों जैसी उच्च स्तरीय सुविधाओं पर जाना पड़ता था।
    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपचारित रोगियों में बीपी नियंत्रण 48% और स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों में 55% था।
    • यह तथ्य कि प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में बीपी नियंत्रण अस्पतालों की तुलना में बेहतर था, एक उत्साहजनक संकेत है।
  • तीन वर्षों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को उच्च रक्तचाप के उपचार और फॉलो-अप सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
  • लगभग 47% रोगियों का रक्तचाप नियंत्रित हुआ है।
  • आस-पास की सुविधाओं में दवाओं की उपलब्धता से रोगी के लिए बीपी नियंत्रण उपचार की सुविधा प्राप्त  हुई है।

डेटा-संचालित दृष्टिकोण

  • इस परियोजना में डेटा-संचालित दृष्टिकोण का एक प्रमुख योगदान है।
  • इस दृष्टिकोण के अंतर्गत उन रोगियों की सूची तैयार की जाती है जो इलाज के लिए वापस नहीं आए और इन व्यक्तियों को फोन पर या घर जाकर लगातार याद दिलाया जाता था। साथ ही, कार्यक्रम प्रबंधक जिला और राज्य स्तर पर आंकड़ों की समीक्षा करता है और सुविधाओं के प्रदर्शन का आकलन करता है।
  • इस दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में व्यक्तियों को उपचार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
  • भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए, उच्च रक्तचाप के उपचार में वृद्धि संभव है, साथ ही वृहद स्तर पर उपयोग करने पर जेनेरिक एंटीहाइपरटेन्सिव दवाओं की कीमत प्रति वर्ष केवल 200 रुपये प्रति रोगी है।
    • इस पहल के अंतर्गत भारत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, डॉक्टरों और कर्मचारियों के नेटवर्क का कुशलता से उपयोग किया गया है।
    • आयुष्मान भारत योजना के तहत स्थापित स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का उपयोग स्वास्थ्य कर्मचारियों को रक्तचाप मापने और रोगियों के लिए रिफिल प्रदान करने के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए किया गया है।
  • ई-संजीवनी जो एक टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म है, का उपयोग टेली कंसल्टेशन प्रदान करने के लिए भी किया जाता था।

भावी कदम

  • चूंकि पहल की सफलता ने कई राज्यों को इस पहल की रणनीतियों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है, इसलिए कुछ नई चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है, जैसे कि विभिन्न राज्यों में उपचार अंतराल को कम करना।
  • इसके अलावा, चूंकि बड़ी संख्या में उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को अपने उच्च रक्तचाप के बारे में पता नहीं है, इसलिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों को प्रवेश बिंदु पर उन लोगों का बीपी मापने के लिए अनिवार्य किया जा सकता है जो किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं।
    • इस रणनीति को अवसरवादी स्क्रीनिंग कहा जाता है, और इसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सटीक बीपी माप के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले ब्लड प्रेशर मॉनिटर का उपयोग महत्वपूर्ण है और इन्हें खरीदकर स्वास्थ्य सुविधाओं में वितरित किया जाना है।
  • वर्तमान में जारी 30 दिनों की रिफिल के स्थान पर 60 दिनों के लिए रिफिल की संख्या को बढ़ाकर स्वास्थ्य केंद्रों पर आने के चुनौती को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • निजी क्षेत्र की कम भागीदारी चिंता का कारण है जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इलाज की आवश्यकता है, इसलिए सुविधाओं का विस्तार करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उच्च रक्तचाप का शीघ्र पता लगाया जाए तथा दिल का दौरा, स्ट्रोक, और क्रोनिक किडनी रोग होने वाली मौतों और विकलांगता को उपचार से कम किया जा सके।

सारांश: भारत में गैर संचारी रोगों (NCD) के कारण होने वाली मौतों और अक्षमताओं की बढ़ती संख्या के बीच भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल की सफलता महत्त्वपूर्ण है और यह इस बात का एक उल्लेखनीय उदाहरण है कि किस प्रकार प्रभावी क्रियान्वयन का सकारात्मक परिणाम निकल सकता है।

 

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

E. संपादकीय-द हिन्दू 

1. सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 से संबंधित

जैव विविधता विधेयक में 'मौजूद समस्याएँ' 

पर्यावरण और पारिस्थितिकी

विषय: संरक्षण

प्रारंभिक परीक्षा: जैव विविधता अधिनियम, 2022, UNCBD

मुख्य परीक्षा: जैव विविधता के प्रभावी संरक्षण और रक्षण के लिए आवश्यक सुधार

प्रसंग: जैव विविधता (संशोधन) विधेयक की आलोचना हो रही है जिसमें प्रस्तावित संशोधनों में कमियों पर बात की जा रही है। 

एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि:

  • जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CBD) को प्रभावी बनाने के लिए, जैव विविधता अधिनियम अधिनियमित किया गया था।
  • जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CBD) में पारंपरिक ज्ञान के उचित अनुप्रयोग के साथ-साथ जैविक संसाधनों के एक स्थायी, निष्पक्ष और न्यायसंगत उपयोग की परिकल्पना की गई।
  • इस सम्मेलन के तहत, जैव विविधता अधिनियम में एक त्रि-स्तरीय संरचना तैयार की गई है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) - राष्ट्रीय स्तर पर
    • राज्य जैव विविधता बोर्ड - राज्य स्तर पर
    • जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ - स्थानीय निकाय स्तरों पर और इन्हें लोगों की जैव विविधता रजिस्टर के रूप में स्थानीय जैव विविधता और संबंधित जानकारी का दस्तावेजीकरण करने का काम सौंपा गया है। 
  • इन प्राधिकरणों के पास जैव विविधता संरक्षण को विनियमित करने, जैव विविधता और इसके बदलते परिदृश्य के बारे में जानकारी बनाए रखने और जैविक संसाधनों के प्रबंधन को विनियमित करने का अधिकार क्षेत्र है।

विधेयक की वर्तमान स्थिति:

  • जैव विविधता (संशोधन) विधेयक संयुक्त संसदीय समिति की समीक्षा के अधीन है। 

जैव विविधता अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता :

  • जैव विविधता पर संशोधन विधेयक का मसौदा पारंपरिक भारतीय चिकित्सा व्यवसायियों, बीज क्षेत्र, उद्योगों और शोधकर्ताओं की शिकायतों के जवाब में तैयार किया गया था।
  • इस अधिनियम में जैविक संसाधनों के उपयोग और लाभ-साझाकरण पर भारी अनुपालन बोझ लागू करने का आरोप लगाया गया था।
  • इससे सहयोगी अनुसंधान और निवेश करने में कठिनाई आई हैं और पेटेंट आवेदन प्रक्रियाएँ जटिल बन गई।
  • संशोधन विधेयक की शुरूआत हितधारकों की चिंताओं को दूर करने का एक प्रयास था।
  • संशोधन विधेयक में एक प्रावधान शामिल है जो स्थानीय समुदायों के साथ पहुंच और लाभ-साझा करने और जैविक संसाधनों के आगे संरक्षण के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।

कमियां:

  • इस संशोधन विधेयक में पंजीकृत आयुष चिकित्सकों को अध्ययन करने हेतु जैविक संसाधनों तक पहुँच के लिए राज्य जैव विविधता बोर्ड को पूर्व सूचना प्रदान करने से छूट प्रदान की गई।
  • पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में काम करने वाले संगठनों ने प्रस्तावित संशोधन की आलोचना करते हुए कहा है कि ये आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को लाभान्वित करते हैं।
  • ऐसा माना जा रहा है कि ये संशोधन जैव-चोरी का मार्ग प्रशस्त करते हैं जिसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जैव रासायनिक और आनुवंशिक सामग्री का शोषण शामिल है।
  • यह चिंता का विषय होगा यदि आयुष निर्माण कंपनियों को नियामक छूट प्रदान की जाती है जो उन्हें संशोधनों के माध्यम से अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने से मुक्त करती है।
  • आपत्तियों में जोर दिया गया कि पर्यावरण मंत्रालय ने एक पंजीकृत आयुष व्यवसायी और एक कंपनी के बीच अंतर का सीमांकन किया है। यह आयुष के एक पंजीकृत व्यवसायी को कंपनी संरचना के साथ अनौपचारिक संबंध विकसित करने से रोकने में विफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप कानून का कठोर दुरुपयोग हुआ।
  • परिणामस्वरूप, आयुष उत्पादों की गुणवत्ता  कई सवाल और चर्चाओं  के दायरे में आएँगे, जिससे उपभोक्ताओं के बीच ऐसे उत्पादों का उपयोग करने के प्रति  विश्वास कम होगा।
  • वह प्रावधान जो कंपनियों द्वारा राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से  पेटेंट के लिए आवेदन के दौरान  नहीं, अपितु केवल व्यावसायीकरण के समय अनुमोदन की आवश्यकता को अनिवार्य करता है, एक प्रमुख चिंता का विषय था।
  • संशोधन विधेयक के खिलाफ कई तर्कों को समेटते हुए, यह बताया गया कि विधेयक के प्रावधानों का उद्देश्य NBA जैसे नियामक निकायों की भूमिका को कम करना है।
  • इसलिए, भारत की पारंपरिक विरासत के रूप में, विश्व स्तर पर आयुष दवाओं को बढ़ावा देने का पूरा कार्य पर्याप्त लाभकारी नहीं होगा।
  • अन्य प्रमुख खामियों में संसाधनों तक पहुँच के लिए कंपनियों और व्यापारियों के बीच वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता के अभाव के साथ-साथ जैविक विविधता अधिनियम को व्यावहारिक रूप से लागू करने के तरीके पर स्पष्टता की कमी शामिल थी। 

भावी कदम:

  • इसमें सुझाव दिया गया कि जैविक संसाधनों का उचित और न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित करने तथा जैव विविधता के बेहतर संरक्षण के लिए सभी स्तरों पर नियामक निकायों की भूमिका को मजबूत किया जाना चाहिए।
  • जैविक विविधता अधिनियम में संशोधन से जैविक और आनुवंशिक संसाधनों के व्यापार में अधिक पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  • जैविक संसाधनों तक अनुचित पहुंच पर रोक लगाने के लिए नियामक मानदंड तैयार किए जाने चाहिए।
  • प्रस्तावित संशोधनों में जैव विविधता संरक्षण के मुद्दे और आने वाली चुनौतियों की सटीक समझ के लिए सभी हितधारकों के साथ आम सहमति विकसित करने की आवश्यकता है।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित 

सामाजिक न्याय

क्या केरल ने NEP पर अपना रुख बदला है?

विषय: शिक्षा से सम्बंधित मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: NEP 2000

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चुनौतियाँ और अवसर।

प्रसंग: इस आलेख में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संबंध में केरल सरकार के बदलते मत पर चर्चा की गई है।

दृष्टिकोण:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2020 में लाया गया था और यह विभिन्न बहसों का केंद्रीय विषय बन गई।
  • इस नीति के संबंध में केरल सरकार द्वारा असहमति व्यक्त की गई थी।
  • धीरे-धीरे समय के साथ, केरल सरकार के मत में बदलाव देखा गया है। हालाँकि, कुछ चिंताएँ अभी भी बनी हुई हैं।
  • शिक्षा पर नई नीति के क्रियान्वयन के संबंध में मत में देखे गए परिवर्तन के बावजूद, विभिन्न कारकों के कारण इसके तीव्र रोल-आउट की संभावना बहुत कम है।
  • केरल सरकार ने संकेत दिया है कि नीति के प्रस्तावित सुधारों को 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के दौरान लागू किया जा सकता है।

प्रारंभिक उदासीनता:

  • NEP के प्रभाव का आकलन करने के लिए, केरल राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने एक समिति का गठन किया था जिसने यह अनुमान लगाया कि यह नीति प्रतिगामी है और शिक्षा में समावेश के विपरीत शिक्षा के एक बहिष्करण दृष्टिकोण का उदाहरण है।
  • इस नीति की अभिगम्यता, समानता, सामाजिक न्याय और आरक्षण प्रणाली के संबंध में आलोचना की गई है।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि इस नीति में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संघीय व्यवस्था की उपेक्षा की गई है, जिससे केवल शिक्षा और तकनीकी-पूंजीवाद में निजी निवेश को बढ़ावा मिला है।
  • शैक्षणिक कार्यक्रमों के विभिन्न स्तरों पर प्रविष्टियों में ढील देने के प्रावधानों से ड्रॉप आउट के वैध होने का  मार्ग खुल गया है जो पहले से ही एक मौजूदा चुनौती है।
  • इसके अलावा, राज्य सरकार ने कहा कि NEP लोकतांत्रिक भावना और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को नष्ट कर देगा।

भावी कदम:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु रोडमैप प्रस्तुत करने के लिए केंद्र, राज्यों, शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, शिक्षाविदों, निवेशकों और सभी आवश्यक हितधारकों को शामिल करते हुए गहन चर्चा होनी चाहिए।
  • नीति के प्रभावी प्रवर्तन के लिए हितधारकों के वैध मुद्दों पर विचार किया जाना चाहिए।
  • कई शिक्षाविदों ने इस बात की वकालत की कि राज्यों की अलग-अलग चुनौतियों की बेहतर समझ के साथ नीति के क्रियान्वयन में राज्य को ध्यान में रखना चाहिए।
  • लगातार बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के साथ, कौशल शिक्षा को बढ़ाने की जरूरत है जो छात्रों, उद्योगों और समुदायों के समग्र विकास को जोड़ेगी।
  • इसलिए, युवाओं को कुशल बनाने और जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता का उपयोग करने का उच्च लक्ष्य राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाली संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से ही संभव हो सकता है।
  • शिक्षा में नवाचार का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता, अनुसंधान और मानव विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
  • नवोन्मेष को एक आदत बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में उभरते हुए विषयों को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि डिजिटल क्रांति की तेज गति के साथ शिक्षा दुनिया की गतिशील प्रकृति से अछूती नहीं है। उदाहरण के लिए, तकनीकी संस्थानों के अकादमिक पाठ्यक्रम को ऑटोमेशन, मशीन इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की समझ को प्रोत्साहित करना चाहिए। यह कुशल श्रम के साथ विनिर्माण क्षेत्र की सहायता करेगा और देश को उद्योग 4.0 की ओर बढ़ने के लिए तैयार करेगा।

सारांश: लंबे समय से चल रहे प्रतिरोध को ख़त्म करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्वरित क्रियान्वयन हेतु केंद्र सरकार, राज्य सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और शिक्षा के अन्य हितधारकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

 

F. प्रीलिम्स तथ्य 

1. मंकीपॉक्स वायरस

विषय: स्वास्थ्य 

प्रारंभिक परीक्षा: मंकीपॉक्स वायरस के बारे में

प्रसंग

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ डाउटर रिकार्डो जॉर्ज (INSA), लिस्बन, पुर्तगाल के शोधकर्ताओं ने मंकीपॉक्स वायरस के जीनोम अनुक्रम का मसौदा साझा किया है।

मंकीपॉक्स वायरस

  • मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए जूनोटिक वायरस है जो मनुष्यों और अन्य जानवरों में मंकीपॉक्स का कारण बनता है।
  • मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • शोध बताते हैं कि मंकीपॉक्स चेचक जैसा दिखता है जिसका उन्मूलन 1980 में वैश्विक स्तर पर किया गया था।
  • लक्षण: बुखार, चकत्ते और सूजी हुई लिम्फ नोड्स और अन्य चिकित्सीय जटिलताएं।
  • मंकीपॉक्स एक स्व-सीमित बीमारी है जिसके लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक दिखाई देते हैं।
  • मंकीपॉक्स का वायरस जानवर से इंसान और इंसान से इंसान दोनों में फैल सकता है।
  • मंकीपॉक्स वायरस घावों, शरीर के तरल पदार्थ, सांस की बूंदों और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री के निकट संपर्क से फैल सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कम से कम 11 देशों से मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए हैं और मई 2022 में लगभग 80 पुष्ट मामले थे तथा 50 मामलों में जांच लंबित थी।

 

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत में जल्द ही शहरी हवाई यातायात के लिए eVTOLs होंगे: सिंधिया

  • भारत में इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (eVTOL) विमान की तैनाती की जाएगी जो भविष्य में शहरी वायु परिवहन सुनिश्चित करता है।
  • अमेरिका और कनाडा के कई eVTOL प्रौद्योगिकी उत्पादकों के साथ बातचीत चल रही है।
  • सेना और वायुसेना द्वारा आधुनिक विमानन प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है और eVTOL को वर्ष 2047 तक बुनियादी ढांचे के विकल्पों में से एक के रूप में देखा जा रहा है।

 

2. रहस्यपूर्ण क्षेत्र

  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को सतह से लगभग 3,000 किमी नीचे, पृथ्वी के कोर के साथ लगी सीमा परत पर चट्टान के एक असामान्य खंड मिले हैं।
  • चट्टान का  यह रहस्यपूर्ण क्षेत्र सीधे हवाई द्वीप के नीचे स्थित है जो कई अति-निम्न वेग क्षेत्रों में से एक है, जिसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भूकंप की लहरें मंदगति के लिए धीमी हो जाती हैं क्योंकि ये उनके माध्यम से गुजरती हैं।
  • पृथ्वी का आंतरिक भाग प्याज की तरह स्तरित होते है जिसमें लोहा-निकल से कोर का निर्माण होता है और यह एक मोटी परत से घिरा होता है जिसे मेंटल के रूप में जाना जाता है, और मेंटल के ऊपर क्रस्ट होता है।
    • हालांकि मेंटल ठोस चट्टान है, लेकिन यह इतना गर्म है कि बहुत धीरे-धीरे प्रवाहित हो सकता है।
  • पृथ्वी की सतह के अंदरूनी हिस्सों का नक्शा बनाने के लिए वैज्ञानिक भूकंप से आने वाली भूकंपीय तरंगों का उपयोग करते हैं।
  • शोधकर्ताओं ने कोर-मेंटल सीमा पर संरचनाओं को प्रकट करने के लिए संख्यात्मक मॉडलिंग विधियों का उपयोग किया।

 

3. मेघालय में मिली सांप की एक नई प्रजाति

  • मेघालय और मिजोरम में सांप की एक नई प्रजाति मिली है जिसका नाम ट्राइमेरेसुरस माई(Trimeresurus mayaae) रखा गया है।
  • सेना के एक अधिकारी की मृत मां के नाम पर इस सांप को माया का पिट वाइपर भी कहा गया है।
  • यह अध्ययन पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस द्वारा प्रकाशित एक वैज्ञानिक पत्रिका पीएलओएस वन के हालिया संस्करण में प्रकाशित हुआ था।

 

H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 1. जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पर विशेषज्ञों द्वारा दिए गए तर्क के बिंदुओं पर चर्चा कीजिए।

 (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र III - जैव विविधता)

 2. सौंदर्य और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी में शामिल चिकित्सा और नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

 (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र II - स्वास्थ्य)

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