दैनिक समाचार विश्लेषण- 21- मई 2021

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 21st, 2022

समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।

Table of Content

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

83.57 अरब डॉलर का FDI अन्तर्वाह 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 

मुख्य परीक्षा:FDI अन्तर्वाह में रुझान, सरकारी पहल और इस वृद्धि का महत्व।

प्रसंग

  • वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का अन्तर्वाह 83.57 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है जो अब तक सबसे अधिक है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश की किसी फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक हितों में किया गया निवेश है।
  • FDI आर्थिक विकास का एक प्रमुख प्रचालक है।
  • FDI पूंजी निवेश से परे है, साथ ही इसमें प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और उपकरण का प्रावधान शामिल है।

हाल के वर्षों में FDI में रुझान

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चित्र स्त्रोत: PIB 

  • भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए पसंदीदा देश के रूप में उभर रहा है।
  • वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 बिलियन अमरीकी डालर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (USD 21.34 बिलियन) में विनिर्माण क्षेत्रों में FDI अन्तर्वाह 76% बढ़ा है।
  • पूर्व-कोविड काल में प्राप्त  FDI अंतर्वाह आंकड़ों की तुलना में कोविड महामारी के बाद FDI अंतर्वाह में 23% की वृद्धि हुई है।

वित्त वर्ष 2021-22 में FDI का रुझान

  • शीर्ष FDI अंतर्वाह योगदानकर्ता: सिंगापुर FDI का सबसे बड़ा स्रोत है जिसका योगदान 27% है, इसके बाद क्रमशः यू.एस.ए (18%) और मॉरीशस (16%) का स्थान है।
  • शीर्ष FDI अंतर्वाह प्राप्तकर्ता राज्य: कर्नाटक शीर्ष प्राप्तकर्ता राज्य है, जो कुल  FDI अंतर्वाह का 38% हिस्सा है, इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (26%) और दिल्ली (14%) का स्थान है।
    • कर्नाटक में FDI का अधिकांश अंतर्वाह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल उद्योग और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में देखा गया है।
  • शीर्ष FDI अंतर्वाह प्राप्तकर्ता क्षेत्र: कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर लगभग 25% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष प्राप्तकर्ता क्षेत्र है, जिसके बाद क्रमशः सेवा क्षेत्र (12%) और ऑटोमोबाइल उद्योग (12%) का स्थान है।
    • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र के तहत प्रमुख प्राप्तकर्ता राज्य: कर्नाटक (53%), दिल्ली (17%) और महाराष्ट्र (17%) हैं।

FDI को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल

  • सरकार ने FDI के लिए एक उदार और पारदर्शी नीति तैयार की है, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश क्षेत्रों को स्वत: मार्ग के तहत FDI हेतु खुला रखा गया है।
  • सरकार ने कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, नागरिक उड्डयन, रक्षा, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में विभिन्न सुधार किए हैं, जिससे FDI अन्तर्वाह नीतियों को और सरल और उदार बनाया गया है।

सारांश:

  • हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए उपायों के परिणामस्वरूप देश में FDI अन्तर्वाह में वृद्धि हुई है। सरकार को FDI नीतियों की और समीक्षा करनी चाहिए और व्यापार सुगमता का विस्तार करने व अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों को प्रस्तुत करना चाहिए।

 

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

E. संपादकीय-द हिन्दू 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित 

अंतरराष्ट्रीय संबंध

पड़ोस में उथल-पुथल, भारत के लिए सबक

विषय: भारत और उसके पड़ोस के संबंध

प्रारंभिक परीक्षा: BIMSTEC, SAARC

मुख्य परीक्षा: भारत की पड़ोस नीति में सुधार और पुनर्गठन

प्रसंग: इस आलेख में भारत के एक अधिक मैत्रीपूर्ण और रणनीतिक रूप से व्यवहार्य पड़ोस नीति में परिवर्तन पर चर्चा की गई है।

एक अवलोकन: संक्षेप में पृष्ठभूमि

  • भारत, वर्षों से, उन संवेदनशीलताओं के बीच स्थिर है, जिनका इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों, पाकिस्तान द्वारा समर्थित सीमा पार आतंकवाद, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की आंतरिक शांति और सुरक्षा को बाधित करने वाली चरमपंथी विचारधाराओं तथा गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल के माध्यम से अन्य प्रकार की अवैध गतिविधियों के खतरों से जूझ रहा है।
  • वर्ष 2016 में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के उल्लंघन के कड़वे परिणामों से शत्रु देशों को सचेत करने  के लिए एक मजबूत नीति की सहायता से भारत के शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों के साथ समुचित व्यवहार का एक नया तरीका अपनाया गया।
  • यह स्पष्ट हुआ कि भारत किसी भी असहयोगी दक्षिण एशियाई पड़ोसी पर हावी होने के लिए अपने सभी क्षमता का उपयोग करने के लिए तैयार होगा।

संक्रमण:

  • समय की क्रमिक प्रगति के साथ, मजबूत दृष्टिकोण भारत की पड़ोस नीति के केंद्रीय सिद्धांत के रूप में सफल नहीं रहा।
  • इसलिए, भारत के दृष्टिकोण में एक प्रमुख परिवर्तन के रूप में अधिक सहमतिपूर्ण, सुलहकारी और मिलनसार पड़ोस नीति को देखा गया।
  • नए दृष्टिकोण का उद्देश्य सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के माध्यम से इस क्षेत्र में राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देना है।
  • यह परिवर्तन इस तथ्य के साथ और भी मजबूत होता है कि म्यांमार, नेपाल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी लोकतंत्रों में गैर-निर्वाचन की स्थिति देखी गई  है जिसका भारत के राष्ट्रीय हितों पर प्रभाव पड़ता  है।
  • भारत ने इस क्षेत्र में अपने "वन साइज़ फिट्स आल " दृष्टिकोण को त्याग दिया।
  • म्यांमार के मामले में, भारत सरकार ने जुंटा के साथ अपना संबंध बनाए रखा जिसने नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (आंग सान सू की के नेतृत्व में राजनीतिक संगठन) को उखाड़ फेंका।
  • विशेष रूप से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध में पड़ोस में चल रहे घटनाक्रम के संबंध में अपने तटस्थ रुख को बरकरार रखते हुए, भारत ने इस क्षेत्र में अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है।
  • प्रधानमंत्री मोदी की लुंबिनी यात्रा पड़ोस में मित्रता के सिद्धांत को मजबूती देने और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने के प्रयास की भारत की मंशा का प्रमाण रही है। यह भारत-नेपाल संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक स्वागत योग्य कदम था।
  • भारत के संक्रमण को केवल सत्ता में बैठे लोगों के बजाय पड़ोस के लोगों पर ध्यान केंद्रित करने में भी परिलक्षित किया गया है।

भारत एक मित्र पड़ोसी के रूप में:

  • पड़ोसी देशों के प्रति उभरते मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण में उच्च स्तरीय दौरे, व्यापार समझौते, विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहयोग, ऋण की सीमा का विस्तार शामिल है।
  • बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे अपने मित्र पड़ोसियों के प्रति भारत का करुणामय व्यवहार देखा गया था जिसमें टीकों की डिलीवरी के माध्यम से महामारी के दौरान सहायता शामिल थी।
  • भारत अपने पड़ोसी देशों को मानवीय सहायता प्रदान करने में सक्रिय रहा है।
  • श्रीलंका में चल रहे संकट के बीच उसे भारत से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के साथ-साथ वित्तीय सहायता प्रदान की गई। 

चीन का कर्ज का जाल: एक बड़ी चुनौती

  • यह आरोप लगाया जाता है कि चीन अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ अपने वैश्विक प्रभाव का विस्तार करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर देशों को ऋण दे रहा है, जिससे ऐसे राज्यों की संप्रभुता में उसके घुसपैठ करने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
  • समय की क्रमिक प्रगति के साथ यह प्रथा कर्ज के जाल का रूप ले चुकी है।
  • कई विशेषज्ञ इसे चीन की डेट ट्रैप डिप्लोमेसी के रूप में परिभाषित करते हैं।
  • चीन अपने अंतरराष्ट्रीय ऋणों के साथ सबसे बड़े आधिकारिक लेनदार के रूप में उभरा है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 5% से अधिक है।
  • इसके तहत चीन देशों की साख का आकलन किए बिना कर्ज लेने वाले देश को पैसा उधार देता है। इससे चीन के निहित स्वार्थों का लाभ उठाने वाले उधार लेने वाले देश पर भारी बोझ पड़ता है।
  • कर्ज के जाल को पाकिस्तान जो चीन का एकमात्र रणनीतिक सहयोगी है, में बड़े स्तर  पर देखा जा सकता है। चीन से उधार लिए गए बड़े ऋण के तहत, पाकिस्तान ने उसे अगले चार दशकों तक ग्वादर पोर्ट चलाने के लिए कर अवकाश के साथ विशेष अधिकार दिए हैं।
  • CPEC  के एक हिस्से के रूप में ग्वादर बंदरगाह से बंदरगाह राजस्व का लगभग 91% भाग  चीन को जाता है।
  • इस तरह चीन ने छोटे द्वीप देशों को दिए गए बड़े ऋणों को विशेष विकास अधिकारों के माध्यम से पूरे टापुओं के अधिग्रहण में सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया है। इसने मालदीव के हिंद महासागर द्वीपसमूह में कुछ द्वीपों और दक्षिण प्रशांत राष्ट्र सोलोमन द्वीपों में से एक द्वीप पर अपना प्रभाव बढ़ाया है।
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन की ऋण जाल कूटनीति का केंद्र है। 

श्रीलंकाई संकट का चीन कारक:

  • श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और इसके आसपास की 6000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को 99 साल की लीज पर चीन को हस्तांतरित कर दिया है। यह चीन से उधार लिए गए बुनियादी ढांचे के ऋण को चुकाने में श्रीलंका की विफलता का परिणाम है।
  • 99 साल का पट्टा एक अवधारणा है जिसकी जडें यूरोपीय औपनिवेशिक विस्तारवाद में हैं जिसने 19 वीं शताब्दी में चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों का रूप ले लिया है।
  • चीन श्रीलंका में 50 से अधिक परियोजनाओं में शामिल है जो व्यापार और आर्थिक विचारों से परे हैं।
  • हिंद महासागर रिम में भारत के खिलाफ राजनीतिक और सुरक्षा का लाभ उठाना चीन का असली इरादा है जिसे इसकी रणनीतिक स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स के माध्यम से अच्छी तरह से महसूस किया जा सकता है।

भावी कदम प्रशस्त करना

  • इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत सरकार को क्षेत्रीय समूहों को सक्रिय करने के लिए नए रास्ते तलाशने चाहिए या मौजूदा समूह जैसे बिम्सटेक को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
  • विशेषज्ञों के अनुसार आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सार्क में सुधार के प्रयास होने चाहिए।
    • पर्यटन 
    • निर्यात
    • श्रम विनिमय 
    • भोजन और ईंधन के सामान्य पूल का निर्माण
    • दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति के प्रहार को कम करना
    • सांस्कृतिक नेटवर्क को मजबूत करना
  • यह परिकल्पना की गई है कि भारत की नीति को झकझोरने वाली भविष्य की चुनौतियों की बेहतर समझ के लिए, सरकार को न केवल पड़ोसी देशों के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक गतिशीलता में परिवर्तन के निहितार्थों का विश्लेषण करना चाहिए, बल्कि भारत के प्रति पड़ोसी देशों की धारणा का आकलन और विचार करना चाहिए।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र के भीतर एक आम सहमति एक स्थिर और समृद्ध क्षेत्र में योगदान करेगी।

सारांश: भारत की घरेलू नीतियों के लिए भविष्य की चुनौतियों के बेहतर आकलन हेतु भारत के संबंध में पड़ोसी देशों के विचारों की समझ आवश्यक है।

 

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

शांति की पहल में माओवादियों से वार्ता 

विषय : माओवाद, वामपंथी उग्रवाद

मुख्य परीक्षा : माओवादी विचारधारा द्वारा समर्थित उग्रवाद के हिंसक प्रभावों को कम करने के लिए वार्ता की भूमिका का आकलन।

प्रसंग: छत्तीसगढ़ सरकार कुछ शर्तों के तहत माओवादियों के साथ शांतिपूर्ण वार्ता करने के लिए तैयार है।

गहन शोध:

  • लंबे समय से, भारत के कई हिस्से माओवादी चरमपंथियों के संकट से जूझ रहे हैं।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने चरमपंथी समूह के साथ शांति वार्ता में शामिल होने की पहल की, बशर्ते वे हथियार रखे और भारतीय संविधान में अपना विश्वास व्यक्त करें।
  • माओवादी समूह के एक प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सरकार के प्रस्ताव और शांति वार्ता की शर्तों में स्पष्टता का अभाव है और बातचीत के लिए अनुकूल माहौल नहीं है।
  • राज्य सरकार पर पेसा एक्ट को लागू नहीं करने का आरोप लगाया गया है.
  • सरकार और माओवादी समूहों के बीच पूर्व में हुई वार्ता के विफल होने पर असंतोष की एक श्रृंखला रही है।

माओवादियों द्वारा रखी गई शर्तें:

  • उनकी पार्टी (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) और जन संगठन से प्रतिबंध को हटाना।
  • शिविरों से सुरक्षा बलों की वापसी।
  • वार्ता में भाग लेने के लिए जेल में बंद नेताओं की रिहाई।

क्या सरकार ने उनकी मांगें मान ली?

  • आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के आधार पर सरकार ने माओवादी नेताओं की मांग पर ध्यान नहीं दिया।
  • परिणामस्वरूप, मौजूदा मुद्दों को हल करने में कोई प्रगति नहीं हुई थी।
  • इसने चरमपंथी समूह को इस क्षेत्र में हिंसा फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया।

सुझाए गए तरीके:

  • सरकार और चरमपंथी समूहों के बीच विफल वार्ता की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सशस्त्र बलों की वापसी की माओवादी की मांग को समूह द्वारा हिंसा को समाप्त करने के सीमित अर्थ के साथ पारस्परिक रूप से सहमत 'संघर्ष विराम' से पूरा किया जा सकता है।
  • सुरक्षा बल कुछ समय के लिए माओवादी अभियानों को रोक सकते हैं।
  • किसी भी निर्णय से पहले इसे बात को स्पष्ट रूप से संबोधित किया जाना चाहिए कि राज्य सरकार शांति वार्ता शुरू करने के लिए पूर्व शर्त के रूप में सुरक्षाबलों को वापस बुलाने का जोखिम नहीं उठा सकती है।
  • चूंकि सरकार छत्तीसगढ़ के संवेदनशील क्षेत्रों में पेसा अधिनियम को लागू करने का प्रयास कर रही है और स्थानीय समुदायों के विरुद्ध आपराधिक मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया को भी सक्रिय रूप से तेज कर रही है, इसलिए दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण समाधान की संभावना है।
  • इसलिए, सीखे गए सबक के साथ आगे बढ़ते हुए, यदि दोनों पक्ष शांति वार्ता के बारे में गंभीर हैं तो उपयुक्त तौर-तरीकों पर काम किया जा सकता है।

सारांश: शांतिपूर्ण बातचीत से माओवादियों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा को कम करने की संभावना को फलीभूत किया जा सकता है, जो एक स्थिर, अबाधित और स्थायी आंतरिक सुरक्षा के लिए रोडमैप प्रस्तुत करता है।

 

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

1. प्रधानमंत्री का आग्रह कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर लाभार्थी को मिले

  • प्रधानमंत्री ने कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में "संतृप्त" बिंदु तक पहुंचने की बात कही।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि संतृप्त बिंदु न केवल एक सांख्यिकीय उद्देश्य होना चाहिए, बल्कि इससे भेदभाव, भाई-भतीजावाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार की चुनौतियों का समाधान भी होना चाहिए।
  • उन्होंने आगे कहा कि इस उद्देश्य को उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के दौरान व्यक्त किया था जब उन्होंने शत-प्रतिशत लाभार्थियों या लाभार्थियों तक पहुंचने की बात कही थी।

 

2. सरकार द्वारा सेना में 'टूर ऑफ ड्यूटी' भर्ती शुरू करने की तैयारी

  • सरकार चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए टूर ऑफ ड्यूटी (TOD) शुरू करने की योजना बना रही है, जिसे अपनी तरह का पहला मॉडल कहा जा रहा है।
  • चार साल में छह महीने का प्रशिक्षण और साढ़े तीन साल की सेवा शामिल होगी तथा टूर ऑफ ड्यूटी के तहत चुने गए लोगों को नियमित कर्मियों के बराबर वेतन और लाभ मिलेगा।
  • कहा जा रहा है कि इस कदम से वेतन और पेंशन के लिए इस्तेमाल होने वाले फंड में कटौती होगी तथा रक्षा आधुनिकीकरण के लिए फंड प्राप्त होगा।

 

3. जीएम फसल अनुसंधान के लिए मानदंडों में ढील

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों में अनुसंधान के मानदंडों को आसान बनाने और फसलों के प्रोफाइल को बदलने के लिए विदेशी जीन का उपयोग करने की चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से "जीनोम संपादित पौधों के सुरक्षा आकलन के लिए दिशानिर्देश, 2022" को अधिसूचित किया है।
  • यह दिशा-निर्देश उन शोधकर्ताओं को छूट देते हैं जो जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) से अनुमोदन प्राप्त कर पौधे के जीनोम को संशोधित करने के लिए जीन-संपादन तकनीक का उपयोग करते हैं।
    • GEAC जीएम पौधों में अनुसंधान का मूल्यांकन करता है और किसानों के लिए उनके उपयोग की सिफारिश करता है, या अस्वीकृत करता है तथा अंतिम निर्णय पर्यावरण मंत्री और उन राज्यों द्वारा लिया जाता है जहां ऐसे पौधों की खेती की जाती है।
  • जिन जीएम पौधों को जांच की आवश्यकता होती है, वे ट्रांसजेनिक तकनीक वाले होते हैं (एक पौधे में एक अलग प्रजाति से प्रेरित जीन)।
    • उदाहरण: बीटी-कपास, जिसमें मिट्टी के जीवाणु के एक जीन को कीटों से सुरक्षा हेतु उपयोग  किया जाता है।
    • चिंता का प्रमुख कारण इन जीनों का अन्य पौधों में प्रसार करना है।
  • जीनोम एडिटिंग में उन तकनीकों का उपयोग होता है जिससे जीनोम में विशेष स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ना, हटाना या बदलाव करना संभव हो पाता है। CRISPR-Cas9 सबसे प्रसिद्ध जीनोम एडिटिंग तकनीक है।

 

H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तुलनात्मक रूप से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) से किस प्रकार भिन्न है? भारत में FDI की अनुमति देने वाले विभिन्न मार्गों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। 

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- III - अर्थव्यवस्था)

2. भारत के लिए अपने पड़ोसियों के प्रति एक टकराव आधारित दृष्टिकोण की तुलना में एक अधिक मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण सर्वदा अधिक लाभकारी रहा है। चर्चा कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र II - अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

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