दैनिक समाचार विश्लेषण- 07- जुलाई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : July 7th, 2022

समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।

Table of Content

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।  

 

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विज्ञापनों पर लगाम लगाने के नए नियम:

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप। 

प्रारंभिक परीक्षा: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए)। 

मुख्य परीक्षा: विज्ञापनों और उनके महत्व को विनियमित करने के लिए सीसीपीए के दिशानिर्देश।

संदर्भ:

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority (CCPA)) द्वारा जारी दिशा-निर्देश।

विवरण:

  • इन दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य झूठे एवं भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाना,उपभोक्‍ता संरक्षण की  कमियों को दूर करना और विज्ञापनदाता के कर्तव्‍यों को उजागर करना है। 
  • इन दिशा निर्देशों में बच्चों के अतार्किक उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने एवं भ्रामक, प्रलोभन देने वाले, प्रतिनिधि और बच्चों से जुड़े विज्ञापनों जैसे अन्य मुद्दों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का भी प्रयास किया गया है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA):

  • CCPA उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के प्रावधानों के आधार पर वर्ष 2020 में स्थापित एक नियामक संस्था है।
  • सीसीपीए (CCPA) उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण कार्य करता है।
  • इसका उद्देश्य एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी रक्षा करना और उन्हें लागू करना हैं।

सीसीपीए के  अधिकार :

  • संस्थान के पास उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन पर इसकी जांच और शिकायतें दर्ज करने एवं अभियोजन करने का अधिकार।
  • असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेना। 
  • अनुचित व्यापार चलनों और भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश देना।
  • भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं/प्रदर्शकों/प्रकाशकों पर जुर्माना लगाने का अधिकार। 

"वैध और गैर-भ्रामक" (valid and non-misleading) विज्ञापन क्या हैं ?

  • एक विज्ञापन को गैर-भ्रामक तब माना जाता है "यदि इसमें वस्तु या सेवा की सही जानकारी तथा इसमें सटीकता, वैज्ञानिक वैधता या व्यावहारिक उपयोगिता या क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया गया हो"।
  • इसके आलावा विज्ञापन को तब भी वैध माना जाएगा यदि अनजाने में हुई भूल-चूक के मामले   विज्ञापनदाता ने उपभोक्ता को इस गलती के बारे में तुरंत सूचित किया हो"।

"प्रतिनिधि विज्ञापनों" (surrogate advertisements) से सम्ब्नधित दिशानिर्देश ?

  • "सरोगेट विज्ञापन" (surrogate advertisements) वे हैं जो कुछ अन्य वस्तुओं के नाम पर कुछ वस्तुओं का विज्ञापन करते हैं। उदाहरण: पान मसाला के नाम पर तंबाकू का विज्ञापन करना।
  • हालांकि तंबाकू के ऐसे विज्ञापन मौजूदा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण के विनियमन) अधिनियम, 2003 जैसे कानून द्वारा प्रतिबंधित हैं, फिर भी निर्माता इनमे निहित कमियों के माध्यम से कमजोर नियमों के कारण बच रहे हैं।
  • CCPA के नए दिशानिर्देश इसमें मौजूदा खामियों को दूर करने और ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने की कोशिश करते हैं जिन्हें भिन्न प्रकार से कानून द्वारा अस्वीकृत किया गया है।

बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापन:

  • ऐसे विज्ञापनों को बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापन के रूप में जाना जाता है "जिसमे बच्चों को लक्षित करते हुए किसी ऐसे सामान, उत्पाद या सेवा को बढ़ावा दिया जाता हैं, जो बच्चों को लक्षित कर बच्चों में नकारात्मक छवि विकसित कर सकता है या ऐसा कोई प्रभाव बताता है जिसमे विज्ञापन वाले ऐसे उत्पाद को प्राकृतिक या पारंपरिक भोजन से बेहतर बताया गया हैं"।
  • उदाहरण: जैसे दुग्ध योज्य उत्पादों पर विज्ञापनों में बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के दावा किया जाता हैं कि इन उत्पादों में बच्चों के विकास के लिए उच्च पोषण मूल्य होता है, या स्मृति शक्ति को बढ़ाता है,और हड्डियों को मजबूत करता है।
  • ऐसे विज्ञापन जो अनुचित व्यवहार को बढ़ावा देते हैं या प्रोत्साहित करते हैं जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं एवं बच्चों की अनुभवहीनता, मासूमियत या वफादारी की भावना का लाभ उठा सकते हैं, उन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • इसमें ऐसे विज्ञापन शामिल हैं जो बच्चों के खरीदारी व्यवहार को प्रभावित करते हैं, उन्हें अस्वास्थ्यकर वस्तुओं का उपभोग करने के लिए प्रेरित करते हैं, या स्वस्थ वस्तुओं के प्रति नकारात्मक भावनाओं को विकसित करते हैं।
  • इन दिशा निर्देशों में यह भी अनिवार्य किया हैं कि,जिन वस्तुओं के बारे में स्वास्थ्य चेतावनी दी जाती है उनका विज्ञापन संगीत, खेल और सिनेमा आदि में बच्चों या मशहूर हस्तियों द्वारा नहीं किया जायगा।
  • इसके अलावा बिना किसी, "पर्याप्त वैज्ञानिक परिक्षण के स्वास्थ्य या पोषण संबंधी लाभ" या "बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले विज्ञापनों की अनुमति नहीं है।
  • इन दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि "चिप्स, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, और ऐसी अन्य वस्तुओं" जैसे उत्पादों के विज्ञापन बच्चों के लिए बने चैनलों पर प्रसारित नहीं किए जाएंगे।

अन्य सुधार:

  • दिशानिर्देशों में "विज्ञापनों में अस्वीकरण" का होना जरुरी है जिसमें "विज्ञापनों में किए गए दावे की पुष्टि हो  या उनकी सच्चाई या इस तरह के दावे को और विस्तार से समझाया गया हो।  
  • इसके साथ ही निर्माताओं को इस तरह के विज्ञापन में किए गए किसी भी दावे के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि विज्ञापनों में किसी भी प्रकार का अस्वीकरण/खंडन सामान्य रूप से देखे जाने वाले व्यक्तियों को दिखाई देना चाहिए।
  • ये दिशानिर्देश निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों पर शुल्क भी लगाते हैं जो उन्हें निश्चित तथ्यों से संबंधित विज्ञापन में दावा करने और तुलना करने से हतोत्साहित करेंगे।

इन दिशानिर्देशों का महत्व:

  • इन दिशा निर्देशों में एक भ्रामक या अमान्य विज्ञापन को परिभाषित करने के बजाय "गैर-भ्रामक और वैध" विज्ञापन को परिभाषित करने की शर्तों का उल्लेख करना जरुरी है।
  • इससे खामियों का लाभ उठाने की गुंजाइश कम हो जाती है।
  • दिशानिर्देशों में मौजूदा विज्ञापन विनियमों के प्रवर्तन में आने वाली चुनौतियों का भी समाधान कड़े दंड लगा कर किया गया हैं।
  • ये दिशानिर्देश अनुचित व्यापार चलनों की जांच करने का भी प्रयास करते हैं जो बच्चों के खरीद निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
  • इसके अलावा गलत विज्ञापनदाताओं के खिलाफ ग्राहकों को सशक्त बनाने में इन दिशानिर्देशों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सारांश:

  • सीसीपीए द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों को महत्वपूर्ण और पथप्रदर्शक माना जा रहा है,क्योंकि ये भारतीय नियामक ढांचे को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और मानकों के बराबर ला खड़ा करते हैं,हालाँकि विज्ञापनदाताओं को इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने और स्व-नियमन लागू करने की आवश्यकता है,ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इन दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है।

 

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।  

 

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।   

 

E. संपादकीय-द हिन्दू 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

बांडुंग की गूँज बाली और दिल्ली में:

विषय: भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह के समझौते।

प्रारंभिक परीक्षा: ब्रिक्स, ग्रुप ऑफ सेवन (G7) और NATO

मुख्य परीक्षा: विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नवीनतम शिखर सम्मेलन के परिणाम, वर्तमान वैश्विक व्यवस्था पर भारत का रुख और सुझाव।

संदर्भ:

  • इस लेख में रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद दुनिया के ध्रुवीकरण और भारत के विकल्पों पर चर्चा की गई है।

विवरण:

  • हाल ही में विभिन्न संगठनों के तीन बैक-टू-बैक शिखर सम्मेलन हुए, जिनमें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (23-24 जून), जी -7 शिखर सम्मेलन (26 जून और 27 जून) और मैड्रिड में हुए उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) शिखर सम्मेलन (29 जून) शामिल हैं।
  • इन शिखर सम्मेलनों में रूस-यूक्रेन युद्ध पर विभिन्न देशों के रुख को स्पष्ट कर दिया है।

विभिन्न शिखर सम्मेलनों में भारत की भागीदारी और उनके परिणाम:

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन:

  • चीन द्वारा आयोजित, ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका (BRICS) शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण था क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहला ऐसा बहुपक्षीय सम्मेलन था जिसमे रूसी राष्ट्रपति ने भाग लिया।
  • ब्रिक्स बीजिंग घोषणा पत्र में, प्रत्येक सदस्य ने यूक्रेन संघर्ष पर अलग-अलग रुख अपनाया।
  • ब्रिक्स आर्थिक पहल, जिसमे भारत ने "व्यावहारिक" रूख अपनाते हुए, रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों से सबंधित विभिन्न चुनौतियों का उल्लेख किया।
  • इसके अलावा ब्रिक्स के न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ने केंद्रीय बैंकों और सदस्य देशों के बीच बेहतर समन्वय हेतु रूसी ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (CRA) तथा ब्रिक्स भुगतान कार्य बल (BPTF) के लिए $ 5 बिलियन के लगभग 17 ऋणों को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य स्विफ्ट भुगतान प्रणाली के लिए एक विकल्प निर्मित करना था।
  • शिखर सम्मेलन में, रूस ने स्थानीय मुद्राओं के माध्यम से व्यापार करने हेतु एक वैश्विक आरक्षित मुद्रा कोष बनाने का भी प्रस्ताव रखा।
  • रूस ने ब्रिक्स सदस्यों को अधिक तेल और कोयले की आपूर्ति करने का भी आश्वासन दिया।

जी-7 शिखर सम्मेलन:

  • भारतीय प्रधान मंत्री ने जर्मनी में G-7 (यू.एस., यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूरोपीय संघ) अर्थात् सात "सबसे बड़े औद्योगिक देशों" के शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित अन्य देशों जैसे अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के साथ भाग लिया।
  • शिखर सम्मेलन में जारी विभिन्न बयानों में यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता तथा चीन की आर्थिक आक्रामकता पर निशाना साधा गया।
  • हालाँकि भारत और अन्य आमंत्रित देशों द्वारा हस्ताक्षरित एकमात्र दस्तावेज "रेसिलिएंट डेमोक्रेसी" और "क्लीन एंड जस्ट ट्रांजिशन टू क्लाइमेट न्यूट्रलिटी" में रूस या चीन की आक्रामकता का कोई उल्लेख नहीं था।

सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़े -  outcomes of the summit

नाटो बैठक:

  • भारत NATO शिखर सम्मेलन का हिस्सा नहीं है, इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के भारत-प्रशांत संधि सहयोगी जैसे जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल थे।
  • इस बैठक में, अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ नाटो की कार्रवाई का समर्थन किया गया।
  • उन्होंने चीन से "प्रतिस्पर्धा" को नाटो के हितों, सुरक्षा और मूल्य के लिए एक चुनौती के रूप में भी संदर्भित किया।
  • फिनलैंड, जॉर्जिया, स्वीडन, यूक्रेन और बोस्निया हर्जेगोविना जैसे देशों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया, जिसमें यह कहा गया कि नाटो के विस्तार से रूस की चिंताओं पर कोई प्रभाव पड़ेगा।

वर्तमान भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत का रुख:

  • इन शिखर सम्मेलनों के परिणाम इस तथ्य को उजागर करते हैं कि पश्चिमी सहयोगियों और रूस-चीन के बीच ध्रुवीकरण वृद्धि हुई है।
  • यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख ऐसा है कि न तो वह यूक्रेन पर रूस के हमले को स्वीकार करता है, नहीं उसकी आलोचना करता।
  • भारत ने चीन के साथ रूस से तेल की खरीद में वृद्धि की है तथा प्रतिबंधों से बचने के लिए चीनी युआन में भुगतान जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग कर रूस से उर्वरक, सीमेंट और अन्य वस्तुओं का आयात करना जारी रखा है।
  • भारत, जहाँ एक ओर रूस से अपनी रक्षा खरीद में विविधता लाने हेतु प्रयासरत है, वहीँ भारत-प्रशांत में यू.एस. और क्वाड भागीदारों की ओर एक रणनीतिक झुकाव रखता है।
  • ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत का रूख संतुलनकारी है, जिसे ब्रिक्स बीजिंग घोषणा में देखा जा सकता है जहाँ भारत ने यह सुनिश्चित करता है कि वह पश्चिम की कोई आलोचना नहीं करेगा तथा G -7 आउटरीच दस्तावेजों में यह सुनिश्चित करता है कि उसके द्वारा रूस और चीन की कोई आलोचना नहीं की जाएगी।

भारत के लिए सुझाव:

  • विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत को इस संतुलनकारी रूख को दीर्घकालिक समय तक बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है जबकि कुछ साहसिक निर्णय लेने की आवश्यकता है।
  • बढ़ते ध्रुवीकरण और यूक्रेन संघर्ष के कारण हुए व्यवधान की पृष्ठभूमि में भारत के लिए एक नेता की भूमिका निभाना महत्वपूर्ण हो जाता है।
    • भारत दिसंबर 2022 में G-20 की अध्यक्षता करेगा और भारत को  उसकी अक्षुण्णता सुनिश्चित करनी होगी।
  • भारत को दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, खाड़ी, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के समान विचारधारा वाले देशों का समर्थन जुटाना चाहिए जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी।
  • भारत को गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के दौरान निभाई गई भूमिका को दोहराने की कोशिश करनी चाहिए।

सारांश:

  • यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक व्यवस्था में बढ़ते ध्रुवीकरण और लगातार बदलती गतिशीलता के साथ, भारत को अपनी रणनीतिक नीतियों के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य: 

फार्मा फ्रीबीज के लिए 'नहीं', जनता की भलाई के लिए 'हां':

विषय: सामाजिक क्षेत्र व स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: फार्मा मुफ्त उपहार (फ्रीबीज) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

संदर्भ:

  • एपेक्स लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयकर उपायुक्त मामलें में सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

विवरण:

  • सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने डॉक्टरों को दिए जाने वाले मुफ्त उपहारों की कटौती करने वाली एपेक्स लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।
  • पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि डॉक्टरों को मुफ्त उपहार देने वाली दवा कंपनियों का कार्य कानूनी रूप से निषिद्ध है तथा इसपर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 37(1) के तहत कटौती का दावा नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

  • सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद दवा कंपनियों ने अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को मुफ्त उपहार देकर कानून का उलंघन किया है।
  • न्यायाधीश ने आगे कहा कि इन मुफ्त उपहारों को आईटी अधिनियम की धारा 37 (1) के तहत कटौती के रूप में दावा नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसा करना सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है।
    • न्यायाधीश ने यह भी माना कि कर कानूनों की व्याख्या का सुस्थापित सिद्धांत तब तक कायम नहीं हो सकता जब तक यह संसद के सिद्धांतों के विपरीत है।
  • डॉक्टर और मरीज के बीच भरोसेमंद संबंधों को संदर्भित करते हुए, बेंच ने कहा कि डॉक्टर के नुस्खे को मरीज द्वारा अंतिम दवा माना जाता है, भले ही निर्धारित दवाएं सस्ती ही क्यों ना हों इसलिए मुफ्त के लालच में इलाज में हेरफेर करना अनैतिक है।
  • फैसले के दौरान, बेंच ने संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा कार्यालय द्वारा 2018 में जारी "Savings Available Under Full Generic Substitution of Multiple Source Brand Drugs in Medicare Part D" नामक एक रिपोर्ट के साथ कई अन्य दिशानिर्देशों और निर्णयों का उल्लेख किया।
    • रिपोर्ट के मुताबिक, अगर लाभार्थियों ने जेनेरिक दवाओं का वितरण किया होता तो वे जेब से  होने वाले खर्च का लगभग 600 मिलियन डॉलर बचा सकते थे।

खुदरा मूल्य का मुद्दा:

  • विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर दवाओं की बिक्री पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ ऐसे मामले हैं जहाँ दवाएं MRP पर फार्मेसियों में बेची जाती हैं।
  • औषध मूल्य नियंत्रण आदेश एवं औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के बावजूद, दवाओं के खुदरा मूल्य को नियंत्रण में रखने हेतु की गई कार्रवाई अपर्याप्त है।
  • दवाओं का अधिक मूल्य निर्धारण, चिकित्सा उपचार को महंगा बना देता है, इसलिए अनुसंधान लागत और लाभ मार्जिन की गहन जांच की आवश्यकता है।
  • निर्माता को दवाओं को वास्तविक कीमतों पर बेचने के लिए कानूनों में तत्काल संशोधन करने की आवश्यकता है और इसके अलावा, जीवन रक्षक दवाओं को रियायती कीमतों पर या लागत मूल्य पर ही बेचा जाना चाहिए।

सारांश:

  • फार्मा फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फार्मा क्षेत्र में अनैतिक और अवैध प्रथाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह निर्णय चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा घोषित मुफ्त लैपटॉप, माफ किए गए बिजली शुल्क, खाद्यान्न, ऋण माफी जैसे विभिन्न अन्य मुफ्त उपहारों के वितरण पर भी लागू होना चाहिए।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था: 

जीएसटी के पांच वर्षों का मूल्यांकन:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधन, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारत में वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था का मूल्यांकन।

संदर्भ:

  • इस लेख में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के 5 वर्ष पूरे होने पर अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है।

जीएसटी के बाद महंगाई में बढ़ोतरी:

  • दुनिया भर की रिपोर्टें बताती हैं कि GST से प्रारंभ में महंगाई बढ़ती है।
  • GST लागू होने से पहले के 12 महीनों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति 3.66% थी। परन्तु, GST लागू होने के बाद महंगाई बढ़कर 4.24% हो गई।
  • मुद्रास्फीति का यह पैटर्न ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के मामले में भी देखा गया था।

जीएसटी व्यवस्था:

  • राजस्व-तटस्थ दर (RNR) (कर की दर है जो, शासी कर कानूनों में बदलाव के बावजूद सरकार को समान कर राजस्व अर्जित करने की अनुमति देती है) की गणना इस तरह से की जाती है कि कि इससे महंगाई ज्यादा न हो।
    • हालांकि, राजस्व तटस्थता इस बात की गारंटी नहीं देता कि अर्थव्यवस्था में कीमतों में परिवर्तन नहीं होगा क्योंकि उपभोग टोकरी में वस्तुओं का भार और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में उनका योगदान समान नहीं है।
    • उदाहरण: खाद्य और पेय (जिसका CPI सूचकांक में 46% योगदान है), किराया और कपड़े जो CPI टोकरी का प्रमुख भाग हैं, या तो इनमे लगाने वाले कर की दर कम है या कर छूट है।
  • वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर जीएसटी का प्रभाव छूट की डिग्री, दर संरचना, टोकरी में ऐसी वस्तुओं और सेवाओं का भार, प्रशासनिक व्यवस्था की दक्षता जैसे कारकों पर निर्भर करता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का वास्तविक प्रभाव:

  • GST के लागू होने से पहले, यह उम्मीद की जा रही थी कि कीमतों में कमी आएगी क्योंकि GST अप्रत्यक्ष कर दरों के साथ सामंजस्य स्थापित करता है और व्यापक प्रभाव को समाप्त करता है।
  • रिपोर्टों के अनुसार, अध्ययन अवधि में वास्तविक CPI वृद्धि 4.61% देखी गई थी। हालांकि, मुद्रास्फीति का प्रतितथ्यात्मक अनुमान (यदि जीएसटी लागू नहीं किया गया था) 3.24% था।
    • इससे पता चलता है कि GST के कारण CPI मुद्रास्फीति में 1.37 प्रतिशत अंक (pp) की वृद्धि हुई।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि GST के बाद की अवधि में CPI कोर मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) में 1.04 pp की वृद्धि हुई।
  • GST का पान, तंबाकू एवं नशीले पदार्थों, कपड़े एवं जूते, आवास और विविध क्षेत्रों जैसे वस्तुओं की मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • गैर-छूट वाले खाद्य और पेय पदार्थों के मामले में, GST के कार्यान्वयन का मूल्य स्तरों पर 4.42% का नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
  • GST के कार्यान्वयन के बाद मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से कुछ वस्तुओं और सेवाओं की कर दर में वृद्धि और उन व्यावसायिक गतिविधियों को शामिल करने के कारण हुई जिन्हें पहले छूट दी गई थी।
    • यह मुद्रास्फीति को बढ़ावा देता है क्योंकि फर्मों ने GST की लागत को उपभोक्ताओं पर डाल दिया।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ के अनुसार, बढ़ती बाजार शक्ति अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है क्योंकि यह आर्थिक अक्षमता को बढ़ाती है और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को कम करती है।
    • इसके अलावा फर्म, बाजार की शक्ति का लाभ उठाने के लिए, अंतिम उपभोक्ताओं पर करों को लागू करेंगे, जो GST का लागत-मुद्रास्फीतिकारी प्रभाव होगा। 
    • हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) की स्थापना की ताकि कंपनियां कीमतें बढ़ाने के लिए GST का बहाना ना बनाए।

निष्कर्ष:

  • GST ने खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति को कम कर दिया, परन्तु CPI, पान, तंबाकू एवं नशीले पदार्थों, कपड़े एवं जूते, आवास, विविध, तथ गैर-छूट वाले खाद्य एवं पेय पदार्थों जैसे गैर-खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है।

सारांश:

  • GST शासन के कार्यान्वयन से पहले, यह कहा गया था कि यह उच्च राजस्व उछाल, कम मुद्रास्फीति, उच्च राजस्व और विकास के मामले में अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से लाभान्वित करेगा, लेकिन सांख्यिकीय रिपोर्टों से पता चलता है कि GST कार्यान्वयन का भारतीय अर्थव्यवस्था की मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ा है।

 

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।  

 

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

1. 'जब तक बाजार प्रतिस्पर्धी नहीं हो जाता तब तक MSP जारी रहनी चाहिए':

  • नीति आयोग के एक सदस्य ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP-Minimum Support Price) तब तक जारी रहना चाहिए जब तक बाजार प्रतिस्पर्धी और कार्यक्षम/कुशल न हो जाए और एमएसपी को खरीद के अलावा अन्य माध्यमों से दिया जा सके।
  • उन्होंने यह भी कहा कि डेफिसिएंसी प्राइसिंग पेमेंट (DPP) (जहां खुले बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच का अंतर किसानों को दिया जाता है) किसानों की MSP बढ़ाने का एक ऐसा ही साधन है।
  • उन्होंने आगे कहा कि खुले बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच का अंतर लगभग 12-15% था और एमएसपी-निर्धारित 23 फसलों के लिए 1920 की कीमत के आधार पर 80,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।

 

2. विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने नियमों में ढील दी:

  • हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कॉरपोरेट्स के लिए विदेशी उधार सीमा को दोगुना करने और अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा के लिए ब्याज दर की सीमा को हटाने जैसे अस्थायी उपायों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देना है।
  • उपायों के एक हिस्से के रूप में बैंकों को वृद्धिशील विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियों [एफसीएनआर (बी)] और गैर-आवासीय बाहरी (एनआरई) सावधि जमाराशियों पर निर्धारित नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio (CRR)) और सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio (SLR)) को 4 नवंबर 2022 तक बनाए रखने से छूट दी गई है।   
  • इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को ऋण के रूप में आकर्षित करने के लिए,आरबीआई ने कहा की निवेश के लिए उपलब्ध सरकारी बॉन्ड का विकल्प पूरी तरह से प्रवेश्य मार्ग के तहत आगे बढ़ाया जाएगा।
  • लगातार पूंजी बहिर्वाह के मद्देनजर इन कदमों की घोषणा की गई है क्योंकि देश के व्यापार घाटे में वृद्धि के कारण डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का लगातार मूल्यह्रास जारी है।

 

H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. अधिकांश अप्रत्यक्ष करों को बदलने के लिए भारत में माल और सेवा कर व्यवस्था शुरू करने की आवश्यकता क्यों थी?  क्या पिछले 5 वर्षों में उन उद्देश्यों को प्राप्त किया गया है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III - अर्थशास्त्र) 

प्रश्न 2. वर्तमान वैश्विक परिदृश्य भारत के लिए दो ध्रुवीकृत शिविरों को एक साथ लाने का एक सुनहरा अवसर है। विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II - अंतर्राष्ट्रीय संबंध) 

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