दैनिक समाचार विश्लेषण- 06- जुलाई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : July 6th, 2022

समाचार पत्र विश्लेषण में यूपीएससी/आईएएस परीक्षा के दृष्टिकोण से 'द हिंदू' के सभी महत्वपूर्ण लेख और संपादकीय को शामिल किया जाता हैं।

Table of Content

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

एफपीआई (FPIs) का निकासी गेट तक सतत मार्च:  

अर्थव्यवस्था:

विषय:भारतीय अर्थव्यवस्था,योजना,संसाधन जुटाना तथा विकास,संवृद्धि और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: एफपीआई और एफडीआई के बीच अंतर।

मुख्य परीक्षा: भारत से एफपीआई की निकासी में योगदान करने वाले कारक और उससे संबंधित चिंताएं। 

संदर्भ:

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में बिकवाली (selling spree-बिक्री की होड़ (छोटी अवधि) जिसमें कोई व्यक्ति बहुत सी चीजें खरीदता है) कर रहे हैं।
  • मई 2022 में लगभग ₹44,000 करोड़ की बिकवाली की गई, जबकि जून 2022 में यह ₹50,000 करोड़ रही।
  • मार्च 2020 के बाद 1993 के बाद से यह एक महीने में दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली है। विशेष रूप से, जून लगातार नौवां महीना है जिसमें एफपीआई की संपत्ति की शुद्ध बिक्री हुई है- यानी, एफपीआई ने जितना खरीदा था उससे अधिक बेचा है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign portfolio investment (FPI)):

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में प्रतिभूतियां और वित्तीय परिसंपत्तियां जैसे इक्विटी, बांड और म्यूचुअल फंड दूसरे देश के निवेशकों के पास होते हैं।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (foreign direct investment (FDI)) के साथ, FPI भी विदेशी अर्थव्यवस्था में निवेश करने के सामान्य तरीकों में से एक है।
  • अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एफडीआई और एफपीआई दोनों ही वित्त पोषण के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • एफडीआई के विपरीत, एफपीआई में निवेशकों को कंपनी की संपत्ति का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्रदान नहीं किया जाता है।
  • इसलिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक केवल निष्क्रिय शेयरधारक हैं,और उनका उन कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं होता  हैं जिनके शेयर उनके पास हैं।
  • इसके अलावा, एफपीआई एफडीआई की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक तरल संपत्ति है और यह ज्यादातर अस्थिर होती है क्योंकि इस तरह के निवेश से निवेशक को अपनी इच्छा के अनुरूप और आसानी से स्टॉक में प्रवेश करने या बाहर निकलने की सहूलियत होती है।

एफपीआई को प्रभावित करने वाले कारक:

  • आर्थिक विकास की संभावनाएं और गंतव्य अर्थव्यवस्था में आकर्षक रिटर्न की संभावना एफपीआई को एक अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए आकर्षित करने में एक प्रमुख कारक है। 
    • इसके विपरीत किसी अर्थव्यवस्था की बिगड़ती आर्थिक स्तिथि वहां से एफपीआई के बाहरी प्रवाह के लिए एक प्रमुख प्रेरक कारक के रूप में कार्य करती हैं।
  • स्रोत अर्थव्यवस्था की आर्थिक संभावनाएं भी एफपीआई की आवाजाही का एक प्रमुख निर्धारक कारक हैं।
  • आर्थिक विकास में कमी, रिटर्न की दर कम होना और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देशों की मुद्रास्फीति दरों में वृद्धि विदेशी निवेशकों को उभरते बाजारों में निवेश करने के लिए प्रोहत्साहित कर सकती है।
  • एफपीआई निवेशक किसी संपत्ति में निवेश करने के लिए तब उत्सुकता दिखाते हैं, जब किसी देश में वास्तविक ब्याज दरों के बीच एक अनुकूल अंतर होता है,इसमें यू.एस. जैसे अन्य बाजार शामिल होते हैं,जिसमें वे निवेश करने का लक्ष्य रखते हैं। 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार से बाहर क्यों निकल रहे हैं?

  • कमजोर आर्थिक विकास की संभावनाएं :
    • COVIOD-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक व्यवधान ने भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक संवृद्धि और विकास की संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
    • महामारी के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी असमान रही है।
    • औद्योगिक उत्पादन की मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के दबाव के कारण महामारी से पूर्ण रिकवरी करने में सक्षम नहीं हो पा रही है।
    • इसकी वजह से जून 2022 में कारोबारी विश्वास की भावना (business confidence sentiment ) भी 27 महीने के सबसे निचले स्तर है।
    • खपत व्यय, जो कि अर्थव्यवस्था के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है, भारतीय अर्थव्यवस्था में कमजोर बना हुआ है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव:

  • रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से पैदा हुए भू-राजनीतिक मंथन ने बहुत अधिक अनिश्चितता पैदा कर दी है साथ ही इस युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी बाधित कर दिया है।
  • सूरजमुखी और गेहूं जैसी कुछ महत्वपूर्ण खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप  इन फसलों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि हुई है।
  • इसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर और भारत में भी समग्र मुद्रास्फीति में तेजी आई है।
  • भारत में लगातार पांच महीने से मुद्रास्फीति 6% से ऊपर बनी हुई है।
  • उच्च मुद्रास्फीति दर निरंतर आर्थिक विकास और संवृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं हैं और यह एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक के वास्तविक रिटर्न को भी प्रभावित करती है।

रुपये में गिरावट :

  • डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है,लेकिन अन्य मुद्राओं के मुकाबले इसमें मजबूती दिख रही है। 
    • रुपया हाल ही में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 79.33 को छू गया था।
  • भारतीय रुपये के मूल्यह्रास और डॉलर के मजबूत होने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के आर्थिक रिटर्न पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • ऐसा इसलिए है, क्योंकि ऐसे परिदृश्य में,निवेशक एक निश्चित रुपये संपत्ति के परिसमापन के लिए कम डॉलर खर्च करेगा।  

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बढ़ती ब्याज दरें:

  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी अर्थव्यवस्था में बढ़ती मुद्रास्फीति को कम करने के लिए इस साल मार्च से बेंचमार्क ब्याज दर बढ़ा रहा है।
  • इसके परिणामस्वरूप अमेरिका और भारत जैसे बाजारों में ब्याज दरों के बीच अंतर कम हो गया है।
  • नतीजतन,निवेशक विकसित अर्थव्यवस्थाओं जैसे यू.एस.जैसे देशों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। 
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं पर वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी के लिए 24 मार्च 2022 का व्यापक समाचार विश्लेषण देखें। 

भारत में FPI की बिकवाली (कम दामों पर बेचने) का प्रभाव:

  • भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की अधिक बिकवाली भारतीय रुपये में मूल्यह्रास को बढ़ा रही है।
  • ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे निवेशक अपनी घरेलू बाजार की मुद्रा के बदले रुपये बेचते हैं।  
  • जैसे-जैसे बाजार में रुपये की आपूर्ति या प्रवाह बढ़ता है तो, इसकी कीमत घटती जाती है।
  • रुपया कमजोर होने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ जाएगा क्योंकि रुपय के कमजोर होने से, भारत को माल की एक ही इकाई के आयात के लिए अधिक धन खर्च करना होगा।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली से बेंचमार्क सूचकांकों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में गिरावट आई है।
  • इस मुद्दे से संबंधित अधिक जानकारी के लिए 05 जून 2022 का व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

सारांश:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में कमजोर आर्थिक विकास की संभावनाओं के साथ-साथ मुद्रास्फीति का दबाव और रुपये में गिरावट ने भारतीय संपत्ति को 'जोखिम भरा' बना दिया है। इन कारकों के साथ-साथ अमेरिका और भारत में ब्याज दरों के बीच के अंतर कम होने के कारण भारत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का बड़ा पलायन हुआ है। यह भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है।

 

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

दक्षिण एशिया में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की स्थिति:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या हितों को प्रभावित करने वाले समझौते ।

प्रारंभिक परीक्षा: बीआरआई के तहत प्रमुख परियोजनाएं

मुख्य परीक्षा: दक्षिण-एशियाई क्षेत्र में बीआरआई परियोजनाओं से उत्पन्न  भारत के लिए चुनौतियां।

संदर्भ:

  • हाल ही में जर्मनी में जी -7 नेताओं के संपन्न शिखर सम्मेलन में, अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंटेलिजेंस के लिए एक साझेदारी का अनावरण किया, जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के प्रतिउत्तर में देखा जा रहा है।
  • इस लेख में विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों में बीआरआई के तहत विभिन्न परियोजनाओं की स्थिति की जांच,इस क्षेत्र में भारत के हितों पर इन परियोजनाओं के रणनीतिक प्रभाव के सन्दर्भ में की गई हैं।

पृष्ठ्भूमि:

  • बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative): 
    • बेल्ट एंड रोड पहल, जिसे पहले वन बेल्ट वन रोड (OBOR) के नाम से जाना जाता था, वर्ष 2013 में चीनी सरकार द्वारा शुरू की गई एक वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास परियोजना है।
    • इस पहल के तहत वर्ष 2025 तक इस योजना के साझेदार देशों में चीन 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेगा ।
    • इस पहल के तहत आने वाली परियोजनाओं के लिए, चीन वाणिज्यिक ब्याज दरों पर सम्बंधित देशों को ऋण प्रदान करता है जिसे प्राप्त करने वाले देशों को निश्चित वर्षों के भीतर भुगतान करना होता है।
    • अब तक 60 से अधिक देश चीन के बीआरआई समझौतों में शामिल हो गए हैं। 
    • इस पहल के तहत, एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है या निर्माणाधीन है।
  • इस पहल के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: https://byjus.com/free-ias-prep/one-belt-one-road/ 

दक्षिण एशियाई देशों में बीआरआई की स्थिति:

पाकिस्तान:

  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) BRI की प्रमुख परियोजना है,और यह किसी एक देश में चीन की सबसे बड़ी परियोजना है। इस परियोजना में ऊर्जा, परिवहन और संचार प्रणालियों से जुड़ी कई परियोजनाओं की कल्पना की गई है।
  • इसमें शामिल कुछ उल्लेखनीय परियोजनाओं में ग्वादर शहर को स्मार्ट पोर्ट सिटी के रूप में विकसित करना, पेशावर को कराची से जोड़ने वाली रेल परियोजना और कोयला बिजली संयंत्र शामिल हैं।
  • चीन ने पाकिस्तान में बीआरआई परियोजनाओं के लिए चीन के स्वामित्व वाले बैंकों और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से कम ब्याज दरों पर 62 अरब डॉलर का ऋण देने का वादा किया है।
  • ग्वादर बंदरगाह परियोजना पर अभी तक बहुत कम काम हुआ है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में चीन की समुद्र में ट्रॉलर गतिविधियों के कारण स्थानीय लोगों द्वारा इस परियोजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है, जिसके चलते वहां बहुत अधिक संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
  • विशेष रूप से,बलूच राष्ट्रवादियों ने इस परियोजना का और इस में शामिल चीनी नागरिकों को निशाना बनाया है।
  • परियोजना के तहत स्थापित चीनी ताप संयंत्रों द्वारा उत्पादित बिजली के मूल्य निर्धारण पर भी असहमति है।

श्रीलंका:

  • श्रीलंका में बीआरआई ढांचे के तहत कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय पूर्वी कंटेनर टर्मिनल, हंबनटोटा बंदरगाह, कोलंबो अंतरराष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल का विकास, सेंट्रल एक्सप्रेसवे और हंबनटोटा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा का विकास हैं।
  • श्रीलंका में बीआरआई के तहत शुरू की जा रही परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता पर बार-बार सवाल उठाए जा रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए, श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह को चीन के स्वामित्व वाली एक कंपनी को 99 साल के पट्टे पर सौंपना पड़ा है, क्योंकि श्रीलंका बंदरगाह के निर्माण हेतु लिए गए भारी ऋणको चुकाने में असमर्थ है।
  • चीन के इस पहलू को पश्चिम बार-बार इसे चीन के ऋण-जाल में फँसाने वाले देशों के रूप में "शिकारी ऋण" के माध्यम से इंगित करता है, क्योंकि ऋण न चुकाने की स्थिति में फिर इन देशों को चीन को प्रमुख संपत्तियां सौंपने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में परियोजनाओं के लिए भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा हुई  है।

अफगानिस्तान:

  • 2016 में चीन के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाने के बावजूद अफगानिस्तान को पूर्ण रूप से बीआरआई में शामिल नहीं किया गया है।
  •  चीन द्वारा अफगानिस्तान में निवेश करने का वादा अभी तक पूरा नहीं किया है,जिसके परिणामस्वरूप, वहां कई परियोजनाएं अब तक शुरू नहीं की गई हैं, और प्रस्तावित परियोजनाओं के आसपास अनिश्चितताएं तालिबान के अधिग्रहण के बाद से और गहरी हुई हैं।

भूटान:

  • भारत के साथ, भूटान इस क्षेत्र का एकमात्र अन्य देश है जो बीआरआई का हिस्सा नहीं है।

नेपाल:

  • काठमांडू औपचारिक रूप से 2017 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल हुआ था।
  • सबसे उल्लेखनीय परियोजनाओं में नेपाल से चीन तक ट्रांस-हिमालयी रेल सड़क, सड़कों का निर्माण, बिजली पारेषण लाइनें और जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं।
  • फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के पांच साल बाद भी अब तक किसी भी प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हुआ है। 

मालदीव:

  • मालदीव में शुरू की गई सबसे प्रमुख बीआरआई परियोजनाओं में से एक, दो किमी लंबा चीन-मालदीव मैत्री पुल है।
  • मालदीव में चीन से बड़े पैमाने पर उधारी के खिलाफ सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
  • मालदीव के वर्तमान शासन ने अपनी 'इंडिया फर्स्ट' नीति पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए, बीआरआई से दूरी बनाने की कोशिश की है।

बांग्लादेश:

  • बांग्लादेश 2016 में बीआरआई में शामिल हुआ था।
  • बांग्लादेश में सबसे उल्लेखनीय बीआरआई परियोजनाओं में चीन-बांग्लादेश मैत्री पुल, विशेष आर्थिक क्षेत्रों का विकास, कर्णफुली नदी सुरंग परियोजना, चटगांव बंदरगाह का उन्नयन, और बंदरगाह और चीन के युन्नान प्रांत के बीच एक रेल लाइन शामिल है।
  • चीन ने बांग्लादेश को पाकिस्तान के बाद दक्षिण एशिया में दूसरा सबसे बड़े निवेश (करीब 40 अरब डॉलर) करने का वादा किया गया है।
  • चीन द्वारा धीमी गति से धन जारी करने के कारण बांग्लादेश में बीआरआई के तहत कई परियोजनाओं में देरी हुई है। 

सारांश:

  • लंबे समय में भारत के पड़ोसियों के साथ चीन का यह बढ़ता सहयोग भारत के हितों के अनुकूल नहीं होगा है क्योंकि इसके जरिये चीन की ऐसी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है,जो अक्सर भारत के हितों के अनुकूल नहीं होती हैं। साथ ही दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत को इस क्षेत्र में अपनी प्रमुखता बनाए रखने के लिए चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

 

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

 

E. संपादकीय-द हिन्दू 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

हथकड़ी, न्यायिक बंदी और कानून के लंबे हाँथ:

विषय: न्यायपालिका की कार्यप्रणाली।

मुख्य परीक्षा: पुलिस अधिकारियों के कामकाज तथा न्यायिक निकायों के दिशानिर्देशों का गंभीर विश्लेषण करें।

संदर्भ:

  • इस लेख में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा हथकड़ी लगाने के जारी हालिया निर्देशों का विश्लेषण किया गया है।

पृष्टभूमि:

  • हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि किसी भी व्यक्ति, चाहे वे किसी मामले में आरोपी हों, विचाराधीन कैदी या दोषी हों, को हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी, जब तक कि केस डायरी में ऐसा करने का कारण स्पष्ट न हो।
  • यह फैसला उस समय लिया गया जब अदालत की धारवाड़ पीठ, कर्नाटक के बेलगाम जिले के चिक्कोडी निवासी सुप्रीत ईश्वर दिवाते की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे चेक बाउंस मामले में पुलिस ने हथकड़ी लगाई थी।
  • एक अन्य व्यक्ति के साथ विवाद के मामले में तथा डिवाटे पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत चेक बाउंस के मामलों का सामना करना पड़ा।
  • उसके खिलाफ पांच अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए थे और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। इस सिलसिले में उसे गिरफ्तार किया गया था।
  • दिवाटे ने पुलिस की इस हरकत के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने उस कृत्य का वीडियो साक्ष्य भी प्रस्तुत किया जिसे पुलिस ने खुद रिकॉर्ड किया था।

हाईकोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश:

कारणों को दर्ज किया जाना:

  • किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह अभियुक्त हो, विचाराधीन कैदी या दोषी हो, हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी, जब तक कि उसका कारण केस डायरी और/या प्रासंगिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता है कि ऐसे व्यक्ति को हथकड़ी लगाने की आवश्यकता क्यों पड़ी।

विचाराधीन के लिए पूर्व अनुमति:

  • जहां तक ​​संभव हो, विचाराधीन कैदी को न्यायालय के समक्ष पेश करने से पहले एक विचाराधीन कैदी को हथकड़ी लगाने की अनुमति लेनी होगी तथा उक्त न्यायालय से हथकड़ी लगाने का आदेश प्राप्त करना होगा।
  • यदि ऐसी किसी अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया गया हो तथा विचाराधीन कैदियों को हथकड़ी लगाई गई हो, तो ऐसी कार्रवाई को अवैध घोषित किया जायेगा और संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बॉडी कैमरा:

  • अदालत ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) को सभी अधिकारियों को बॉडी कैमरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया ताकि आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी को रिकॉर्ड किया जा सके।
  • इन कैमरों में सक्रिय माइक्रोफ़ोन भी होना आवश्यक है ताकि गिरफ्तारी के समय की बातचीत को रिकॉर्ड किया जा सके, और इन ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड को रिकॉर्डिंग की तारीख से कम से कम एक वर्ष तक सुरक्षित रखना आवश्यक होगा।

मुआवज़ा/क्षतिपूर्ति:

  • यह एक स्थापित सिद्धांत है कि 'संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए मौद्रिक मुआवजा एक उपाय है।
  • अदालत ने माना कि मुआवजा देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, जो इस प्रकार हैं:
    • अदालत को हथकड़ी लगाने वाले व्यक्ति को हुए नुकसान/क्षति को ध्यान में रखना चाहिए।
    • अदालत को उन पुलिस अधिकारियों के लिए एक निवारक के रूप में मुआवजे को देने पर भी विचार करना चाहिए जो अपने कर्तव्यों का उचित तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं और/या कानून का उल्लंघन करते हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य को मुआवजे का भुगतान करना आवश्यक होगा, राज्य संबंधित चूककर्ताओं से इसे वसूल करने हेतु स्वतंत्र होगा।
  • इस प्रकार, अदालत के अनुसार मुआवजा जो कि एक सार्वजनिक कानून उपाय है, एक स्ट्रेटजैकेट फॉर्मूला नहीं हो सकता है जो भुगतान की जाने वाली मुआवजे की राशि को निर्धारित कर सके। 
  • सख्त दायित्व के सिद्धांतों के आधार पर मुआवजे का भुगतान करना आवश्यक होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट बनाम हाई कोर्ट:

  • महाराष्ट्र राज्य बनाम रविकांत एस. पाटिल के मामले में, जब विचाराधीन कैदी को हथकड़ी लगाई गई थी, तब बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस निरीक्षक को अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया तथा कैदी को मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। 
  • इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं था क्योंकि उसने अपनी आधिकारिक क्षमता के तहत काम किया था।
  • अत: जहां तक ​​पुलिस अधिकारी द्वारा प्रदान किए गए मुआवजे का संबंध है, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय का निर्णय मेल नहीं खाता।

कुछ चुनौतियाँ:

  • कई बार, पुलिस अधिकारियों को आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी का सामना करना पड़ता है। इसलिए, गैर-अनुपालन के लिए दोष केवल पुलिस अधिकारियों को नहीं दिया जाना चाहिए।
  • यह एक निर्विवाद तथ्य है कि एक पुलिस स्टेशन या रिजर्व पुलिस लाइन एक विचाराधीन कैदी के परिवहन में जेल अधिकारियों को पर्याप्त अनुरक्षण प्रदान करने में असमर्थ है। ऐसा जनशक्ति की कमी या तत्काल कानून-व्यवस्था के कारण होता है।
  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पब्लिकेशन की भारत में अपराध 2020 की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में पुलिस हिरासत से कैदी के भागने के 810 मामले सामने आए।
  • लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी 117 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ा संख्या में बहुत बड़ा नहीं है लेकिन यह स्पष्ट रूप से बताता है कि आम तौर पर कैदियों को भागने से रोकने के लिए हथकड़ी का उपयोग किया जाता है।

भावी कदम:

  • राज्य पुलिस थानों को आवश्यक उपकरण और कर्मी उपलब्ध कराए जाएं।
  • हथकड़ी का उपयोग करने का कारण उचित होने चाहिए। यदि कोई द्वेष पाया जाता है, तो विभाग को उससे सख्ती से निपटना चाहिए।
  • कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित राज्य सरकारों को समय-समय पर पुलिस की गतिशीलता, उपकरणों और गैजेट्स की आवश्यकताओं एवं अतिरिक्त जनशक्ति की समीक्षा करनी चाहिए।

सारांश:

  • हथकड़ी का ज्यादातर इस्तेमाल कैदीयों को भागने से रोकने के लिए किया जाता है, इसलिए पुलिस अधिकारियों द्वारा हथकड़ी के बृहद पैमाने पर अनुचित इस्तेमाल पर अंकुश लगाया जाना चाहिए तथा हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, उनका उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब आवश्यक हो और ऐसा करने का कारण स्पष्ट रूप से है केस डायरी में हो।

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य: 

क्षय रोग को नियंत्रित करने के उपाय:

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव संसाधन से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: तपेदिक से निपटने में भारत की स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली की भूमिका पर चर्चा करें।

संदर्भ:

  • इस लेख में तपेदिक रोग, टीबी नियंत्रण कार्यक्रमों के दौरान आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है।

पृष्टभूमि:

  • सभी स्थानिक रोगों में तपेदिक (TB) को सबसे खराब माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, यह प्रत्येक वर्ष लगभग 1.5 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनता है।
  • टीबी, सबसे ज्यादा वयस्कों को प्रभावित करती है और परिवार के साथ-साथ राष्ट्र को दरिद्रता की ओर ले जाती है।
  • दुनिया की टीबी राजधानी कहे जाने वाले भारत में, हर दिन टीबी के कारण 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
  • यह आंकड़ा सकल अनुमान पर आधारित हैं, क्योकि हमारी स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली में सटीक संख्या निकालने की कोई विधि नहीं है।

भारत में टीबी को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपाय:

  • 1950 और 1960 के दशक के दौरान, भारत विश्व स्तर पर टीबी के महामारी विज्ञान, संचरण और घरेलू उपचार में अनुसंधान में अग्रणी था।
  • 1962 का राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम जिला-आधारित सार्वजनिक-निजी भागीदारी पहल पर आधारित था।
  • हालांकि, मॉडल को अपग्रेड करना असफल साबित हुआ तथा यह टीबी को नियंत्रित करने में विफल रहा। उसके बाद, भारत ने अपना आत्मविश्वास खो दिया और संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) के तहत WHO के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया।
  • अमीर और गरीब देशों के बीच मतभेदों पर विचार किए बिना, WHO विशेषज्ञों ने RNTCP को डिजाइन करने के लिए टीबी नियंत्रण के सैद्धांतिक आयामों का उपयोग किया।
  • 2018 में, भारत ने महसूस किया कि यह कार्यक्रम टीबी को नियंत्रित करने हेतु पर्याप्त नहीं है।

कार्यक्रम में खामियां:

कोई निगरानी नहीं:

  • यह कार्यक्रम सरकार द्वारा वित्त पोषित है लेकिन टीबी नियंत्रण के प्रक्षेपवक्र की निगरानी का कोई निर्धारित तरीका नहीं है।
  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने एक विशेष कार्य बल की स्थापना की है जिसके पास नियंत्रण पथ की निगरानी के लिए 'प्रहरी निगरानी' नामक एक अनूठी विधि थी।
  • WHOP के विशेषज्ञों ने इसे छोड़ने के लिए कहा लेकिन ICMR के तत्कालीन महानिदेशक डॉ. श्रीराम पी. त्रिपाठी ने इसका पालन करने से इनकार कर दिया।
  • हाल ही में, भारत ने भारत में कोविड से होने वाली मौतों पर WHO के अनुमानों पर आपत्ति जताई है। लेखक का मत है कि इसी तरह RNTCP की खामियों को भी उजागर किया जाए और देश की अपनी स्वयं की रणनीति बनाई जाए।

स्रोत की कमी की धारणा:

  • WHO ने मान लिया था कि पल्मोनरी टीबी के मरीजों के इलाज से ही समस्या का समाधान हो जाएगा। इसे स्रोत कमी के रूप में जाना जाता है जिसके तहत टीबी संक्रमण वाले व्यक्ति का शीघ्र उपचार किया जाता है।
  • भारत के मामले में यह गलत है क्योंकि भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है। एक व्यक्ति के फेफड़ों का संक्रमण उसके जीवन को सुसुप्त बना देता है जिसे टीबी के नाम से जाना जाता है। कुछ मामलों में, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तथा टीबी रोग विकसित हो जाता है जिसे पुनर्सक्रियन टीबी के रूप में जाना जाता है।
  • HIV संक्रमण, मधुमेह, अल्पपोषण, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, प्रदूषण से होने वाली क्षति, धूम्रपान और शराब के कारण टीबी फिर से हो जाती है।
  • इसलिए, भारत के संदर्भ में केवल स्रोत का इलाज करना समाधान नहीं है।

लोगों की भागीदारी नहीं:

  • WHO ने RNTCP में जनभागीदारी की अनदेखी की है। एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक शिक्षा को प्राथमिकता दी गई क्योंकि जन जागरूकता की कमी के कारण मदद मांगने में देरी होती रहेगी।

टीबी नियंत्रण:

  • सूक्ष्म जीवों से होने वाली बीमारियों के उपचार में तीन उपाय शामिल हैं, नियंत्रण, उन्मूलन और निवारण।

नियंत्रण:

  • नियंत्रण का अर्थ है पूर्व-निर्धारित स्तर और पूर्व-निर्धारित समय पर हस्तक्षेप के माध्यम से बीमारी के बोझ को कम करना।
  • सामाजिक प्रवृत्ति के अनुसार, बेहतर आवास, पोषण, शिक्षा और आय के माध्यम से सामाजिक निर्धारकों वाली बीमारियों में समय के साथ गिरावट आती है। विश्व स्तर पर टीबी का बोझ प्रति वर्ष 1% से 1.5% तक घट रहा था।
  • हालांकि, साक्ष्य कहते है कि यह कमी पूर्व-निर्धारित हस्तक्षेप के कारण है, न कि सामाजिक प्रवृत्तियों के कारण।

उन्मूलन:

  • इसका तात्पर्य नए मामलों की शून्य आवृत्ति है। भारत में, गुप्त टीबी पाई जाती है, इसलिए हम टीबी को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम इस संख्या को 200 लाख से 50 लाख प्रति वर्ष तक कम करने का लक्ष्य रख सकते हैं।
  • यह 2025 तक टीबी उन्मूलन प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप होगा।

निवारण:

  • हम उच्च नियंत्रण का लक्ष्य रख सकते हैं क्योंकि हमारे पास आरएनटीसीपी के माध्यम से प्रमुख संपत्तियां हैं। राज्यों और जिलों में उच्च प्रशिक्षित टीबी अधिकारी हैं जो अपना काम बहुत अच्छी तरह से कर रहे हैं।
  • एक बार खामियां दूर हो जाने के बाद भारत टीबी को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाएगा।

सारांश:

  • भारत में टीबी का मुकाबला करने के लिए WHO द्वारा निर्धारित तकनीकों का आँख बंद करके पालन करने के बजाय, भारत को सभी हितधारकों और विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद, देश में बीमारी की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति स्वयं तैयार करनी चाहिए और इस गंभीर बीमारी से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। .

 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था: 

आयात का मामला:

विषय: भुगतान संतुलन।

मुख्य परीक्षा: देश के व्यापार संतुलन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।

संदर्भ:

  • इस लेख में भारत के व्यापार घाटे, देश के प्रमुख आयात एवं निर्यात तथा घाटे को कम करने वाले उपायों का विश्लेषण किया गया है।

पृष्टभूमि:

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, भारत का मासिक व्यापार घाटा जून में 25.6 बिलियन डॉलर था।
  • ऐसा सात महीनों में तीसरी बार हुआ है तथा दूसरे महीने में भारत का व्यापार घाटा अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

व्यापार आंकड़ा:

निर्यात आंकड़ा:

  • जून 2022 में भारत के आउटबाउंड शिपमेंट का मूल्य 16.8% बढ़ा, जो मई 2022 में 20.6% की वृद्धि की तुलना में कम है।
  • भारत के सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली चार वस्तुओं में इंजीनियर सामान, सूती धागा, दवाएं एवं फार्मा तथा प्लास्टिक उत्पाद हैं। उन्होंने विगत वर्ष की तुलना में संकुचन दर्ज किया जो एक चिंताजनक है।
  • अगर हम जून 2021 और जून 2022 में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात की तुलना करें, तो जून 2022 में वृद्धि हुई थी लेकिन मई 2022 की तुलना में यह लगभग 0.7 डॉलर कम थी।

आयात आंकड़ा:

  • निर्यात में वृद्धि सुचारू थी, जून 2022 में आयात 51% से बढ़कर 63.6 बिलियन डॉलर हो गया। कुल आयात में कोयले, पेट्रोलियम उत्पादों और सोने की हिस्सेदारी अधिक थी।

निकट भविष्य में उम्मीदें:

  • यह उम्मीद है कि कमजोर वैश्विक मांग के कारण निर्यात की वृद्धि, मंदी या कई विकसित बाजारों में विकास में तीव्र मंदी के कारण जारी रहेगी।
  • तेल, उर्वरक और सोने की घरेलू मांग बहुत ही बेलोचदार है और यह वैश्विक कीमतों में वृद्धि हेतु जिम्मेदार है, इसलिए देश के आयात बिल की बढ़ने की संभावना है।
  • डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर मूल्य से आयात लागत में वृद्धि हो जाएगी।
  • 5 जुलाई 2022 को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.37 के रूप में दर्ज किया गया था। कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही तक डॉलर के मुकाबले रुपया 82 हो जाएगा।
  • इससे चालू खाता घाटा 2022-23 में GDP के दोगुने से भी ज्यादा करीब 3% हो जाएगा, जबकि 2021-22 में यह 1.2% था।

कुछ प्रमुख चिंताएँ:

विदेशी पूंजी का बहिर्वाह:

  • भारत के पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार है। इस तथ्य के बावजूद, भारतीय बाजार से विदेशी पूंजी के लगातार बहिर्वाह ने देश में भुगतान संतुलन को चिंताजनक बना दिया है।

कोयला आयात:

  • यह उम्मीद है कि कोयले के आयात पर भारी असर पड़ेगा क्योंकि मॉनसून के कारण घरेलू उत्पादन प्रभावित होगा।

सरकार द्वारा किए गए उपाय:

अप्रत्याशित कर:

  • एक अप्रत्याशित कर एक कंपनी पर सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एकमुश्त कर है। यह एक अप्रत्याशित रूप से बड़े लाभ पर लगाया जाता है, विशेष रूप से अगर लाभ गलत तरीके से प्राप्त किया गया हो।
  • हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। घरेलू कच्चे तेल के उत्पादक घरेलू रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय समता कीमतों पर कच्चे तेल की बिक्री करते हैं। नतीजतन, घरेलू क्रूड उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ हो रहा है।
  • इसे ध्यान में रखते हुए कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स के रूप में 23,250 रुपये प्रति टन का उपकर लगाया गया है। इससे भारत में राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।

सीमा शुल्क:

  • सरकार ने यह स्वीकार करते हुए कि सोने के आयात से चालू खाता घाटा बढ़ रहा है, सीमा शुल्क को 10.75% से बढ़ाकर 15% कर दिया है। इससे पेट्रोलियम उत्पादों को नुकसान हो सकता है।

भावी कदम:

  • नीति निर्माताओं के लिए देश को इस दुष्चक्र से बाहर रखने की बहुत कम गुंजाइश है लेकिन नीति निर्माताओं को किसी भी प्रकार की घरेलू अक्षमताओं से बचना चाहिए जो भारत के निर्यात को और नुकसान पहुंचा सकती हैं।

सारांश:

  • सर्वकालिक उच्च व्यापार घाटा, निर्यात में गिरावट, आयात बिलों में वृद्धि एवं अप्रत्याशित कर लगाने तथा सीमा शुल्क में वृद्धि जैसे उपाय भारतीय अर्थव्यवस्था की एक अच्छी तस्वीर पेश नहीं करते हैं। यदि अधिकारियों द्वारा कड़े और विवेकपूर्ण उपाय नहीं किए गए, तो निकट भविष्य में भुगतान संतुलन की स्थिति बहुत गंभीर हो जाएगी।

 

F. प्रीलिम्स तथ्य:

1. कैरियर आधारित जेट खरीदने के लिए नौसेना की नजर सरकार पर : 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

विषय: रक्षा उपकरण/प्लेटफार्म।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत के विमान वाहक। 

संदर्भ:

  • भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, विक्रांत अगले महीने चालू हो जायगा। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है।
  • वर्तमान में, भारतीय नौसेना के पास रूसी मूल का एक वाहक, आईएनएस विक्रमादित्य भी सेवा में है।
  • कैरियर-आधारित विमान, जिसे वाहक-सक्षम विमान या वाहक-जनित विमान के रूप में जाना जाता है, नौसेना के विमान हैं जिन्हें विमान वाहक से संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।

विवरण:

  • भारतीय नौसेना फ्रांस या अमेरिका के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता (IGA) करने पर विचार कर रही है,ताकि वह ऐसे नए लड़ाकू जेट खरीद सकें जिसे अपने विमान वाहक से संचालितकिया जा सकें।
  • हाल ही में राफेल और एफ-18 सुपर हॉर्नेट का परीक्षण विमान वाहक से संचालित करने की उनकी क्षमता को साबित करने के लिए किया गया था।

 

2. यूक्रेन की महिला गणितज्ञ ने जीता फील्ड्स मेडल:

फील्ड मेडल:

  • फील्ड्स मेडल, जिसे अक्सर गणित में नोबेल पुरस्कार के रूप में वर्णित किया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ की अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में 40 वर्ष से कम उम्र के गणितज्ञों को दिया जाने वाला पुरस्कार है।
  • अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी वैज्ञानिक संगठन है।

संदर्भ:

  • यूक्रेनी गणितज्ञ मैरीना वियाज़ोवस्का को 2022 फील्ड मेडल के चार विजेताओं में से एक के रूप में नामित किया गया है।

 

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

1. केंद्र पर्यावरणीय सम्बन्धी मामलों में दंडात्मक प्रावधानों को नरम करेगा:

  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) के प्रावधानों के एक खंड को आसान करने का प्रस्ताव रखा हैं, पहले इस खंड का उल्लंघन करने वालों को केवल कारावास का प्रावधान था ,लेकिन अब उन्हें केवल इन उल्लंघनों के मामले में जुर्माना देना होगा जिसमे किसी को गंभीर चोट या जीवन की हानि नहीं हुई हैं।
  • दंड के रूप में एकत्र की गई धनराशि "पर्यावरण संरक्षण कोष" में जाएगी।
  • इसका उद्देश्य साधारण उल्लंघनों के लिए कारावास के किसी भी भय को दूर करने के लिए ईपीए के मौजूदा प्रावधानों को अपराध से मुक्त करना है।

 

H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 भारत में पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक कानून है। इस संदर्भ में अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 3/पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण)  

प्रश्न 2. दक्षिण एशिया में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की प्रगति का परीक्षण कीजिए। यह इस क्षेत्र में भारत के सामरिक हितों को कैसे प्रभावित करती  है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध) 

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