A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
रुपये में भारी गिरावट:
अर्थव्यवस्था:
विषय:भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना,संसाधन जुटाना, संवृद्धि एवं विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: मुद्रा के मूल्य को निर्धारित करने वाले कारक।
मुख्य परीक्षा: रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव।
संदर्भ:
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
विवरण:
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया पहली बार 79 के पार पहुंच गया हैं।
- विषेशज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में रुपया और कमजोर होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2028-2029 तक रुपया डॉलर के मुकाबले 94 रुपये गिरकर कमजोर हो जाएगा।
रुपये और विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में गिरावट:
- वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से ही भारतीय रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट जारी है, वर्तमान में इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6% से अधिक की गिरावट आई है।
- देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 600 अरब डॉलर से नीचे गिर गया है।
- सितंबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $642 बिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था और तब से इसमें $50 बिलियन से अधिक की गिरावट आई है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में आई इस गिरावट का कारण आरबीआई द्वारा रुपए की कीमत में किए गए सुधार के लिए उपाएं है,लेकिन आरबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि यह गिरावट आरबीआई द्वारा रिजर्व के रूप में रखी गई संपत्ति के डॉलर मूल्य में गिरावट के कारण आई है।
- उदाहरण: यदि वित्तीय भंडार का एक हिस्सा यूरो में है और यूरो का मूल्य डॉलर के मुकाबले गिरता है, तो इसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में गिरावट आएगी ।
रुपये के मूल्य को निर्धारित करने वाले कारक:
- मुद्रा की मांग में वृद्धि से इसके मूल्य में वृद्धि होती है।
- जबकि, मुद्रा की आपूर्ति में वृद्धि से इसके मूल्य में कमी आती है।
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंक मुद्राओं की आपूर्ति का निर्धारण करते हैं और मुद्राओं की मांग अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की संख्या पर निर्भर करती है।
- विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की आपूर्ति आयात और अन्य विदेशी संपत्तियों की मांग पर निर्भर करती है।
- यदि किसी वस्तु की आयात मांग उच्च है, तो विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की आपूर्ति में वृद्धि होगी, जिसके कारण रुपये के मूल्य में गिरावट आएगी।
- यदि भारतीय निर्यात और अन्य घरेलू संपत्तियों की मांग है, तो विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की मांग में वृद्धि होगी।
- इसके आलावा यदि भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ी है, तो विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की आपूर्ति में वृद्धि होगी जो अंततः डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में वृद्धि करेगी।
रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण:
- यू.एस. फेडरल रिजर्व मार्च 2022 से अपनी बेंचमार्क ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है। इसने निवेशकों को उच्च रिटर्न हासिल करने के लिए भारत जैसे उभरते बाजारों से यू.एस. में पूंजी वापस खींचने के लिए मजबूर किया है।
- इसने उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव डाला है,और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले उनकी मुद्राओं में काफी गिरावट आई है।
- इसके अलावा, यूरो और येन जैसी विकसित बाजार मुद्राओं के मूल्य में भी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है,क्योंकि डॉलर सूचकांक में 9% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- विशेषज्ञ बताते हैं कि मई 2022 में दरों में वृद्धि करने का RBI का निर्णय भारत से पूंजी के तेजी से बहिर्वाह को हतोत्साहित करके रुपये को बचाना था।
- इसी तरह वर्ष 2013 में, रुपये में डॉलर के मुकाबले 15% की गिरावट देखी गई,क्योंकि निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में कटौती करने के कदम से चिंतित थे, जिससे दीर्घकालिक ब्याज दरों को कम रखने में मदद मिली थी।
- इसका एक अन्य प्रमुख कारण भारत का बढ़ता चालू खाता घाटा है।
- चालू खाता घाटा का चालू वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद के 3.3% के 10-वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
- इससे पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर भारत की आयात मांग रुपये के मूल्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी जब तक कि विदेशी निवेशक इस घाटे को पूरा करने के लिए देश में पूंजी का निवेश नहीं करते हैं।
- हालांकि इसकी संभावना नहीं है कि विदेशी निवेशक जब देश में पूंजी निवेश करेंगे तब यू.एस.में निवेश प्रतिफल बढ़ रहा होगा।
- भारत में उच्च घरेलू मूल्य मुद्रास्फीति भी रुपये के मूल्य में गिरावट का एक प्रमुख कारण है।
- इसका मतलब है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के डॉलर बनाने की तुलना में RBI बहुत तेज दर से रुपये बना रहा है।
- जो लंबी अवधि में रुपये के मूल्य को निर्धारित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- यह अंतर उस दर में है जिस पर दोनों मुद्राएं सृजित होती हैं, यह अंतर दीर्घावधि/लंबी अवधि में रुपये के मूल्य को निर्धारित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रुपये के मूल्य में गिरावट का प्रभाव:
- रुपये के मूल्य में गिरावट का मतलब है कि देश का आयात महंगा हो जाता है जो मुद्रास्फीति को बढ़ाता हैं।
- यह तेल, गैस और रसायनों जैसे आयात-उन्मुख उद्योगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- इससे तेल और अन्य आयातित घटक महंगे हो जाएंगे, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी।
- रुपये के मूल्य में गिरावट उन कंपनियों को भी प्रभावित करती है जो भारत में फ्रेंचाइजी के लिए विदेशी कंपनियों को रॉयल्टी का भुगतान करती हैं।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के बहिर्वाह (outflow) में वृद्धि होगी जिससे विदेशी मुद्रा भंडार और देश के इक्विटी बाजार प्रभावित होंगे।
- ऑटो, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे। विदेश में पढ़ने वाले छात्रों और यात्रियों को बैंकों से डॉलर खरीदने के लिए अधिक रुपये खर्च करने होंगे।
- रुपये के मूल्यह्रास और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में अधिक जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Rupee Depreciation and its Impact
भावी कदम:
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के विनिमय मूल्य में गिरावट को रोकने के बजाय आरबीआई ने रुपये के मूल्यह्रास को धीमा करने की कोशिश की है।
- आरबीआई की इस नीति का मुख्य उद्देश्य रुपये को बाजार में अपने वास्तविक मूल्य को बिना किसी अनुचित अस्थिरता या निवेशकों के बीच अनावश्यक घबराहट पैदा करने से रोकना है।
- आरबीआई सरकारी बैंकों को रुपये को मजबूत करने के लिए डॉलर बेचने का निर्देश देगा।
- रुपये के बदले बाजार में डॉलर बेचकर, आरबीआई रुपये की मांग में सुधार कर सकता है और इसलिए इसका मूल्य बढ़ा सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
एक सड़क सुरक्षा चौराहा और आगे की राह:
बुनियादी ढांचा:
विषय: बुनियादी ढांचा: सड़कें।
मुख्य परीक्षा: भारत में सड़क सुरक्षा पर सरकार का हस्तक्षेप और सड़क सुरक्षा के प्रमुख जोखिम पर हस्तक्षेप की आवश्यकता।
संदर्भ:
- सड़क हादसे में घातक चोट या दुर्घटना पर न्यू लैंसेट अध्ययन।
पृष्ठ्भूमि:
- इस मुद्दे की पृष्ठभूमि के लिए 30 मई 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।
विवरण:
- सड़क दुर्घटनाओं के कारण उल्लेखनीय रूप से उच्च वार्षिक मृत्यु दर सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3.6 को पूरा करने की भारत की क्षमता पर सवाल उठाती है, जिसका उद्देश्य 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और चोटों को 50% तक कम करना है।
- संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा में प्रगति और चुनौतियों की समीक्षा के लिए वैश्विक सड़क सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित कर रहा है।
लैंसेट अध्ययन के निष्कर्ष:
- हर साल 14 लाख से अधिक लोग यातायात दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और दुनिया भर में लगभग पांच करोड़ लोग घायल होते हैं।
- सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों में 50% से अधिक पैदल चलने वाले, साइकिल चालक और मोटरसाइकिल सवार होते हैं।
- ऐसा कहा जाता है कि उच्च आर्थिक लागत के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) सबसे अधिक प्रभावित देश हैं, जो वर्ष 2014 में उनके सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 3-5% था।
- इस अध्ययन में यह प्रस्तावित किया गया है कि भारत और अन्य देश चार जोखिम कारकों पर निवारक हस्तक्षेप करके दुर्घटना से संबंधित मौतों को लगभग 25 से 40% तक कम कर सकते हैं जैसे:
- वाहन की उच्च गति न रखना।
- शराब पीकर वाहन न चलाना।
- हेलमेट का गलत तरीके से इस्तेमाल न करना।
- सीट-बेल्ट पहनना और बाल संयम (child restraints) प्रणाली का प्रयोग करना।
- (बाल संयम प्रणाली (child restraints-एक सुरक्षा उपकरण हैं,जिसे एक कार सीट या सीट बेल्ट के रूप में, एक मोटर वाहन या हवाई जहाज में एक बच्चे को सुरक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं।)
- इस अध्ययन में अलग-अलग देशों के लिए सामान्य सिद्धांतों का उपयोग किया गया है,जैसे कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, जनसंख्या घनत्व और विश्वव्यापी शासन संकेतकों के माध्यम से मापी गई सरकारी प्रभावशीलता, एक सांख्यिकीय अनुमान के लिए कि पहचाने गए जोखिम कारकों पर हस्तक्षेप चोटों और मृत्यु को किस प्रकार प्रभावित करेगा।
सुरक्षा परिणामों के चार प्रमुख कारकों पर हस्तक्षेप की आवश्यकता:
- ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज डेटा का उपयोग करके एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया गया है ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि इन हस्तक्षेपों से कितने लोगों की जान बचाई जा सकती है।
- भारत में वाहन की गति में कमी से करीब 20,554 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
- 5,683 जान हेलमेट हस्तक्षेप से बचाई जा सकती थी।
- सीटबेल्ट के साथ 3,204 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
- भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाने का अनुमान उपलब्ध नहीं था क्योंकि शराब के सेवन से होने वाली कुल मौतों का प्रतिशत अस्थिर है।
- अध्ययन में इस बात की गणना भी की गई है कि यदि ट्रामा (Trauma) केयर सुविधाओं को बढ़ाया जाए तो एलएमआईसी (LMICs) में सड़क यातायात की चोट से संबंधित 17% मौतों को रोका जा सकता है।
- यह इस बात पर भी टिप्पणी करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों पर कई दुर्घटनाएँ होती हैं, और पीड़ितों का इलाज अपर्याप्त रूप से अक्षमतापूर्ण जिला अस्पतालों या मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में किया जाता है।
- लैंसेट अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अनियोजित मोटरीकरण और शहरीकरण से जुड़ी संरचनात्मक समस्याएं भारत में चिंता का एक प्रमुख कारण हैं।
- इसमें कहा गया है कि तेज और धीमी गति से चलने वाले यातायात को समायोजित किए बिना तेजी से राजमार्ग निर्माण, दोषपूर्ण वाहनों की उपस्थिति, बड़े पैमाने पर गलत साइड ड्राइविंग, अपर्याप्त पुलिस बल और ग्रामीण केंद्रों में खराब ट्रामा (Trauma) सेंटर के परिणामस्वरूप उच्च मृत्यु और विकलांगता दर बहुत अधिक है।
- परिवहन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में 65% से अधिक मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं और घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में 32.9% मौतें हुईं।
- इसके लिए बेहतर इंजीनियरिंग और मौजूदा दशक में होने वाली मौतों को कम करने के लिए यातायात नियमों को लागू करने की आवश्यकता है।
- सड़क सुरक्षा के साथ चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत में विभिन्न हस्तक्षेप किए गए हैं।
- सरकार ने सड़क सुरक्षा और मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 ( Road safety and Motor Vehicles (Amendment) Act 2019) पेश किया है।
- अन्य हस्तक्षेपों में सुंदर समिति (2007) (Sundar Committee (2007) द्वारा की गई सिफारिशें और एस राजशेखरन बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश शामिल हैं।
- हस्तक्षेपों में सड़क सुरक्षा के लिए एक शीर्ष राष्ट्रीय निकाय की स्थापना और जिला स्तर पर विकेंद्रीकृत जिम्मेदारी तय करना शामिल है।
- सुंदर समिति ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भारत में दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने में पर्याप्त तकनीकी क्षमता का अभाव है।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड नियम, 2021 में तकनीकी कार्य समूहों के गठन का प्रावधान है,जिसमें दुर्घटना जांच और फोरेंसिक जैसे पहलू शामिल हैं।
- हालांकि, इस अध्ययन में कहा गया है कि ये हस्तक्षेप भारत में सड़क सुरक्षा की समस्याओं को संबोधित करने में काफी हद तक अपर्याप्त रहे हैं, मुख्य रूप से इन कानूनों के प्रवर्तन में आने वाली समस्याओं के कारण।
सारांश:
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D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
E. संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
देश और विदेश
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
मुख्य परीक्षा: G7 शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम और भारत के लिए इसका महत्व।
संदर्भ:
- G7 वार्षिक शिखर सम्मेलन 2022।
48वां G7 वार्षिक शिखर सम्मेलन:
- सात देशों का समूह जिसे "G7" के नाम से जाना जाता है, एक अंतर-सरकारी राजनीतिक मंच है जिसमें दुनिया के "सर्वाधिक सम्पन्न औद्योगिक" देश कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- इस समूह का गठन वर्ष 1975 में वर्ष 1973 के ऊर्जा संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था।
- हाल ही में 48वां G7 शिखर सम्मेलन जर्मनी में आयोजित किया गया था।
- भारत के प्रधानमंत्री ने विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
G7 देशों और शिखर सम्मेलनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए
https://byjus.com/free-ias-prep/g7/
शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम:
- वैश्विक बुनियादी ढांचा और निवेश (PGII) के लिए 600 बिलियन डॉलर की साझेदारी का शुभारंभ किया गया।
- इस पहल की शुरुआत चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की प्रतिक्रिया में की गई है।
- इस पहल का उद्देश्य दुनिया के दूर-दराज के इलाकों में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे की विस्तृत श्रृंखला को बेहतर बनाने वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता
- G-7 नेताओं ने "क्लाइमेट क्लब" स्थापित करने के लिए भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है।
- इसमें अक्षय ऊर्जा स्रोतों का वित्तपोषण भी शामिल है।
- सम्मेलन में बढ़ती मुद्रास्फीति को कम करने और कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न वैश्विक आर्थिक संकट के प्रबंधन के लिए भी प्रयास किए गए।
- शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया। उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध का ऊर्जा बाजारों और साइबर सुरक्षा पर प्रभाव।
- G7 नेताओं ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की भी बात कही है।
- G7 नेताओं ने चीन के समुद्री दावों, मानवाधिकारों के उल्लंघन और कम आय वाले देशों में उसकी ऋण-जाल कूटनीति से संबंधित चुनौतियों पर भी चर्चा की।
- शिखर सम्मेलन के अंत में लचीला लोकतंत्र, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के प्रति प्रतिबद्धता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा और लिंग सशक्तिकरण के संबंध में भी बयान जारी किए गए।
भारत और G7 शिखर सम्मेलन:
- शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि विकासशील देशों को रूस-यूक्रेन संघर्ष के रिपल प्रभाव (किसी घटना, कार्य आदि का शृंखलाबद्ध प्रभाव या परिणाम) को दूर करने के लिए पहले से कहीं अधिक समर्थन की आवश्यकता होगी।
- भारत ने PGII पहल से भी खुद को दूर रखा है, जिसे चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू किया गया है।
- इससे पहले भारत ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के नेतृत्व में पश्चिम की कड़ी आलोचना करने से भी खुद को दूर रखा था।
- भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसने केवल "लचीला लोकतंत्र" और "जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन" (ऊर्जा संक्रमण) से संबंधित बयानों पर हस्ताक्षर किए थे, न कि अन्य बयानों पर जो रूस और चीन के खिलाफ हैं।
- G7 शिखर सम्मेलन में पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत ने एक बार फिर यूक्रेन संघर्ष पर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
- शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने G7 देशों को भारत के उभरते हरित और स्वच्छ ऊर्जा बाजार में निवेश करने की बात कही।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के संबंध में भी घोषणाएं कीं और लिखित आश्वासन दिया कि उनकी सरकार नागरिक समाज, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म तथा विश्वास की रक्षा करेगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
नीति की विफलता का परिणाम
विषय: विकसित और विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: यू.एस. में अवैध प्रवास की समस्या।
संदर्भ:
- टेक्सास के सैन एंटोनियो में एक ट्रैक्टर-ट्रेलर में कई अप्रवासी मृत पाए गए।
विवरण:
- अधिकारियों का कहना है कि ये प्रवासी मेक्सिको, होंडुरास, ग्वाटेमाला और अल सल्वाडोर के रहने वाले थे।
- अधिकारियों के अनुसार, भीषण गर्मी के मद्देनजर ट्रक के अंदर अत्यधिक तापमान के कारण उनकी मृत्यु हुई है।
- मैक्सिकन अधिकारियों ने दावा किया है कि ट्रक अमेरिकी क्षेत्र के भीतर एक संघीय आव्रजन जांच चौकी से गुजरा था, लेकिन इसकी जांच नहीं की गई।
अमेरिका में अवैध प्रवासियों की समस्या:
- अत्यधिक तापमान के बावजूद, अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर प्रवास की समस्या जस की तस बनी हुई है।
- मई 2020 में, यूएस बॉर्डर पेट्रोल टीम ने 23,237 अवैध प्रवासियों को पकड़ा था जबकि मई 2022 में यह संख्या 2,39,146 थी।
- चूँकि लारेडो से सैन एंटोनियो तक विस्तृत वाणिज्यिक गलियारे से हर दिन 20,000 से अधिक ट्रक गुजरते हैं और इससे भी अधिक ट्रक यू.एस.-मेक्सिको क्रॉसिंग मार्गों से गुजरते है, लेकिन इनकी निगरानी हेतु आवश्यक श्रमशक्ति और निगरानी प्रणालियों का अभाव है।
- इसके अलावा, अमेरिकी राजनीतिक दल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन व्यापक आव्रजन सुधार नियम पर आम सहमति बनाने में विफल रहे हैं।
- डेमोक्रेट ने अमेरिकी कानून का पालन और कुछ शर्तों को पूरा करने वाले अनिर्दिष्ट श्रमिकों को नागरिकता प्रदान करने का तर्क दिया है, इन शर्तों में बाल्यावस्था आगमन के लिए आस्थगित कार्रवाई भी शामिल है।
- जबकि, रिपब्लिकन मुख्य रूप से यू.एस. में अनिर्दिष्ट प्रवासियों (गैर-दस्तावेज वाले प्रवासी) के प्रवेश को प्रतिबंधित करने पर केंद्रित हैं।
सारांश:
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F. प्रीलिम्स तथ्य:
1. स्नेक आइलैंड (Snake Island):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
विषय: विश्व का भौतिक भूगोल।
प्रारंभिक परीक्षा: स्नेक आइलैंड (Snake Island)।
संदर्भ:
- यूक्रेन के स्नेक आइलैंड से रूसी सैनिकों की वापसी हुई है।
स्नेक आइलैंड (Snake Island):
Image Source: BBC
- स्नेक आइलैंड जिसे सर्पेंट आइलैंड या ज़मीनी द्वीप (Zmiinyi Island/Snake Island) भी कहा जाता है, काला सागर में स्थित एक द्वीप है जो यूक्रेन के अधीन है।
- यह दक्षिणी तट से लगभग 25 मील की दूरी पर स्थित एक "एक्स-आकार" का द्वीप है और शिपिंग लेन को नियंत्रित करने की एक महत्वपूर्ण चौकी है।
- स्नेक आइलैंड डेन्यूब नदी के मुहाने के करीब स्थित है, जो यूक्रेन के साथ रोमानिया की सीमा बनाता है।
- इस द्वीप के आधार में सिलुरियन और डेवोनियन तलछटी चट्टानें हैं।
- इस द्वीप के निकटतम तटीय स्थान डेन्यूब डेल्टा के यूक्रेनी भाग पर कुबंस्की द्वीप (Kubanskyi Island) स्थित है।
- रोमानिया और यूक्रेन के बीच महाद्वीपीय शेल्फ और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के परिसीमन के लिए स्नेक आइलैंड की स्थिति महत्वपूर्ण है।
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
1. संशोधित PSLV ने तीन विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी53 ने इसरो, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने दूसरे समर्पित मिशन में सिंगापुर के तीन उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया।
- इस मिशन ने वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन के लिए कक्षा में एक स्थिर मंच के रूप में अपने पीएसएलवी-चौथे चरण "पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम)" का उपयोग करके इसरो के लिए एक अतिरिक्त उद्देश्य भी पूरा किया।
- इसरो द्वारा ps 4 stage ko हासिल करने तथा आकाशीय कक्षाओं में लागत प्रभावी प्रयोग , स्टार्टअप, स्टूडनेट्स और वैज्ञानिक समुदाय की बढ़ती मांगो को पूरा कर सकता है।
2. निजी क्षेत्र में कुष्ठ रोग की दवाओं की कमी पर चिंता:
- भारत में निजी क्षेत्र क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) की कमी का सामना कर रहा है जो कुष्ठ रोग के इलाज के लिए एक प्रमुख दवा है जबकि वैकल्पिक दवाएं बहुत महंगी हैं तथा पहुँच से दूर है।
- क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine), मल्टीबैसिलरी लेप्रोसी (Multibacillary Leprosy (MB-MDT) ) मामलों के मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट में तीन आवश्यक दवाओं रिफैम्पिसिन और डैप्सोन में से एक है।
- क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) ने मल्टीड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस के खिलाफ सक्रियता दिखाई है और डब्ल्यूएचओ द्वारा दवा प्रतिरोध के इलाज के लिए इसकी सिफारिश की गई है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में हर साल कुष्ठ रोग के 1,25,000 से अधिक नए रोगियों की संख्या में इजाफा होता है।
- क्लोफ़ाज़िमाइन की कमी भारतीय कुष्ठ उपचार परिदृश्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है क्योंकि त्वचा और कुष्ठ रोग विशेषज्ञ कुष्ठ रोगियों के इलाज में एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं।
H. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. रुपया क्यों गिर रहा है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था और लोगों को कैसे प्रभावित करेगा? [जीएस-3, अर्थव्यवस्था] (150 शब्द, 10 अंक)
प्रश्न 2. भारत में फिल्म सेंसरशिप से सम्बंधित विवादों के बारे में चर्चा कीजिए। [जीएस-2, राजनीति] (150 शब्द, 10 अंक)
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