Blue Dot Network

By Hemant Kumar|Updated : January 28th, 2020

Context: In an atmosphere of fierce geostrategic and economic competition between the USA and China, Washington has announced a novel plan called "Blue Dot Network". This system is designed to assess the feasibility and sustainability of any infrastructure project. It is being pegged as the answer to debt trap diplomacy of China which is extended to vulnerable countries through the Belt and Road Initiative.

 

विषय: अमेरिका और चीन के बीच तीव्र भू-सामरिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माहौल में, वाशिंगटन ने "ब्लू डॉट नेटवर्क" नामक एक नई योजना की घोषणा की है। यह प्रणाली किसी भी अवसंरचना परियोजना की व्यवहार्यता और निरंतरता का आकलन करने के लिए तैयार की गई है। इसे चीन की ऋण जाल कूटनीति का जवाब माना जा रहा है जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से कमजोर देशों तक फैली हुई है।

ब्लू डॉट नेटवर्क क्या है?

ब्लू डॉट नेटवर्क अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की संयुक्‍त पहल है, जिसे आधिकारिक तौर पर "हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया भर में वैश्विक, बहु-हितधारक संवहनीय अवसंरचना विकास को बढ़ावा देने" के रूप में वर्णित किया गया है। यह ऑस्ट्रेलिया के विदेश एवं व्‍यापार मामलों के विभाग और जापान के बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन के साथ साझेदारी में, यूएस ओवरसीज प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन की सहकारी पहल है। इसे नवंबर 2019 में थाईलैंड में 35वें आसियान शिखर सम्मेलन के अवसर पर शुरू किया गया था।

ब्लू डॉट नेटवर्क के संचालन के लिए, इसे "वैश्विक अवसंरचना विकास हेतु उच्च-गुणवत्ता, विश्वसनीय मानकों को बढ़ावा देने के लिए सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाने वाली एक बहु-हितधारक पहल" के रूप में निर्दिष्‍ट किया जाता है।

सरल शब्दों में, ब्लू डॉट नेटवर्क एक रेटिंग रचनातंत्र है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की व्यवहार्यता और निरंतरता की जांच करने के लिए वहां पर अवसंरचना परियोजनाओं का मूल्यांकन करेगा और उन्‍हें प्रमाणित करेगा। यह ग्रेडिंग प्रणाली कई मापदंडों जैसे ऋण, पर्यावरणीय प्रभाव, श्रम मानक आदि पर होगी। हालांकि, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के विपरीत, ब्लू डॉट नेटवर्क किसी भी अवसंरचना परियोजना के लिए सार्वजनिक धन या ऋण नहीं प्रदान करेगा।

क्या ब्लू डॉट नेटवर्क BRI के लिए एक चुनौती है?

ब्लू डॉट नेटवर्क को व्यापक रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जवाब में अमेरिका की प्रतिक्रिया माना जाता है, लेकिन दोनों योजनाएं मूल रूप से अलग हैं।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव: BRI के तहत, चीन के सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां विश्व के पिछड़े राष्‍ट्रों (third world poor countries) में अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं का वित्तपोषण करती हैं। यहां चीन कंक्रीट, स्टील और श्रमिकों से लेकर नकदी तक सब कुछ उपलब्ध कराता है। चीन द्वारा दिए गए ऋण आमतौर पर विश्व बैंक या अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रदान किए जाने वाले विकास ऋणों की वैश्विक दरों की तुलना में रियायती दर पर हैं।

यह देखा गया है कि BRI में शुरू की गई अधिकांश परियोजनाएं अरक्षणीय हो गई हैं और ऋणी देश ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। श्रीलंका, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा कुछ ऐसे देश हैं जो चीन को ऋण चुकाने में संघर्ष का सामना कर रहे हैं। इस पहल को कई लोगों ने ऋण-जाल कूटनीति माना है।

बदले में चीन भूमि या अवसंरचना परियोजना (जैसा श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट) को पट्टे पर देने की मांग करता है और क्षेत्र में भू-सामरिक गतिविधियों पर अपनी पकड़ मजबूत करता है। चीन पर कई बार, यह आरोप लगाया जाता है कि उसका उद्देश्य इन भूमि का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए करना है जो वैश्विक स्‍तर पर आतंक पैदा करता है।

ब्लू डॉट नेटवर्क पर चीन की प्रतिक्रिया:

चीन ने ब्लू डॉट नेटवर्क की घोषणा को निम्‍न महत्‍व वाला बताया है और इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे पश्चिम की चीन की टांग खींचने की पुरानी शैली कहा है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों को स्थापित करने के लिए प्रमाणन प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है और निश्चित रूप से इसका अर्थ होगा कि ब्लू डॉट नेटवर्क के अनुसार बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्‍ट अवमानक है।

लेकिन, निर्धारित किए जाने वाले मानकों को प्रमुख अवसंरचना निर्माता देशों की वैश्विक सहमति से नहीं, बल्कि केवल तीन देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा पूरा किया जाता हैं। इसलिए, इन अंतर्विरोधों से अमेरिका-चीन संबंध और अधिक प्रभावित होंगे।

भारत और ब्लू डॉट नेटवर्क:

भारत ने चीन के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को चीन की ऋण-जाल कूटनीति और पड़ोसी देशों में अपनी अवसंरचना परियोजनाओं के माध्यम से भारत का रणनीतिक घेराव करने वाली योजना बताया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा विशेष रूप से भारत के लिए एक भू-सामरिक संकट है। भारत ने सीधे तौर पर BRI का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है और अन्य देशों को भी इसका विरोध करने की सलाह दी है।

इस तथ्य को जानते हुए, हिंद-प्रशांत क्षेत्र आधारित विदेश नीति के साथ अमेरिका ने भारत को ब्लू डॉट इनिशिएटिव में शामिल करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। दिसंबर 2019 को वाशिंगटन में 2+2 वार्ता के दौरान, दोनों देश "अवसंरचना विकास, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और क्षेत्रीय संपर्क व्‍यवस्‍था में व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने" पर सहमत हुए थे।

इस संबंध में ब्लू डॉट नेटवर्क हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अवसंरचना परियोजनाओं में निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा। परियोजनाओं पर ग्रेडिंग मानक किसी ऐसे नागरिक-केंद्रित देश में लागू होंगे जहां नागरिक इन परियोजनाओं का मूल्यांकन करना चाहेंगे। यह संचालन का एक लोकतांत्रिक और व्‍यावहारिक रूप है जिसे भारत वैश्विक रूप से देखना पसंद करता है।

इसके अलावा, भारत की अमेरिका के साथ हाल की निकटता और क्वाड जैसी अन्य बहुपक्षीय रणनीतिक पहलों जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, के साथ भारत का जुड़ना भारत के लिए ब्लू डॉट नेटवर्क का हिस्सा बनने पर सहमति‍ को अधिक संभव बनाता है।

भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव:

ब्लू डॉट नेटवर्क पर भारत की प्रतिक्रिया द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर भारत और चीन के अनुबंधों का स्पष्ट प्रतिफल होगी। भारत पहले ही BRI का हिस्सा बनने से इनकार कर चुका है। इसलिए, ब्लू डॉट नेटवर्क का हिस्सा बनने से भारत का चीन के साथ सीधे तौर पर मतभेद हो सकता है।

निष्कर्ष:

भारत को ऐसे समय पर अत्‍यंत निपुणता का परिचय देना होगा, जब वैश्विक व्यवस्था लगभग गतिरोध की स्‍थिति में दिख रही है। सभी प्रमुख शक्तियां एक-दूसरे के साथ टकराव की स्‍थिति में हैं। चीन अधिक हठी, अमेरिका अधिक अप्रत्याशित और मध्य पूर्व (ऊर्जा सुरक्षा के उद्देश्‍य से भारत के लिए महत्वपूर्ण) अधिक अव्‍यवस्‍थित हो रहा है।

हालांकि, जो भी निर्णय हो, भारत के लिए अपने राष्ट्रीय हितों, रणनीतिक स्वायत्तता और विदेशी संबंधों के संतुलन को बनाए रखना जरूरी है।

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