Important Editorial Analysis सौर ऊर्जा संचालित कोणार्क सूर्य मंदिर

By Abhishek Jain |Updated : August 29th, 2022

भारत के ओडिशा राज्य का कोणार्क शहर ग्रिड निर्भरता से हरित ऊर्जा में स्थानांतरित होने वाला पहला मॉडल शहर बनाने के उद्देश्य से मई 2020 में केंद्र सरकार द्वारा ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर के सौरकरण हेतु एक योजना शुरू की गई थी जिसके संबंध में ओडिशा सरकार ने नीतिगत दिशा-निर्देश जारी किये हैं, ओडिशा सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 के अंत तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे- सूर्य, पवन, बायोमास, छोटे जलविद्युत और अपशिष्ट से ऊर्जा आदि से 2,750 मेगावाट विद्युत् उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

सौर ऊर्जा संचालित कोणार्क सूर्य मंदिर

भारत सरकार द्वारा ऊर्जा के आधुनिक उपयोग तथा प्राचीन सूर्य मंदिर के बीच तालमेल के बढ़ाने के उद्देश्य और सौर ऊर्जा के महत्व को प्रोत्साहन देने के लिए ओडिशा में ऐतिहासिक कोणार्क सूर्य मंदिर को सूर्य नगरी के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री के विजन को आगे ले जाने के उद्देश्य से इस योजना का शुभारंभ किया गया है जिसमें 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के साथ 10 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सौर परियोजना और सौर वृक्ष, सौर पेयजल कियोस्कजसेविविध सौर ऑफ-ग्रिड अनुप्रयोगों, बैटरी स्टोरेज सहित ऑफ ग्रिड सोर संयंत्रों की स्थापना आदि की परिकल्पना की गई है जिसका कार्यान्वयन ओडिशा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा किया जाएगा।

इस पहल का महत्व और इससे उत्पन्न चुनौतियां:

  • सौर ऊर्जा की सहायता से सूर्य मंदिर की बिजली की खपत को कम करने में मदद मिलेगी साथ ही सौर ऊर्जा से मिलने वाले वित्तीय लाभ से मंदिर के अन्य विकास कार्यों को पूर्ण करने में सहायता मिलेगी।
  • सौर ऊर्जा ‘नवीकरणीय ऊर्जा’ उत्पादन का एक अच्छा माध्यम है, किंतु बड़े स्तर पर सौर पैनल स्थापित करने के लिये भूमि की अनुपलब्धता ओडिशा सरकार के लिए एक और बड़ी चुनौती है।
  • राज्य में 480 किमी. की तटरेखा है जो तटीय क्षेत्र चक्रवात से प्रभावित हैं जो पिछले 22 वर्षों के दौरान अब तक सुपर साइक्लोन, फीलिन, हुदहुद, तितली, अम्फान और फानी सहित 10 भयंकर चक्रवातों का सामना कर चुका है ऐसे में सोलर पावर प्लांट की स्थापना ओडिशा सरकार के लिए एक और बड़ी चुनौती है।

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कोणार्क सूर्य मंदिर:

  • उड़ीसा का नाम लिया जाए और पुरी और सूर्य मंदिर की बात न हो तो उडीसा का परिचय अधूरा सा लगता है, आज से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से उड़ीसा अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है, जहाँ जगन्नाथ पुरी जाए बिना चार धाम यात्रा अधूरी रहती है वहीं बिना सूर्य मंदिर के भारत के खगोल शास्त्र भी अधूरा सा लगता है।
  • बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने कराया था कहा जाता है कि राजा को खगोलशास्त्र मे विशेष रुचि थी तो उन्होनें एक ऐसे मंदिर बनाने की सोची जो अध्यात्म के साथ-साथ वैज्ञानिकता मे भी खरा उतरे और इसके निर्माण के लिए उन्होनें उस समय के सर्वश्रेष्ठ वास्तुविद और ज्योतिषी विशु को चुना।
  • लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट की चट्टानों को तराशकर कलिंग शैली मे बनाए गए इस मंदिर में भगवान सूर्य के तीनों रुपों शिशु अवस्था और प्रौढावस्था को मूर्ति रुप मे प्रदर्शित किया गया है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर को तीन भागों गर्भगृह, मंडप, नृत्य गृह में विभाजित किया गया है।

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  • कोणार्क सूर्य मंदिर को एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है, रथ के 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिज़ाइनों से सजाया गया है और सात घोड़ों द्वारा इस रथ को खींचते हुए दर्शाया गया है।
  • ओडिशा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) इस मंदिर का संरक्षक है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर में लगभग 270 देवदासियों की मूर्तियां है जिनमें उन्हें अलग-अलग मुद्रा में नृत्य करते दिखाया गया है।

ओडिशा में अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारक:

  1. जगन्नाथ मंदिर
  2. तारा तारिणी मंदिर
  3. उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ
  4. लिंगराज मंदिर

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FAQs

  • कोणार्क सूर्य मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

  • कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने कराया था।

  • कोणार्क सूर्य मंदिर को एक अन्य नाम ब्लैक पगोडा के नाम से भी जाना जाता है।

  • ऐसा माना जाता है की कोणार्क सूर्य मंदिर मे बने रथ के 12 जोड़ी पहिये (24 पहिये) 12 महीनो को दर्शाते है।

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