संत व सूफी काव्य की प्रमुख रचनाएं

By Mohit Choudhary|Updated : May 14th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का भक्तिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। भक्तिकाल (संत व सूफी काव्य की प्रमुख रचनाएं) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।         

संत काव्य प्रमुख कृतियां

रचनाकार

रचनाएँ

संपादक एवं प्रकाशन वर्ष 

नामदेव (1270-1350)

अभंगपद

नामदेव के पदों का सम्पादन डॉ. भगीरथ मिश्र ने सन्त नामदेव की पदावली' (1964 ई.) रामचन्द्र मिश्र ने सन्त नामदेव और हिन्दी पद साहित्य' नाम से किया। 

कबीरदास (1398-1518 ई.)

बीजक (साखी, सबद और रमैनी)

कबीर के पदों का सम्पादन धरमदास ने 'बीजक', डॉ. श्यामसुन्दर दास ने कबीर ग्रन्थावली (बारहवौं संस्करण 1988 ई.), डॉ. पारसनाथ तिवारी ने कबीर ग्रन्थावली (1961 ई.) तथा अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ने 'कबीर वचनावली' (1946 ई.) नाम से किया।

घरमदास (1418-1543 ई.)

अमरसुख निधान

धरमदास के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा 'धरमदास की बानी' नाम से किया। 

रविदास (रैदास) (1388-1518 ई.)

ईश्वर महिमा, ज्ञान और भक्तिपरक काव्य

रविदास के पदों का सम्पादन डॉ. वी. पी. शर्मा ने सन्त गुरु रविदास वाणी (1978 ई.) वेलवीडियर प्रेस द्वारा रैदास की बानी' नाम से किया गया।

गुरु नानक (1469-1538 ई.)

जपुजी, असादीवार, रहिरास सोहिला नसीहत नामा

गुरु नानक के पदों का सम्पादन डॉ. जयराम मिश्र ने 'नानकवाणी (1988 ई.) तथा डॉ. मनमोहन सिंह सहगल ने श्री गुरुग्रन्थ साहिब में किया।

दादू दयाल (1544-1603 ई.)

सरस और प्रवाहपूर्ण शैली में ज्ञान-भक्तिपरक काव्य-रचना

दादू दयाल के पदों का सम्पादन सन्तदास और जगनदास द्वारा हरडेवाणी' में सन्त रज्ज द्वारा 'अंगवधू' में तथा पशुराम चतुर्वेदी द्वारा 'दादू ग्रन्थावली' नाम से किया गया। 

सुन्दरदास (1566-1689 ई.)

भक्ति, नीतिपरक कवित्त एवं सवैया

सुन्दरदास की रचनाओं का सम्पादन डॉ. रमेशचन्द्र मिश्र ने सुन्दर ग्रन्थावली तथा डॉ. किशोरी लाल गुप्त ने सुन्दर विलास' (1974 ई.) नाम से किया।

गरीबदास (1717-1778 ई.)

साखी, सवैया, रेख्ता, झूलना, अरिल, रमैनी 

गरीबदास के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा गरीबदास की बानी' (1930 ई.) नाम किया गया।

चरनदास (1703-1782 ई.)

ब्रजचरित्र, अमरलीक, अखण्डधाम, ज्ञानस्वरोदय, भक्तिसागर

चरनदास के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा चरनदास की बानी' (1952 ई.) नाम से किया गया।

दरिया साहब (1674-1780 ई.)

दरिया सागर,  ज्ञान दीपक

'दरिया साहब' के पदों का सम्पादन डॉ. धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी ने 'दरिया ग्रन्थावली' नाम से किया। 

पलटू साहब

नाममहिमा, गुरुमहिमा, ज्ञान-भक्तिपरक साखी और पद

पलटू साहब के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा 'पलटू साहब की बानी (तीन भागों में 1964-65 ई.) नाम से किया गया।

मलूकदास (1574-1682 ई.)

ज्ञानबोध, अवतार लीला

मलूकदास के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा 'मलूकदास जी की बानी (1946 ई) नाम से किया गया। 

रज्जबदास (1567-1689 ई.)

छप्पय

रज्जबदास के पदों का सम्पादन डॉ. ब्रजलाल वर्मा ने 'रज्जब बानी' (1963 ई.) नाम से किया गया। 

सहजोबाई

गुरुमहिमा, प्रेम, वैराग्य, भक्तिपरक उपदेशात्मक काव्य

सहजोबाई के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा 'सहज-प्रकाश (1962 ई.) नाम से गया।

दयाबाई

दयाबोध, विनयमालिका

दयाबाई के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा दयाबाई की बानी' (1962 ई.) नाम से किया गया।

जगजीवन दास

ज्ञान, भक्ति, गुरुमहिमा, नाममहिमा

जगजीवन दास के पदों का सम्पादन वेलवीडियर प्रेस द्वारा ज्ञान प्रकाश', 'महाप्रलय', 'प्रथम ग्रन्थ' नाम से किया गया।

घरणीदास

भोजपुरी में पद्य रचना

धरणीदास के पदों का सम्पादन डॉ. उदयनारायण तिवारी ने प्रेम प्रगास' नाम से किया।

सूफी काव्य प्रमुख कृतियां

रचनाकार

रचना

विषय-वस्तु

असाइत

हंसावली (1370 ई.)

1. हंसावली एक प्रेम कथा है।

2. यह गुजरती मिश्रित पश्चिमी हिंदी में रचित है। 

मुल्ला दाऊद

चन्दायन (1379)

1. चन्दायन में प्रेम के महत्व का चित्रण किया गया है।

2. इसका नायक 'लोरिक' तथा नायिका 'चन्दा' है।

3. इसे 'लोरकथा' या 'लोरकाइन' भी कहा जाता है।

कुतुबन

मृगावती (1503 ई.)





1. मृगावती में लौकिक प्रेम कथा के माध्यम से अलौकिक प्रेम का वर्णन किया गया है। 

2. इसका नायक राजकुँवर' तथा नायिका मृगावती' है।

मंझन

मधुमालती (1545 ई.)

1. मधुमालती में प्रेम कथा के द्वारा अलौकिक प्रेम का वर्णन किया गया है। 

2. इसका नायक 'मनोहर' तथा नायिका 'मधुमालती' है।

मलिक मोहम्मद जायसी

पद्मावत (1540 ई.)

1. पद्मावत में प्रेमकथा के द्वारा अलौकिक प्रेम का चित्रण किया गया है।

2. इसका नायक 'रत्नसेन और नायिका 'पद्मावती' है।

3. यह अवधी का प्रथम महाकाव्य है।

मलिक मोहम्मद जायसी 

आखिरी कलाम (936 हिजरी)

1. आखिरी कलाम में कयामत का वर्णन किया गया है।

2. इसमें हजरत मोहम्मद साहब के महत्व का प्रतिपादन भी किया गया है।

मलिक मोहम्मद जायसी 

अखरावट

1. अखरावट में देवनागरी वर्णमाला के एक-एक वर्ण (अक्षर) को लेकर सैद्धान्तिक बातें कही गई हैं।

उसमान

चित्रावली (1613 ई.)

1. चित्रावली में प्रेम और विरह के महत्त्व का प्रतिपादन किया गया है।

2. इसका नायक 'सुजान' तथा नायिका 'चित्रावली' है।

2. 2. इसका नायक 'सुजान' तथा नायिका ‘चित्रावली’ है। 


कासिमशाह



हंस-जवाहिर (1736 ई.)

1. हंस जवाहिर में प्रेमकथा के माध्यम से आध्यात्मिक सन्देश दिया गया है।

2. इसका नायक 'हंस' और नायिका 'जवाहिर' है।

नूरमोहम्मद 

अनुराग बाँसुरी (1764 ई.)

1. अनुराग बाँसुरी में प्रेमकथा के माध्यम से इन्द्रिय विरोध द्वारा आध्यात्मिक साधना का सन्देश दिया गया है। 

2. इसके पात्र अन्तः करण, चित्त, बुद्धि, अहंकार, संकल्प-विकल्प आदि हैं।

3. यह श्रेष्ठ प्रेम काव्य और रूपक काव्य है।

नूरमोहम्मद 

इन्द्रावती (1744 ई.)

1. इन्द्रावती में कवि ने ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को प्रदर्शित किया है।

शेखनबी

ज्ञानदीप (1619 ई.)

1. ज्ञानदीप में प्रेमकथा का वर्णन है।

2. इसका नायक 'ज्ञानदीप और नायिका 'देवयानी' है।

शेखनीसार 

युसुफ-जुलेखा (1790 ई.)

1. युसुफ जुलेखा में त्याग की महिमा का उल्लेख किया गया है। 

2. इसका नायक 'युसुफ' और नायिका 'जुलेखा' है।

3. जुलेखा युसुफ के लिए सब कुछ त्यागकर अध्यात्म की ओर मुड़ जाती है।

नसीर



प्रेमदर्पण (1847 ई.)

1. प्रेमदर्पण एक प्रेमकथा है।

2. इसकी कथा भी ‘युसूफ जुलेखा’ के सामान है। 

आलम

मघवानल कामकंदला (1584 ई.)

1. यह एक प्रेमाख्यान काव्य है।

2. यह अवधी भाषा में लिखा गया है। इसकी नायिका कामकन्दला है।

नन्ददास

रूपमंजरी (1568 ई.)

1. रूपमंजरी प्रेमाख्यान काव्य है।

2. इसमें नायिका विवाहित होकर भी कृष्ण को उप पति के रूप में स्वीकार करती है।

ईश्वरदास



सत्यवती कथा (1501 ई.)

1. सत्यवती कथा में सतीत्व की महिमा का चित्रण हुआ है।

2. इसका नायक ऋतुपर्ण और नायिका सत्यवती है।

नारायणदास

छिताई वार्ता (1590 ई.)

1. छिताई वार्ता में इतिहास और कल्पना का समन्वय हुआ है।

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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, भक्तिकाल (संत व सूफी काव्य की प्रमुख रचनाएं) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you

Team BYJU'S Exam Prep.

Sahi Prep Hai To Life Set Hai!

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